वैदिक मंत्रो से माता सरयू का पूजन संपन्न

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अयोध्या में राममंदिर निर्माण बांधा मुक्ति हेतु माँ सरयू को चढ़ाए गई चुनरी।

शरद शर्मा

अयोध्या। कार्य सिद्धी और श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण कि बाधा मुक्ति तथा  सरयू की पवित्रता की रक्षा को लेकर पवित्र पावनी पुण्य शलिला माता सरयू का आज दुग्धाभिषेक पूजन तथा इक्यावन मीटर लंबी चुनरी समर्पित की गई दौरान अयोध्या के प्रमुख संत धर्माचार्य वरिष्ठ नागरिक उपस्थित रहे।रविवार को प्रातः सरयू आरती घाट पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अध्यक्ष  महंत नृत्यगोपाल दास महाराज के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास शास्त्री तथा विश्व हिंदू परिषद मीडिया प्रभारी शरद शर्मा के यजमानत्व में तथा आचार्य दुर्गा प्रसाद गौतम आचार्य नारद भट्टराई आचार्य दीपेंद्र के कुशल मार्गदर्शन में वैदिक मंत्रो से माता सरयू का पूजन संपन्न कराया गया।

इस शुभ अवसर के दौरान सनकादिक आश्रम के महंत कन्हैया दास;सिद्ध पीठ हनुमान गढ़ी के मुख्य पुजारी पार्षद रमेश दास; सरयूआरती के प्रबन्धक महंत शशिकांत दास रामायणी रामशंकर दास श्रीराम जन्मभूमि सहायक पुजारी संतोष शास्त्री;महंत अवनीश दास; कारसेवक पुरम् आवास व्यवस्था प्रमुख राजा वर्मा; विनय शास्त्री;संत दया राम दास;वैदिक शिवम् आदि उपस्थित रहे।

इस दौरान महंत कमलनयन दास शास्त्री महाराज ने कहा पवित्र पावनी माता नेत्रजा के दर्शन पूजन से समस्त कष्टों का निवारण तो होता ही है इसके साथ माता के सानिध्य में समस्त पापों का भी क्षरण हो जाता है। श्री अयोध्या धाम माता के सानिध्य में बसा हुआ है; पवित्र कार्य की समपन्नता तथा संकल्प की सिद्धी के दौरान इनका पूजन अर्चन करना हमारा दायित्व है। इसी दायित्व का आज हम सभी ने पालन किया है।

संत समिति अध्यक्ष महंत कन्हैया दास ने कहा माता सरयू सदैव अयोध्या जी में संपन्न होने वाले सभी धार्मिक सामाजिक कार्यक्रमों की साक्षी ही नहीं रही बल्कि माता का आशीर्वाद भी अपने पुत्रों पर सदैव बना रहा आज का यह धार्मिक पूजन अनुष्ठान इसी परिपेक्ष की पूर्ति का माध्यम है। समाज का उत्तर दायित्व है कि वह पवित्र माता सरयू की पवित्रता उसकी स्वक्षता और निर्मलता को बनाए रखें।

विहिप मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा दरस, परस, मज्जन अरु पाना, हरइ पाप कह वेद पुराना। नदी पुनीत अमित महिमा अति, कहि न सकई सारदा विमल मति।’ 

अर्थात वेद-पुराण कहते हैं कि सरयू का दर्शन, स्पर्श, स्नान और जल पान पापों को हरता है। यह नदी बड़ी ही पवित्र है। इसकी महिमा अनंत है, जिसे विमल बुद्धिवाली सरस्वती भी नहीं कह सकती…। पूज्य वरिष्ठ संत धर्माचार्य के सानिध्य में आज व्यक्तिगत कार्य सिद्धि की संपन्नता के साथ पुण्य शलिला माता सरयू की स्वक्षता निर्मलता तथा  मंदिर निर्माण में बीच-बीच में उत्पन्न की जा रही मानव जनित बाधाओं के निर्मूलन हेतु वैदिक मंत्रोच्चारण से आज दुग्धाभिषेक पूजन तथा इक्यावन मीटर लंबी चुनरी समर्पित कर माता से प्रार्थना की गयी।