2022 का क्या होगा

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एक अच्छी ख़ासी वैचारिक रूप से समृद्ध पार्टी जब सत्ता के लिए समझौते कर बैठती है तो ऐसी मूर्खता नेतृत्व करने लगती है. कट्टरता सदैव विनाशकारी रही है. समाज, संस्कृति, सद्भाव, सम्प्रदाय, सहिष्णुता जब कोने में जाने की विवशता को अभिशप्त होती है, तब ऐसे अनपढ़ गौरव के प्रतीक जाने और माने जाने लगते हैं. 86 लाख और 46 लाख का फ़र्क नहीं समझने वाले …… के लिए होर्डिंग्स की भरमार के बीच आज उत्तर प्रदेश की राजधानी सहमी रही.

फिर बोले योगी के मंत्री उपेन्द्र तिवारी- नरेंद्र मोदी भगवान का रूप, धरती पर एक बार जन्म लेता है ऐसा महापुरुष.

धर्म की बिसात पर अपना सियासी साम्राज्य खड़ा कर चुकी भगवा ब्रिगेड जवाबदेही के मोर्चे पर बिखर गई है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सांसद रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी भगवा ब्रिगेड से पहले प्रधानमंत्री बने. सभी सियासी दलों में आदरणीय रहे वाजपेयी जी एक दिन नहीं रहे. ये 16 अगस्त 2018 का एक बुरा दिन था. भाजपा ने अपने संस्थापक अध्यक्ष के अंतिम संस्कार को एक मेगा इवेंट बना दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत पूरी भाजपा अंतिम विदाई में बहुत दूर तक पैदल चली. मीडिया के हर हिस्से में बस अटलजी के प्रयाण की तस्वीरें थीं. सत्ताधारी मोदी और भाजपा ने दिखाया कि अपने बुजुर्ग को अंतिम विदाई कैसे दी जाती है.

दीपावली की आहट है. अँधेरों से लड़ने के लिए रौशनी के समंदर सज रहे हैं. चीन के राष्ट्रपति के साथ झूला झूलने वाले मोदी ने फिर से वोकल फॉर लोकल का तराना छेड़ दिया है. उत्तर प्रदेश की सियासत में अपनी सरकार को बचाए रखने की जद्दोजहद में मोदी यूपी यूपी खेल रहे हैं. उन्होंने लोगों से अपील की कि धनतेरस से लेकर दीपावली की खरीददारी स्वदेशी ही करें.

कुछ लोग मेरी इवेंट वाली बात से नाराज़ हो सकते हैं. लेकिन इवेंट कहने के पीछे वज़ह है. और वो वज़ह है महंत जी की सरकार द्वारा अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय की स्थापना. बड़े जोर शोर से घोषणा तो हो गई लेकिन हासिल की ज़मीन पर नतीजा बस मुँह चिढ़ा रहा है. अटल जी के नाम पर स्थापित चिकित्सा विश्वविद्यालय समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया के नाम पर चल रहे आयुर्विज्ञान संस्थान के नवें फ़्लोर पर रेंग रहा है. आप बस इसी से अंदाज़ा लगाईये की योगी सरकार विकास के कितने सोपान रचे होंगे. तरक्क़ी की कितनी इबारतें उसको चिढ़ा रही होंगी.

समाजवादियों के दिख रहे कामों पर भगवा पोत कर काम चला रही सरकार अखिलेश यादव के काम पर, अपने नाकाम पर सन्नाटे में जाने को मज़बूर है. और उसकी यही मज़बूरी राष्ट्रवाद के झूठे कथानक रचती है. उसको हिन्दुत्व के ख़तरे का पुराण रचना पड़ता है. आईएसआईएस जैसे दुनिया के कुख्यात आतंकवादी संगठन के कथित आतंकियों के पास से प्रेशर कुकर वाला बम बरामद करवाता है. यही मज़बूरी उत्तर प्रदेश के भगवाधारी मुख्यमंत्री को सर्जिकल स्ट्राइक जैसी घोषणाएं करवाता है. ऐसी घोषणा जो देश का गृहमंत्री कर सकता हो या फिर प्रधानमंत्री. लेकिन उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री जिसके पास सेना नहीं है, वो भी सर्जिकल स्ट्राइक के हास्यास्पद घोषणाएं करता है.

भारत में शासन कर रहे लोगों का एक विशाल तंत्र है. और उस तंत्र की शाखाएं लगभग हर क्षेत्र में है. फ़िलहाल तो पिछले सात सालों से तो उनकी केंद्र में सरकार भी है. ये तंत्र आम लोगों को अपने राष्ट्रवाद का चूरन बेचता है. ये राष्ट्रवादी चूरन खाकर आम जनता चीन को गालियां देने लगती है. पाकिस्तान की तो पूरी जान लेने पर ही आमादा हो जाती है.लेकिन इस चूरन की सप्लाई सरकार और सरकारी लोगों को नहीं होती. दिल्ली के रायसीना हिल्स में बैठे नरेंद्र मोदी तमाम सरकारी ठेके चीनी कंपनियों को देते हैं. चीन से व्यापारिक रिश्ते बढ़ाने के लिए नए नए पैंतरे आजमाए जाते हैं. सरदार वल्लभ भाई पटेल की विश्व रिकॉर्डधारी मूर्ति के लिए चीन का मुंह देखा जाता है. लेकिन सरकारी रीति नीति के चलते संसाधनों से हक़ खोता जा रहा आम आदमी चीन के सस्ते उत्पादों से अपनी दिवाली रोशन ना कर ले, इसका भरपूर इंतज़ाम है. उसके लिए फिर से राष्ट्रवाद का सस्ता संस्करण लांच किया गया है.

चुनावों की दहलीज़ पर खड़े उत्तर प्रदेश में पाकिस्तान का राग अलापा जाता है. अपने झूठ दूसरों के मुंह में डाले जाते हैं. एक बार फिर जिन्ना का भूत खड़ा हो गया है. मुहम्मद अली जिन्ना को लेकर अखिलेश यादव को निशाना बनाया जा रहा है. वज़ह साफ है कि अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की उम्मीद बनते दिख रहे हैं. और उम्मीद से बैठी एक पार्टी अपने गर्भपात को लेकर बुरी तरह से डरी हुई है.

सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर उनको श्रद्धांजलि देते हुए अखिलेश यादव ने जिन्ना को लेकर कुछ भी आपत्तिजनक नहीं कहा. लेकिन एक पूरी ज़रूरत से ज्यादा पढ़ी लिखी सुनी जमात कौआ कान लेकर भाग गया की तर्ज़ पर खून खौलाए जा रही है. शब्दों के बाण चलाए जा रहा है. मैं वीडियो लगा रहा हूँ, आप देखें और मन मस्तिष्क साफ करें. दिवाली में दिवाला निकालने वाले लोगों के षड़यंत्र को समझने के लिए यह वीडियो क्लिप एक नज़ीर है.

भला भगवान झूठ बोला करते हैं. लेकिन मोदी कालीन भाजपा के नव विदूषकों को क्या कहिएगा. आप तो बस इतना करिए कि अपनी मज़बूरियों पर मुस्कुरा लीजिए. वो क्या है ना, जिनको आपने वोट दिया था, वो अट्टहास कर रहे हैं. एक दूसरे को संत, भगवान की उपाधियां बाँट रहे हैं. घबराइए मत 5 किलो अनाज की बोरी फिर से बंटने वाली है. फिर से बंटने के करोड़ों के विज्ञापन चमकने वाले हैं. फिर से उपेन्द्र तिवारी दिल्ली वाले साहेब को अवतार कहने वाले हैं.

—– डॉ0 अम्बरीष राय