जब अम्बेडकर को बिना भाषण दिए वापस जाना पड़ा

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1930 में लखनऊ के बेगम हज़रत महल पार्क में शूद्र जातियों का सम्मेलन था।जिसमें अम्बेडकर भी आये थे जिन्हें बिना भाषण दिए वापस भागना पड़ा।कारण कि आयोजक मण्डल सभी शूद्र जातियों के आरक्षण व मताधिकार का एक समान वकालत कर रहा था,परन्तु अम्बेडकर जी ने साइमन कमीशन व लोथियन कमेटी/मताधिकार समिति के सामने अपना पक्ष रखे,उसमे सिर्फ और सिर्फ अछूत व आदिम पिछड़ी जातियों के आरक्षण/प्रतिनिधित्व व मताधिकार के पक्ष में अपनी दलील रख रहे थे,जिसका उत्तर भारत के शूद्र नेताओं ने विरोध किया और सम्मेलन में उन्हें बोलने से रोक दिया।6 दिसम्बर 1928 को साइमन कमीशन के समक्ष शोषितों के हितों के लिए जो गवाही देने गए उसमें बाबू रामचरण लाल निषाद एडवोकेट एमएलसी, बाबू खेमचंद पयरव एमएलसी सभापति-अखिल भारतीय जाटव महासभा,बाबू नानकचन्द धुसिया सभापति आदि हिन्दू सभा उत्तर प्रदेश, मुंशी हरि टम्टा चेयरमैन-कुमायूँ शिल्पकार सभा,भगत मुल्लूराम,बाबू शिवदयाल सिंह चौरसिया एडवोकेट, बाबू रामप्रसाद अहीर प्लीडर अवध कोर्ट,बाबू चेतराम,बाबू राजाराम कहार आदि शामिल थे,जो सभी शूद्रों के समान अधिकार दिए जाने के हिमायती थे।लेकिन अम्बेडकर सिर्फ अछूतों की हिमायती थे।उक्त सभी प्रतिनिधि अम्बेडकर के ही साथ थे,पर अम्बेडकर द्वारा सछूत व अछूत पिछड़ी जातियों में भेदभाव करने के कारण उनके विरोध में खड़े हो गए।