बजट में रोजगार सृजन नही कर्मचारियो में निराशा-सुनील

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बजट में रोजगार सृजन नही कर्मचारियो में निराशा-सुनील
बजट में रोजगार सृजन नही कर्मचारियो में निराशा-सुनील

27 पेज, 97 पैरा के बजट भाषण में सरकारी कर्मियों का कोई उल्लेख नहीं। बजट में ठेकेदारी प्रथा और संविदा की जगह स्थाई रोजगार सृजन की घोषणा नही होने से कर्मचारियो में निराशा। 35 लाख फार्मेसिस्टों की तकनीकी क्षमता का जनता को कैसे मिलेगा फायदा। अन्य योजनाओं की तरह सभी को चिकित्सा और स्वास्थ्य का अधिकार भी मिलना चाहिए। बजट में रोजगार सृजन नही कर्मचारियो में निराशा-सुनील

अजय सिंह

लखनऊ। भारत सरकार का अंतरिम बजट कर्मचारी हित के मामले में निराशाजनक है । पूरे बजट में कर्मचारियों के हित के लिए कोई घोषणा नहीं है । पुरानी पेंशन की घोषणा नहीं की गई, संविदा प्रथा और ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करने के स्थान पर बढ़ावा दिया जा रहा है, स्थाई रोजगार सृजन ना होने से तकनीकी योग्यता धारक लोगों को अल्प वेतन और भविष्य की असुरक्षा के बीच कार्य करना पड़ रहा है। सरकार आमजन के लिए अनेक योजनाएं लेकर आ रही है लेकिन सभी के लिए स्वास्थ्य और चिकित्सा का अधिकार भी लागू किया जाना जनहित में है। ये पूरा देश मानता है कि आपदा काल में देश का सरकारी कर्मी और फार्मा उद्योग ने बड़ी जनहानि को रोका था,देश का नाम विश्व पटल पर स्वर्णाक्षरों में लिखा गया, लेकिन 27 पेज के 97 पैरा वाले बजट भाषण में वित्त मंत्री जी द्वारा एक बार भी सरकारी कर्मियों के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया।

कर्मचारी सरकार की नीतियों का पालन करता है और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है, लेकिन कर्मचारियों को हमेशा ही सौतेलेपन का शिकार होना पड़ता है अधिकांश सरकारी कर्मी इस देश के मध्यम वर्ग का नागरिक है जो देश की अर्थव्यवस्था का मूल आधार है। सरकारी कर्मचारी सबसे ज्यादा इनकम टैक्स देने वाला होता है और सबसे ईमानदारी के साथ आयकर का भुगतान करता है इसलिए हमेशा यह आशा रहती है कि सरकार अपने बजट में सरकारी कर्मचारियों के लिए भी कुछ ना कुछ राहत देगी और उनके विकास के लिए कुछ ना कुछ योजना लेकर आएगी।

प्रदेश में वायरल संक्रमण से बीमारियों की बाढ़-अंशू अवस्थी
अंशू अवस्थी प्रवक्ता, कांग्रेस

भाजपा ने इस बार भी देश के युवाओं, किसानों और मध्यवर्ग को धोखा दिया

वादा कर वोट देश के युवाओं से नौकरियों के नाम पर लिया गया था ,लेकिन काम सिर्फ उद्योगपतियों के लिए हुआ निजीकरण कर, और 14 लाख करोड़ कर्ज पूजीपतियों का माफ हुआ, किसानों से दुगनी आय का वादा था लेकिन अपने उद्योगपति मित्र के लिए नीतियां बनाकर 1600 करोड रुपए रोज कर दी, और किसान की आय घटकर 27 रुपए रोज रह गई, देश के मध्यम वर्ग और महिला सुरक्षा के प्रति सरकार ने पिछले 10 साल से लगातार धोखा दिया, प्रधानमंत्री जी अपने को गरीब परिवार से और पिछड़ा बताते हैं लेकिन इस बजट में भी गरीबों को और दलितों -पिछड़ों को छला गया । इस बजट से देश को समझ आ गया है कि भाजपा के पास देश के युवाओं, किसानों, आम आदमी, और महिलाओं के लिए काम करने की कोई नियत और इच्छा शक्ति और नियत नही है, 2024 में भाजपा मोदी सरकार की विदाई पक्की हो गई है


देश में फार्मेसी क्षेत्र में अपर संभावनाएं हैं, तकनीकी रूप से श्रेष्ठ मानव संसाधन’फार्मेसिस्ट’ उपलब्ध हैं । देश में ड्रग रिसर्च, निर्माण, औषधि व्यापार, चिकित्सालयों में फार्मेसिस्ट की अनिवार्यता के साथ चिकित्सालयों में फार्माकोविजिलेंस की घोषणा आवश्यक थी। देश में लगभग 35 लाख योग्य फार्मा तकनीकी योग्यता धारक है,आखिर इनकी तकनीकी क्षमता का उपयोग कहां होगा यह विचारणीय है। बजट में मेडिकल कॉलेज बनाए जाने की घोषणा तो की गई है लेकिन वर्तमान ढांचा का उपयोग करते हुए।व्यवहारिक रूप से वर्तमान ढांचा को मेडिकल कॉलेज बनाए जाने पर जनता को निःशुल्क औषधियां, निशुल्क इलाज और सुविधाएं जो पूर्व से उपलब्ध हो रहीं थीं, उसके बारे में कोई योजना नहीं होती, वहीं कर्मचारियों के पदों में बड़ी विषमता पैदा हो जाती है। बजट में स्थाई रोजगार की घोषणा नहीं है, कर्मचारी कल्याण की घोषणा नहीं हुई है अतः यह बजट कर्मचारी हितों के प्रतिकूल है। बजट में रोजगार सृजन नही कर्मचारियो में निराशा-सुनील

सुनील यादव
अध्यक्ष
फार्मेसिस्ट फेडरेशन
पूर्व चेयरमैन
स्टेट फार्मेसी काउंसिल उत्तर प्रदेश
प्रमुख उपाध्यक्ष राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश