थानाधिकारी ने शिकायतकर्ता को ही किया गिरफ्तार

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अजमेर के नसीराबाद के थाना अधिकारी भंवर सिंह गौड़ ने एसीबी के शिकायतकर्ता को ही गिरफ्तार कर लिया।इसे कहते हैं चोरी और सीना जोरी। पुलिस के संरक्षण के कारण ही आबकारी नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं।

एस0 पी0 मित्तल

अजमेर जिले के नसीराबाद में शराब की दुकान चलाने वाले कमलेश मेहरा ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में शिकायत दर्ज करवाई कि नसीराबाद के थानाधिकारी भंवर सिंह गौड़ 15 हजार रुपए की मंथली मांग रहा है। जबकि उसकी हैसियत इतनी मोटी रकम प्रतिमाह देने की नहीं है। कमलेश मेहरा की शिकायत की जब प्राथमिक जांच की गई को शिकायत को सही पाया गया। इस पर एसीबी ने अपना वॉइस रिकॉर्डर लेकर मेहरा को थानाधिकारी गौड़ के पास भेजा। ताकि थानाधिकारी के रिश्वत मांगने की रिकॉर्डिंग हो सके। कमलेश मेहरा थाने पर पहुंच भी गया, लेकिन तभी थानाधिकारी गौड़ को एसीबी के बिछाए जाल के बारे में पता चल गया। एसीबी की कार्यवाही से थानाधिकारी घबराता, इसके बजाए थाने पर एसीबी का रिकॉर्डर छीन लिया और कमलेश मेहरा को शांति भंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। थानाधिकारी गौड की इस कार्यवाही को चोरी और सीनाजोरी वाली मानते हुए एसीबी के डीआईजी समीर सिंह के निर्देश पर नसीराबाद थाने में ही थानेदार गौड़ और सिपाही गजानंद जाट के विरुद्ध आईपीसी और पीडीपीपी एक्ट में मुकदमा दर्ज करवाया है।

एसीबी की इस कार्यवाही की सराहना की जानी चाहिए, लेकिन सब जानते हैं कि पुलिस संरक्षण की वजह से ही शराब की दुकानों पर आबकारी कानूनों की धज्जियां उड़ती है। अधिकांश दुकानों पर रात 8 बजे बाद भी चोरी छिपे शराब की बिक्री होती है। इतना ही नहीं दुकान के अंदर या पास वाली खाली दुकान में बैठा कर शराब पिलाने की सुविधा दी जाती है। क्या इन सब बातों का पुलिस को पता नहीं है? आबकारी कानून की धज्जियां उड़ाने के एवज में ही 15 हजार रुपए की मंथली मांगी जाती है। नसीराबाद का थानाधिकारी भंवर सिंह गौड़ तो नासमझी में फंस गया, अन्यथा अधिकांश थाना क्षेत्रों में ऐसा ही हो रहा है। यह मुद्दा अकेले अजमेर जिले का नहीं बल्कि पूरे प्रदेश का है। दुकान की बिक्री के हिसाब से मंथली ली जाती है। ज्यादा बिक्री होती है तो मंथली की राशि ज्यादा होती है। पुलिस की शिकायत वही दुकानदार करता है जो मंथली की ज्यादा राशि से तंग आ जाता है। शराब के धंधे में पुलिस की मंथली का तो दस्तूर है। यह दस्तूर अधिकांश शराब विक्रेताओं को पूरा करना होता है।