नर से नारायण बनने की साक्षात विधि है योग

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नर से नारायण बनने की साक्षात विधि है योग
नर से नारायण बनने की साक्षात विधि है योग
बृजनन्दन राजू

सारी दुनिया आज सुख की खोज में है। दुनिया में अगर शांति स्थापित करना है और संपूर्ण मानवता को आरोग्य प्रदान करना है तो योग को अपनाना होगा। योग भारत की बहुत ही प्राचीन विधा है। भारत के ऋषि मुनि व तपस्वियों ने मानव जाति के कल्याण के लिए योग को आवश्यक माना है। संयोगो योग इत्युक्तो जीवात्मपरमात्मने। अर्थात जीवात्मा का परमात्मा का मेल ही योग है। योग साधना द्वारा ही दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है। योगधर्म जगत का एक मात्र पथ है। विश्वगुरू भारत पूरी दुनिया को योगपथ पर चलने की राह दिखा रहा है। आज दुनिया के अधिकांश देश योगपथ पर चल भी पड़े हैं। भारत में हजारों वर्ष पूर्व से ऋग्वेद जैसा अकूत ज्ञान का भंडार और योग और आयुर्वेद जैसी प्राचीन विधा विद्यमान थी। अंग्रेजों के भारत में आने से पूर्व यहां की शिक्षा उत्तम थी। गांव-गांव गुरुकुल चलते थे। गुरुकुल में योग और आयुर्वेद के साथ-साथ 64 कलाओं की शिक्षा दी जाती थी। योग,आयुर्वेद, घुड़सवारी, व अस्त्र शस्त्रों के संचालन के अलावा युद्ध कौशल की बारीकियों से आम जनमानस भली भांति परिचित था। अंग्रेजों को लगा कि ऐसे बात बनने वाली नहीं है । नर से नारायण बनने की साक्षात विधि है योग

अंग्रेजों ने भारत की शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था को नष्ट किया। यहां की परंपरा, संस्कृत व संस्कृति के प्रति अनास्था पैदा करने की चेष्टा की गयी। कुछ हद तक वह इसमें सफल भी रहे। लेकिन भारत की जनता को वह अपनी संस्कृति और संस्कारों से पूर्णतया काट नहीं सके। दुर्भाग्य से भारत जब आजाद हुआ तो देश की सत्ता ऐसे लोगों के हाथ में गई जो विदेशी संस्कृति में पले बढ़े थे। उन्हें भारत की गौरवशाली परंपरा का ज्ञान नहीं था। इसलिए उन्होंने भारत को पश्चिमी राष्ट्रों की तरह विकसित करने का प्रयत्न किया। उन्होंने भारत के ज्ञान विज्ञान योग आयुर्वेद और संस्कृति परंपरा की उपेक्षा की। इसका दंश आज भी भारत झेल रहा है। लेकिन भारत को आजादी मिलने के बाद योग व आयुर्वेद को सरकार ने भले उपेक्षा की हो लेकिन देश के संत महात्माओं ने योग को विश्वव्यापी बनाया। अंग्रेजी मानसिकता में पले बढ़े लोगों ने ना तो योग को विज्ञान माना और ना ही स्वस्थ रहने का बेहतरीन तरीका। लिहाजा योग पर ना तो कोई संस्थागत कार्य हुआ और ना ही इसकी जन स्वीकार्यता हुई। स्वामी धीरेंद्र ब्रह्मचारी जी ने योग को पुनः स्थापित करने के लिए प्रयास किया। इसके बाद 1976 में दिल्ली में केंद्रीय योग अनुसंधान संस्थान की नींव रखी गई। 1998 में इसका पूरा नाम करण किया गया और यह केंद्रीय योग अनुसंधान संस्थान से मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान हो गया।


योग: कर्मसु कौशलम। आत्मा से परमात्मा का मिलन ही योग है अर्थात योग का अर्थ होता है जोड़ना। नर का नारायण के साथ एक हो जाने के लिए सनातनधर्म में जो साधन या साधन सामग्री बतलायी है उसी का नाम है योग। नर से नारायण बनने की साक्षात विधि योग है। योग स्वस्थ जीवन जीने की कला है। योग शरीर मन बुद्धि के मध्य सामंजस्य स्थापित करता है। योग में अपार शक्ति निहित है। योग से शरीर सर्वसमर्थ हो सकता है। योग के बल पर दुनिया में सब कुछ हासिल किया जा सकता है। यहां तक कि अनेक सिद्धियां भी योग के द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं। नियमित योगाभ्यास से व्यक्ति 100 साल तक स्वस्थ जीवन जी सकता है।

जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह


योग भारत के ऋषि महर्षि की और से दुनिया को अनुपम देन है। योग व आयुर्वेद के माध्यम से हम दुनिया को मार्ग दिखा सकते हैं। आज पूरी दुनिया योग के प्रति तेजी से आकर्षित हो रही है। इसका श्रेय योग गुरु बाबा रामदेव को जाता है। उन्होंने योग व आयुर्वेद का परिचय पूरे विश्व में लहराया। आज हम गर्व के साथ दुनिया के सामने सर उठाकर कह सकते हैं कि योग भारत से दुनिया भर में गया। वैसे योग की उत्पत्ति भारत में हजारों वर्ष पूर्व हुई थी। भगवान शिव को आदियोगी कहा जाता है। भगवान शिव ने योग को सप्त ऋषि को प्रदान किया। सप्त ऋषि द्वारा योग आगे बढ़ा। इसके बाद महर्षि पतंजलि ने योग सूत्र की रचना की। हमारे वेद उपनिषद स्मृतियों वह पुराणों में योग से संबंधित अपार ज्ञान भरा है। अनेक ऋषि महर्षि वह संत महात्माओं ने योग का प्रचार प्रसार दुनिया में किया लेकिन बाबा रामदेव ने थोड़े ही समय में योग को जितनी लोकप्रियता दी है उतनी पहले कभी शायद ही मिली हो। बाबा रामदेव ने योग को सरल रूप में लोगों के समक्ष रखा। बाबा रामदेव द्वारा स्थापित पतंजलि योगपीठ स्वदेशी के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रही है। बाबा रामदेव ने देशवासियों के मन में स्वदेशी के प्रति सम्मान का भाव जगाने और उसके लिए आग्रह पैदा करने का ही काम नहीं किया बल्कि पतंजलि ने बड़े पैमाने पर स्वदेशी वस्तुओं का उत्पादन कर विदेशी कंपनियों को मात दी। उन्होंने विदेशी कंपनियों के मुकाबले स्वदेशी का विकल्प प्रस्तुत किया। स्वदेशी का केवल रट लगाने से काम नहीं चलेगा।


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सद्प्रयासों से 21 जून को “अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस” घोषित किया गया लेकिन इसका सर्वाधिक श्रेय बाबा रामदेव को जाता है। योग भारत में मान्यता प्राप्त चिकित्सा पद्धति में शामिल है। आयुर्वेद योग यूनानी सिद्धा तथा होम्योपैथिक मिलाकर आयुष मंत्रालय बनाया गया है। पतंजलि ने योग तथा आयुर्वेद के क्षेत्रों में जो पहल की है उससे भारत की प्राचीन ज्ञान संपदा की रक्षा और उसका व्यापक प्रचार-प्रसार तो हुआ ही है इससे लाखों लोगों को रोजगार भी मिला है। पतंजलि योगपीठ से जुड़ी संस्थाएं बड़ी संख्या में योग शिक्षक तैयार करती हैं और वे योग शिक्षक पूरे विश्व में योग सिखाने जाते हैं। योग की शिक्षा के लिए पतंजलि का अलग विश्वविद्यालय हैं जिसमें स्नातक स्नातकोत्तर एवं शोध स्तर के पाठ्यक्रम चलते हैं। पतंजलि योगपीठ में चिकित्सा के लिए हजारों की संख्या में रोगी चिकित्सा विभाग में आते हैं। उन्हें निशुल्क चिकित्सा परामर्श दिया जाता है। योग के महत्व से आज पूरी दुनिया परिचित हो गई है। मानव को शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत करने का काम योग करता है। अगर व्यक्ति नियमित योग करता है तो रक्तचाप, तनाव व मधुमेह जैसी जीवन शैली पर आधारित बीमारियों से बच सकता है। नियमित योगाभ्यास से शरीर में श्वेत रक्त कणिकाओं की वृद्धि होती है। इसके कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।


कोरोनावायरस से बचाव में योग को महत्वपूर्ण माना गया है। यह भी देखा गया कि लाकडाउन के समय जो लोग नियमित योगाभ्यास करते रहे उन्हें मानसिक अवसाद और डिप्रेशन जैसी कोई समस्या नहीं हुई। योग सभी उम्र की महिलाएं भी कर सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान ही महिलाएं आसन और प्राणायाम का अभ्यास कर सकती हैं लेकिन ऐसी महिलाओं को अनुभवी शिक्षक के मार्गदर्शन और सलाह के तहत ही योगाभ्यास करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान किया गया योगाभ्यास मां और साथ ही बच्चे के लिए भी फायदेमंद होता है। आधुनिक दिनचर्या में यह देखा जाता है कि बच्चों में निश्चित रूप से कोई ना कोई बीमारी जन्म ले ही लेती है। इस भागदौड़ की जिंदगी में विशेषकर कोरोनावायरस काल में यह जरूरी है कि हम योग से जुड़ें और इसे अपने और अपने परिजनों की दिनचर्या में शामिल कराएं। तभी सुखी और समृद्ध परिवार की कल्पना की जा सकती है। आजकल फेसयोग काफी चलन में है। सुंदर और तरोताजा दिखना सब की ख्वाहिश होती है। विशेषकर युवतियां इसके लिए ब्यूटी पार्लर का सहारा लेती है। लेकिन इसका असर कुछ समय के लिए ही होता है। इसलिए लोग 24 घंटे में कुछ मिनट निकाल कर फेस योग कर लेते हैं। इससे खून का प्रवाह सही रहता है और बॉडी से टॉक्सिन भी बाहर हो जाता है।

योग शरीर और मन की विकृतियों को दूर कर व्यक्ति को ऊर्जावान बनाता है । उसकी प्राण ऊर्जा को प्रबल करता है जिससे या तो बीमारियां पनपती नहीं है और अगर होती भी है तो शरीर में टिक नहीं पाती। योग द्वारा आरोग्य और दीर्घायु दोनों को प्राप्त किया जा सकता है। वर्तमान समय में योग गुरु बाबा रामदेव, सद्गुरु जग्गी वासुदेव और श्री श्री रविशंकर जैसे संत योग के माध्यम से करोड़ों लोगों को आरोग्य प्रदान कर रहे हैं। योग के महत्त्व पर श्री श्री रवि शंकर ने कहा है कि योग आप को फिर से एक बच्चे की तरह बना देता है। सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में भी योग चिकित्सक तैनात किए गए हैं। इसके अलावा महानगरों में योग शिक्षकों की भारी मांग है। महानगरों में योग शिक्षक कई घरों में जाकर योग सिखाते हैं या फिर अपना संस्थान खोले है जहां प्रतिदिन लोग आकर योग सीखते हैं। सद्गुरु जग्गी वासुदेव कहते हैं कि आप ज्ञान योग के रास्ते अपने मन से तमाम चीजें कर सकते हैं। सद्गुरु जग्गी वासुदेव द्वारा स्थापित ईशा फाउंडेशन लोगों की शारीरिक मानसिक और आंतरिक कुशलता के लिए कार्य करता है। ईशा फाउंडेशन ने पर्यावरण के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व कार्य किया है। आज पूरी दुनिया योग के चमत्कारी फायदे के आगे नतमस्तक है। नर से नारायण बनने की साक्षात विधि है योग