विपक्षी दलों को सरकारी बुलडोजर से डर क्यों-स्वतंत्र देव सिंह

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2024 के लोकसभा चुनाव परिणाम के बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी, किंतु इतना कहा जा सकता है कि राजग विरोधी दलों की आशावादिता का अभी कोई ठोस आधार नजर नहीं आ रहा है।

हिमांशु दुबे

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने मंगलवार को विपक्षी दलों पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि मातृभूमि के वीरों का सम्मान और उनकी स्मृति में बनाए जा रहे संस्थान भी समाजवादी पार्टी के मुखिया को ढ़ोग लगते है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा अलीगढ़ में जाट सम्राट राजा महेन्द्र प्रताप सिंह के सम्मान में बनाए जाने वाला विश्वविद्यालय अगर अखिलेश को ढोंग लगता तो यह उनकी संकीर्ण मानसिकता का परिचायक है।


भाजपा अध्यक्ष ने सपा प्रमुख से सवाल किया कि वे खुद बताएं कि अपने शासन काल में उन्होंने इस तरह का ढ़ोग कब किया था? असलियत यह है कि सपा के शासन काल में देश के इतिहास में दर्ज महापुरूषों की यादगार को चिर स्थायी बनाने का कोई भी प्रयास नहीं किया गया। इसलिए अब जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार और प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार प्रदेश में महापुरूषों के नाम पर बडे़-बडे़ संस्थान आदि का निर्माण कर रही है तो विपक्ष को यह रास नहीं आ रहा है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जाति और संप्रदाय की राजनीति करने वाले देश के स्वर्णिम इतिहास के बारे में कुछ नहीं जानते। उन्हें सिर्फ और सिर्फ अपने वोट बैंक की चिंता रहती है।  

आज की राजनीतिक स्थिति यह है कि नरेंद्र मोदी का पलड़ा भारी लगता है। मोदी के 40 प्रतिशत वोटों के खिलाफ प्रतिपक्ष के 60 प्रतिशत मतों की गोलबंदी विपक्षी कोशिशों के केंद्र में है। हालांकि यह दिवास्वप्न की तरह ही लगता है। पिछले चुनाव में कई राज्यों में राजग को 50 प्रतिशत वोट मिल चुके हैं। कुछ अन्य राज्यों में राजग के खिलाफ प्रतिपक्ष की पूर्ण एकता असंभव जैसा लक्ष्य है। उत्तर प्रदेश इसका एक उदाहरण है। बंगाल के हालिया विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को 47.97 प्रतिशत और भाजपा को 38.09 प्रतिशत वोट मिले। 2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को 43 प्रतिशत और भाजपा को 40 प्रतिशत वोट मिले थे। बंगाल के गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 2.94 प्रतिशत और माकपा को 4.72 प्रतिशत वोट मिले। एक कांग्रेसी नेता के अनुसार कांग्रेस समर्थक मुसलमानों ने आखिरी वक्त में तृणमूल के उम्मीदवारों को वोट दे दिए। माकपा के अधिकतर समर्थकों ने भी यही काम किया। अब सवाल है कि जितने मत माकपा और कांग्र्रेस को मिले, उनमें से कितने वोट अगले चुनाव में भी इन विलुप्त होते दलों को मिल पाएंगे? हारते हुए उम्मीदवारों को कितने लोग वोट देते हैं! 

अतीत में भी भ्रष्टाचार के मुकदमे देश में दर्ज होते थे, किंतु तब जल्दी-जल्दी सरकारें बदल जाने के कारण मुकदमों को आमतौर पर दबा या दबवा दिया जाता था। एक गैर कांग्रेसी सरकार के प्रधानमंत्री तो कहा करते थे कि एक खास राजनीतिक परिवार को नहीं ‘छूना’ है। मोदी सरकार में उस परिवार के साथ-साथ देश के अनेक नेताओं और घरानों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में मुकदमे चल रहे हैं। वे सुनवाई के विभिन्न स्तरों पर हैं। 


स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि विपक्षी दलों को सरकारी बुलडोजर के नाम से डर क्यों लगने लगा है? उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है विपक्षी दलों की सरकारें में जिन लोगों ने अबैध कब्जों को बढ़ावा दिया, उन्हें अब तकलीफ हो रही है। सपा सरकारों में जिस तरह माफिया व अपराधियों को संरक्षण दिया गया उसी का नतीजा है कि उत्तर प्रदेश में जंगलराज कायम था। जिसको खत्म करने का काम योगी सरकार द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसलिए प्रदेेश में अपराधियों और माफियाओं द्वारा किये गए अवैध कब्जों पर बुलडोजर चलेगा तो सबसे ज्यादा टीस संरक्षकों को ही होगी।