प्रधानमंत्री लाइट हाउस प्रोजेक्ट सपनों से खिलवाड़

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प्रधानमंत्री लाइट हाउस प्रोजेक्ट सपनों से खिलवाड़
प्रधानमंत्री लाइट हाउस प्रोजेक्ट सपनों से खिलवाड़

प्रधानमंत्री लाइट हाउस प्रोजेक्ट के लाभार्थी झेल रहे हैं, दोहरी मार। चाभी वितरण के नाम पर लाभार्थियों की भावनाओं और सपनों के साथ हुआ खिलवाड़।लाइटहाउस प्रोजेक्ट में मिले फ्लैट के लोन की किस्त।ऐसी स्थिति में लाभार्थियों को पैसे की दोहरी मार पड़ रही है। प्रधानमंत्री लाइट हाउस प्रोजेक्ट सपनों से खिलवाड़

अजय सिंह

लखनऊ। राजधानी लखनऊ में बने प्रधानमंत्री लाइट हाउस प्रोजेक्ट का लोकार्पण दिनांक 10 मार्च को दो दिवसीय दौरे पर आए प्रधानमंत्री मोदी ने आजमगढ़ से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लाइट हाउस प्रोजेक्ट का लोकार्पण कर दिया,लाइट हाउस प्रोजेक्ट का लोकार्पण के वक्त लाभार्थियों के चेहरे की खुशी देखते ही बन रही थी। इस मौके पर विधायक श्रीमती जया देवी ने कहा कि दुर्बल आय वर्ग के लोगों के घर का सपना सरकार साकार कर रही है, निदेशक सूडा डा. अनिल कुमार पाठक ने उपस्थित लाभार्थियों को संबोधित करते हुए कहा था कि राज्य नगरीय विकास अभिकरण सूडा द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के अंतर्गत लाइट हाउस प्रोजेक्ट का निर्माण कराया गया है। उक्त योजना में 1,040 आवास बनाए गए हैं। इन आवासों के निर्माण में नवीनतम तकनीकी का प्रयोग किया है। ये मकान आपदारोधी व पर्यावरण के अनुकूल हैं।निदेशक सूडा ने कहा कि जल्द ही कैम्प का आयोजन किया जाएगा और लाभार्थियों की कागजी खानापूर्ति पूरी करके जल्द से जल्द उनके आवासों का कब्जा दिया जाएगा। प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के अंतर्गत निर्मित लाइट हाउस प्रोजेक्ट के लोकार्पण के साथ ही अवध विहार योजना में लाभार्थियों को सांकेतिक चाबी वितरण किया गया।

बता दें कि लाइट हाउस प्रोजेक्ट में 34.50 वर्गमी. कारपेट एरिया के कुल 1040 फ्लैट बने हैं,जो स्टिल्ट प्लस 13 प्रकार के चार बहुमंजिला ब्लाकों में निर्मित हैं। इसके साथ ही कम्यूनिटी सेन्टर, कॉमर्शियल सेन्टर, सीवरेज ट्रीटमेन्ट प्लान्ट (एसटीपी), पेयजल, डे्रनेज, आन्तरिक सडकें, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, सोलर लाईट, खुले हरित क्षेत्र,पार्किंग सुविधाएँ भी मिलेगी। इस परियोजना की कुल निर्माण लागत 130.90 करोड़ रुपए है, जिसमें प्रति आवास की लागत 12.59 लाख रुपए है। परियोजना में भारत सरकार द्वारा केन्द्रांश 1.50 लाख रुपए के अतिरिक्त केन्द्रीय टीआईजी के रूप में 4.00 लाख रुपए अतिरिक्त दिया गया है। इसी प्रकार राज्य सरकार द्वारा राज्यांश 1.00 लाख रुपए के अतिरिक्त राज्य टीआईजी के रूप में 1.33 लाख रुपए राज्य सरकार द्वारा दिया गया है। इस प्रकार परियोजना में कुल 7.83 लाख रुपए प्रति आवास का शासकीय अनुदान दिया गया है। शेष धनराशि 5.26 लाख रुपए लाभार्थी को देना होगा, इस परियोजना में निर्मित 1040 फ्लैटों का आवंटन नियमानुसार पूरा कर लिया गया है।अधिकांश लाभार्थियों ने बैंक से लोन भी करवा लिया है।अब समस्या यह उत्पन्न हो रही है कि जो भी दुर्बल आय के लाभार्थी हैं।इनको दोहरी मार झेलनी पड़ रही है एक तरफ मकान का किराया जहां पर वह वर्तमान समय में रह रहे हैं,और दूसरी तरफ लाइटहाउस प्रोजेक्ट में मिले फ्लैट के लोन की किस्त।ऐसी स्थिति में लाभार्थियों को पैसे की दोहरी मार पड़ रही है।

इस संबंध में जब संबंधित विभाग जिम्मेदार अधिकारियों से बात पूछी जाती है तो टेक्निकल दिक्कत की बात का करके टाल देते हैं।जबकि 10 मार्च 2024 को चाबी वितरण के कार्यक्रम के दौरान निदेशक सूडा डा.अनिल कुमार पाठक ने कहा था कि एक सप्ताह के बाद सभी लोगों को चाबी वितरण शुरू कर दिया जाएगा, लेकिन आज तक लाभार्थियों को चाबी नहीं मिली।
ऐसी स्थिति में यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकार ने केवल लोकसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ लेने के मान्सा से गरीबों की भावनाओं के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ किया है।
इस जबरदस्त महंगाई के दौर में पैसे की दोहरी मार झेल रहे गरीबों की वर्तमान स्थिति पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है।सबसे बड़ी बात यह है कि निदेशक सूडा डा.अनिल कुमार पाठक का सीयूजी नंबर लगातार स्विच ऑफ ही आता है। ऐसी स्थिति में जिम्मेदार अधिकारियों से संपर्क करना बड़ा ही कठिन नजर आता है। अगर विभाग के अन्य अधिकारियों से इस संबंध में बात की जाए तो हर एक अधिकारी दूसरे अधिकारी के ऊपर पल्ला झाड़ता नजर आता है।अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी जी ने इस प्रोजेक्ट का लोकार्पण दिखावे के लिए किया था।

बता दें कि इस प्रोजेक्ट को वर्ष 2022 में ही पूरा करना था लेकिन सरकार की लापरवाही की वजह से यह प्रोजेक्ट 2024 में जाकर के पूरा हुआ है, लेकिन अभी भी लाभार्थियों को उनके फ्लैट की चाभियां नहीं मिली है। फ्लैट की चाबी और कब्जा लेटर के लिए लाभार्थी लगातार डूडा ऑफिस के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन वहां के कर्मचारी और अधिकारी किसी भी प्रकार का स्पष्ट जवाब नहीं दे पा रहे हैं कि उन्हें कब तक फ्लैट की चाबी दी जाएगी।ऐसे में सवाल यह उठना है यह क्या सरकार केवल राजनीतिक लाभ के लिए लाभार्थियों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है।अब देखने वाली बात यह होगी कि लाइट हाउस प्रोजेक्ट के लाभार्थियों को कब तक या दोहरी मार झेलनी पड़ती है।

क्योंकि लाभार्थियों को मकान का किराया और लाइटहाउस प्रोजेक्ट में मिले फ्लैट की किस्त दोनों ही भारी पड़ रही है। वर्तमान समय में महंगाई ने आम जनमानस की कमर तोड़ दी है,महंगाई अपनी चरम सीमा पर है और ऐसी स्थिति में यदि फ्लैट की चाबी देने में सरकार के द्वारा देर की जा रही है,तो इसका पूरा दोष सरकार पर और विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को जाता है। जिन्हें गरीब आम जनमानस की दुःख दर्द से कोई मतलब नहीं,केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए गरीबों का इस्तेमाल करने से मतलब है,जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रधानमंत्री लाइट हाउस प्रोजेक्ट के लाभार्थियों को उनके सपनों के आशियाने की चाबी कब तक मिलती है।जब तक उन्हें उनके आशियाने की चाबी नहीं मिलती,तब तक उन्होंने यह पैसे की दोहरी मार झेलनी ही पड़ेगी।अब सवाल उठता है कि इस लापरवाही की जिम्मेदारी कौन लेगा, क्या केंद्र सरकार और राज्य सरकार इसकी जिम्मेदारी लेगी या फिर सूडा और डूडा के जिम्मेदार अधिकारी, यह सबसे बड़ा सवाल है। प्रधानमंत्री लाइट हाउस प्रोजेक्ट सपनों से खिलवाड़