आजकल जिधर देखिए उधर हैं पत्रकार

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– अजय कुमार {पत्रकार}

लखनऊ, देश के कई पत्रकार संगठन इन दिनों पत्रकारों के लिए पेंशन और बीमा पॉलिसी लागू करने की मांग लगातार सरकार से कर रहे हैं । मांग कब पूरी होगी ? यह तो समय ही बताएगा, लेकिन यह योजना लागू होने पर किन पत्रकारों को फायदा होगा इस पर प्रश्न चिन्ह लगा है? आजकल जिधर देखिए दर्जनों वाहन (स्कूटर, मोटरसाइकिल और कार) पर “प्रेस” लिखा मिल जाएगा। इन वाहनों के मालिक कैसे-कैसे पत्रकार होगें…..?

इसकी एक मिसाल आज लखनऊ के चौक एरिया में देखने को मिली, जहां एक बैटरी रिक्शा के चालक ने बाकायदा रिक्शे के फ्रंट पर “पत्रकार” लिखा रक्खा था। पता नहीं किस मीडिया ग्रुप से वह जुड़ा है? आटो रिक्शा पर सवारियां भी बैठी थी। उसका रजिस्ट्रेशन नंबर UP 32 KN 2078 है। शायद यही वजह है कि पत्रकारों की अब वह गरिमा कहां….?

जो हम लोगों को 30-35 साल पहले मिलती थी। अपने 51वर्ष के पत्रकारिता जीवन में इधर के कुछ वर्षो को छोड़ दें तो मुख्यमंत्री तक हम सबसे मिलने पर हमारा सम्मान करते थे, कभी भी उनसे मिलने के लिए कोई रोक टोक नहीं थी। होली,दीवाली, ईद, बकरीद खुद मुख्यमंत्री और राज्यपाल पत्रकारों को फोन कर बधाई देते थे।

उनके सुख,दुख में साथ खड़े रहते थे।नारायण दत्त तिवारी,हेमवती नंदन बहुगुणा, वीर बहादुर सिंह,रामनरेश यादव, मुलायम सिंह, राजनाथ सिंह यहां तक अपनी अकड़ के लिए मशहूर विश्वनाथ प्रताप सिंह भी पत्रकारों को सम्मान देने में कभी पीछे नहीं रहे। लेकिन अब वो दिन कहां? इसके जिम्मेदार कौन…?