अबकी बार निषाद किसके बनेंगे खेवनहार

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लौटनराम निषाद
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“निषाद जिसके साथ, सत्ता की चाभी उसके हाथ

उत्तर प्रदेश में निषाद जातियों के पास चुनाव को परिवर्तित करने की ताकत है।निषाद बहुजातियों में विभक्त बङा समाज है।पूर्वांचल में मुख्यरूप से मल्लाह,केवट, बिन्द;पश्चिम में कश्यप,मल्लाह,
निषाद,बाथम, तुरैहा,धीमर/धीवर; मध्य क्षेत्र में निषाद,कश्यप और बुन्देलखण्ड में निषाद, रायकवार के नाम से जने जाते हैं।प्रदेश के कई जिलों में निषाद और लोधी/किसान में बहुत ही घनिष्ठ सम्बंध है।लोकसभा चुनाव में निषाद किसके खेवनहार बनेंगे,अभी भविष्य के गर्भ में है।राम की नैया को पार लगाने वाले निषाद केवट कई चुनावों से भाजपा के खेवनहार बनते रहे हैं,लेकिन 17 अतिपिछड़ी जातियों के आरक्षण मुद्दे पर भाजपा सरकार द्वारा कोई सकारात्मक निर्णय न लिये जाने से निषाद जातियाँ भाजपा से काफी नाराज चल रही हैं।

उत्तर प्रदेश के जातिगत समीकरण में निषाद

सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश के जातिगत समीकरण में उत्तर प्रदेश में पिछड़ावर्ग की ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी 54.05 प्रतिशत है। 13 पिछड़ी जातियों की आबादी 1 प्रतिशत से अधिक है। निषाद, कश्यप ग्रामीण व नगरीय दोनों क्षेत्रों में समान रूप से पाई जाती हैं,इसके साथ विश्वकर्मा,नाई,साहू भी समान रूप से ग्रामीण व नगरीय अंचल में बसी हैं।जबकि यादव, कुर्मी-पटेल, काछी/कुशवाहा/शाक्य/कोयरी/मौर्य, जाट,लोधी,राजभर,पाल,चौहान ग्रामीण क्षेत्र में पाई जाने वाली जातियाँ है। उत्तर प्रदेश के जातिगत समीकरण में ग्रामीण क्षेत्र की कुल आबादी में यादव-10.48%, निषाद/मछुआ-7.98%,कुशवाहा/शाक्य/सैनी/मौर्य -4.85%, कुर्मी-पटेल-4.01%,लोधी/किसान-3.61%,पाल/बघेल- 2.38%,जाट-1.94%,विश्वकर्मा(बढ़ई, लोहार,पांचाल)-1.72%,साहू/तेली-1.61%,राजभर-
1.31%,चौहान-1.26%,नाई/सविता/श्रीवास-1.01% हैं।शहरी व ग्रामीण जनसंख्यानुपात में निषाद 10% से अधिक व यादव 10% के अंदर होंगे।


लोकसभा चुनाव के निषाद उम्मीदवार-

समाजवादी पार्टी ने संत कबीर नगर से लक्ष्मीकांत पप्पू निषाद, सुल्तानपुर से राम भुवाल निषाद, गोरखपुर से काजल निषाद, मिर्जापुर से राजेन्द्र एस. बिन्द व शाहजहांपुर से राजेश कश्यप और भाजपा ने आंवला से धर्मेन्द्र कश्यप, भदोही से डॉ. विनोद कुमार बिन्द,संत कबीर नगर से प्रवीण कुमार निषाद, फतेहपुर से साध्वी निरंजन ज्योति निषाद को अपना उम्मीदवार बनाया है।

विधायिका में निषाद प्रतिनिधित्व-

वर्तमान लोकसभा में भाजपा से 4 लोकसभा व राज्यसभा सांसद, 2 एमएलसी,सपा से 1 एमएलसी,योगी आदित्यनाथ सरकार 1-1 कैबिनेट, स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री व राज्यमंत्री हैं, वहीं भाजपा से 6 व सपा से 2 विधायक हैं।


निषाद,बिन्द,कश्यप प्रभावित लोकसभा क्षेत्र-

उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या में पिछड़ी जातियों में सबसे बङा जाति समूह निषाद मछुआ जातियों का है।उत्तर प्रदेश की 80 में 54 लोकसभा व 169 विधानसभा क्षेत्र निषाद प्रभावित क्षेत्र हैं,जहां हार-जीत का निर्णय निषाद-मल्लाह, केवट,कश्यप, बिन्द,बाथम,रायकवार करते हैं। अस्सी में 23 सीटें ऐसी हैं जहां निषाद मछुआ जातियों के 2 से 4.5 लाख तक मतदाता हैं।इन लोकसभा सीटों पर मल्लाह, बिन्द, कश्यप, केवट मतदाता ही चुनाव परिणाम में निर्णायक भूभिका निभाते हैं।इन सीटों में गोरखपुर,महाराजगंज,संतकबीरनगर,डुमरियागंज,अम्बेडकरनगर,जौनपुर,बांसगांव,भदोही,मिर्जापुर,प्रयागराज,फतेहपुर,आंवला,फतेहपुर सिकरी,हमीरपुर, बांदा-0चित्रकूट,शाहजहांपुर,बहराइच,अयोध्या,चंदौली,फिरोजाबाद, इटावा व अकबरपुर-रनिया शामिल हैं।जिन लोकसभा क्षेत्रों में 1.25 लाख से 2 लाख तक निषाद समूह की जातियों के.मतदाता हैं,उसमें 31 लोकसभा की सीटें शामिल हैंबलिया,गाजीपुर,सलेमपुर,वाराणसी,मछलीशहर, फूलपुर,
कौशाम्बी,प्रतापगढ़,उन्नाव,जालौन,कन्नौज,फर्रुखाबाद,एटा,धौरहरा,बाराबंकी,श्रावस्ती,शामली,कैराना,मुजफ्फरनगर,बागपत,
पडरौना,कैसरगंज,पीलीभीत, बदायूं,राबर्ट्सगंज, आजमगढ़,
लालगंज,गोंडा,बस्ती शामिल हैं।


निषादों का नेता लौटनराम या संजय निषाद…?

चौ.लौटनराम निषाद लगभग तीन दशक निषाद मछुआ समुदाय की जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिलाने व मछुआरों के परम्परागत पुश्तैनी पेशे-मत्स्यपालन,बालू-मोरम खनन पट्टा के लिए संघर्ष करते आ रहे हैं।प्रदेश में यदि चर्चित निषाद नेताओं की बात की जाये तो लौटनराम निषाद व निषाद पार्टी के अध्यक्ष सह मत्स्यमंत्री संजय निषाद का नाम अक्सर चर्चा में रहता है।लौटनराम निषाद की पहचान निषाद के साथ-साथ बहुजन नेता व सामाजिक न्याय की मुखर आवाज के रूप में है। लौटनराम जहां समाजवादी पार्टी के साथ हैं तो संजय निषाद एनडीए के हिस्सा हैं। संजय निषाद उस समय चर्चा में आये जब कसरवल में निषाद आरक्षण आन्दोलन में इटावा के अखिलेश निषाद की गोली लगने से मौत हो गयी।संजय निषाद जहां भाजपा सरकार को श्रीराम-निषादराज की मित्रता वाली रामराज की बात करते हैं,वहीं लौटनराम निषाद भाजपा पर राम को शरण देने व गंगा पार कराने वाले निषादराज के वंशजों के साथ वादाखिलाफी व धोखाधङी करने व फूलन देवी के हत्यारे को बचाने व निषाद मछुआरों का परम्परागत अधिकार छीनने वालों की सरकार बताते हैं।

  1. 1926 में जब डाॅ.अम्बेडकर बाम्बे प्रेसीडेंसी एम एल सी बने थे,उस समय संयुक्त प्रान्त से कोर्ट ऑफ अवध के वकील बाबू रामचरणलाल मल्लाह भी एमएलसी बने थे।
  2. 1977 में बाबू मनोहरलाल निषाद एडवोकेट कानपुर व जयपाल सिंह कश्यप एडवोकेट आंवला से सांसद बने थे।
  3. 1952 के आम चुनाव में गाँधी जी के शिष्य प्रभुदयाल विद्यार्थी बांसी-बस्ती से विधायक निर्वाचित हुए।

टाॅप ट्वेंटी निषाद बाहुल्य लोकसभा क्षेत्र– गोरखपुर,संतकबीरनगर, अम्बेडकरनगर,सुलतानपुर, मिर्जापुर,फतेहपुर,भदोही,जौनपुर,प्रयागराज,फतेहपुर सिकरी,शाहजहांपुर,बागपत,फिरोजाबाद,फर्रुखाबाद,बहराइच,आंवला,चंदौली,इटावा,हमीरपुर,बांसगांव।इन लोकसभा क्षेत्रों में 2 लाख से 4.5 लाख निषाद(मल्लाह,केवट,बिन्द,कश्यप) मतदाता हैं।