…तो ऐसे घाटे से उभरेगी मुंडेरवा चीनी मिल..!

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तो ऐसे घाटे से उभरेगी मुंडेरवा चीनी मिल….! चीनी मिल में गन्ना पेराई पॉवर प्लांट के बजाए हो रही हाइडिल से एक पखवाड़े में हुई सिर्फ करीब तीन लाख कुंतल गन्ने की पेराई।

राकेश यादव

लखनऊ। भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस वाली सरकार औऱ ईमानदार अफसर के हवाले चीनी महकमा होने के बावजूद चीनी निगम के अधिकारियों को न तो शासन का कोई डर है और न ही कार्यवाही की कोई चिंता। अफसरों ने कमाई के चक्कर मे मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी चीनी मिल परियोजनाओं की मुंडेरवा चीनी मिल में करोड़ों के अत्याधुनिक उपकरण लगने के बावजूद घाटे में चल रही हैं। इस चीनी मिल में बायलर और टरबाइन ठीक नहीं होने से गन्ने को पेराई पॉवर प्लांट के बजाए हाइडिल से की जा रही है। यही वजह मिल में एक पखवाड़ा बीतने के बाद अबतक सिर्फ करीब तीन लाख कुंतल गन्ने की ही पेराई हो पाई है। ऐसा तब है जब मिल की क्षमता 5000 टीसीडी की है। अतिरिक्त व्यय को वजह से मिल में घाटा होना स्वाभिक है।

योगी सरकार ने पूर्वांचल के किसानों को संजीवनी देने के लिए वर्षो से बंद पड़ी चीनी निगम की मुंडेरवा और पिपराइच चीनी मिलों को चालू करने के लिए टेंडर निकाले गए। चीनी मिल लगाने वाली फेर्मो का चयन किया गया। इसमें चीनी मिल संघ के अफसरों और परियोजना से जुड़े चीनी निगम के अफसरों ने मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। किसानों की आय बढ़ाने के लिये प्रदेश की योगी सरकार ने अत्याधुनिक मशीनों वाली चीनी मिल लगाए जाने का एलान किया। इस परियोजना में गोरखपुर की पिपराइच व बस्ती की मुंडेरवा चीनी मिले जो बंद पड़ी थी। मिल की गन्ना पेराई की क्षमता 1000 टीसीडी से बढ़ाकर 5000 टीसीडी की गई है।

सूत्रों का कहना है कि मुंडेरवा चीनी मिल में पेराई सत्र छह दिसंबर से शुरू किया गया। टरबाइन और बायलर की निर्धारित समय पर मरम्मत नहीं कराए जाने की वजह से वर्तमान समय में यह मिल हाइडिल से संचालित की जा रही है। इससे आए दिन पेराई का काम बाधित हो रहा है। इस बाधा की वजह से जिस मिल में एक पखवाड़े में सात लाख कुंतल गन्ने की पेराई हो जानी चाहिए थी। अभी तक सिर्फ करीब तीन लाख कुंतल गन्ने की ही पेराई हो पाई है।

तीन लाख कुंतल की पेराई के बाद सिर्फ साढ़े नौ हजार कुंतल चीनी ही बन पाई है। जबकि तीन लाख कुंतल गन्ने की पेराई में करीब 30 कुंतल चीनी बनाई जाती है। सूत्रों की माने तो पेराई का काम धीमे चलने की वजह से इस चीनी मिल का गन्ना आसपास की अन्य चीनी मिलों में जा रहा है। इसके चलते मिल दिनोदिन घाटे में जा रही है। इस घाटे से कैसे उभरा जायेगा, इस सवाल का जवाब देने से चीनी निगम के अधिकारी बचते नजर आए। इससे किसानों को तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

घाटे से उभार पाना एक बड़ी चुनौती

मुंडेरवा चीनी मिलों में तमाम आधुनिकीकरण उपकरण लगने के बावजूद मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट की दोनों चीनी मिले घाटे में चल रही हैं। इन चीनी मिलों को मुख्यमंत्री ने किसानों की आमदनी बढ़ाने और उत्पादन की गुणवत्ता के चलते कराया था। मुख्यमंत्री के मंसूबों पर अधिकारियों ने पानी फेर दिया है। इस मसले पर जब चीनी निगम के प्रबंध निदेशक विमल दूबे से बात करने का प्रयास किया गया तो कई प्रयासों के बाद भी उनका फोन नहीं उठा। उधर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि मुंडेरवा चीनी मिल में पेराई का काम आए दिन बाधित रहता है। इसकी वजह से मिल का घाटे से उभार पाना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।

एमडी को सौंपा 14 सूत्रीय समस्याओं का ज्ञापन

चीनी मिल में पेराई सत्र बाधित होने की सूचना पर चीनी निगम के प्रबंध निदेशक विमल दूबे ने एक दिन पहले मिल का निरीक्षण किया। इस दौरान किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल ने समस्याओं को लेकर 14 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मिल में अनियमिताओं को उजागर करते हुए कहा गया है परियोजना में जमकर धांधली की गई है। करोड़ों के खरीदे हुए अत्याधुनिक उपकरण घटिया किस्म के है। कमीशन लेकर हुई इस खरीद फरोख्त की उच्चस्तरीय जांच कराकर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए। इसके साथ ही किसानों की समस्याओं के साथ मिल का नियमित संचालन सुनिश्चित किया जाए।