बिजली संकट की आशंका क्यों नहीं …?

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देश भर के थर्मल पावर प्‍लांट में कोयले की कमी से जुड़ी रिपोर्ट सामने आने के बीच देश के ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने कहा था कि बिजली संकट अगले छह महीने रह सकता है।पिछले कुछ दिनों से उत्‍तर प्रदेश समेत कई राज्‍यों में घंटों बिजली कटौती हो रही है। राज्‍य सरकारें आगामी बिजली संकट को भांपकर केंद्र सरकार से गुहार लगा रही है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने अब कहा है कि सब ठीक है। सारी आशंकाओं को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने ‘निराधार’ करार दिया है।

कोल इंडिया के मुख्यालय पर 4.3 करोड़ टन कोयले का भंडार है जो 24 दिन की कोयले की मांग के बराबर है। देश में बहुत से थर्मल पावर प्लांट कोयले की खान के पास स्थित हैं। इस वजह से उनके पास कोयले का स्टॉक रखना जरूरी नहीं है। अगर वे अपनी रोजाना की जरूरत के हिसाब से भी कोयले का खनन करते रहें और उसे अपने पावर प्लांट तक लाते रहें तो बिजली के प्रोडक्शन और उसकी आपूर्ति में कोई दिक्कत नहीं है।देश में कई थर्मल पावर प्लांट ऐसे हैं जिन्होंने नजदीकी कोयले की खान तक अपने लिए विशेष पटरी बिछा रखी है। उन्होंने अपनी मालगाड़ी बना रखी है और रेलवे से इंजन खरीद लिया है। कोयले के खनन से लेकर पावर प्लांट तक उसे लाने और कोयले से बिजली बनाने संबंधी सभी प्रक्रिया के लिए उन्हें किसी से मंजूरी लेने या किसी को भुगतान करने की जरूरत नहीं है। इस हिसाब से इन थर्मल पावर प्लांट में कोयले का स्टॉक नहीं होने के बाद भी उसकी किसी यूनिट को बिजली के प्रोडक्शन संबंधी कोई दिक्कत झेलनी नहीं पड़ेगा।

कोयला मंत्रालय का बयान

कोयला मंत्रालय ने एक बयान में कहा,कोयला मंत्रालय आश्वस्त करता है कि बिजली संयंत्रों की जरूरत को पूरा करने के लिए देश में कोयले का पर्याप्त भंडार है। इसकी वजह से बिजली संकट की आशंका पूरी तरह गलत है।


कोयले की खान के पास मौजूद हैं पावर प्लांट

कई थर्मल पावर प्लांट ऐसे हैं जिन्हें सरकार ने कोयले की खान आवंटित कर रखी है। इसके साथ ही अपनी जरूरत के लिए वे थर्मल पावर प्लांट किसी भी समय कोयले का खनन कर सकते हैं और उसे अपने खान से प्लांट तक ला सकते हैं। उसके लिए उन्हें बाहरी किसी स्रोत पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। भारत के पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोल रिजर्व मौजूद है। भारत में बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ में मौजूद कई पावर प्लांट कोयले की खान के बिल्कुल पास स्थित हैं। इस वजह से प्लांट में कोयले का स्टॉक नहीं रह पाना उनके प्लांट के बंद रहने की वजह नहीं हो सकता।

थर्मल पावर प्लांट में कोयले की जरूरत

थर्मल प्लांट में बिजली उत्पादन और कोयले की खपत का हिसाब-किताब इस उदाहरण से समझ सकते हैं। एनटीपीसी के कहलगांव बिजली घर को ही ले लीजिए। वहां 2100 मेगावाट की इलेक्ट्रिसिटी प्रॉडक्शन कैपिसिटी है। वहां एक दिन में करीब 35000 टन कोयले की जरूरत पड़ेगी, मतलब कि करीब आठ मालगाड़ी कोयले की जरूरत होगी। कोयले की इतनी जरूरत पूरी करने के लिए प्लांट के पास मौजूद कोयले की खान और उनकी अपनी ट्रेन काफी है।

राज्यों में बढ़ी घबराहट

बिजली संकट की आशंका को देखते हुए कई मुख्‍यमंत्र‍ियों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। दिल्‍ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर दखल देने की मांग की है। आंध्र प्रदेश और पंजाब के मुख्‍यमंत्रियों ने भी केंद्र को चिट्ठी भेजी है।