उत्तम स्वास्थ्य के लिये आयुर्वेद को अपने जीवन से जोड़े-अपर जिलाधिकारी

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अफीम कोठी के सभागार में धन्वंतरि जयन्ती एवं पांचवे राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस का हुआ आयोजन।

प्रतापगढ़, अफीम कोठी के सभागार में धन्वंतरि जयन्ती एवं पांचवे राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अपर जिलाधिकारी ;वि0ध्रा0द्ध शत्रोहन वैश्य ने भगवान धन्वंतरि के चित्र पर माल्यार्पण कर एवं दीप प्रज्जवलन के साथ कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया। अपर जिलाधिकारी ने क्षेत्रीय ग्राम्य विकास संस्थान परिसर में पंचमुखी रूद्राक्ष के पौधे का रोपण किया तथा आयुर्वेदिक पौधों की लगायी गयी प्रदर्शनी की सराहना किया। अपर जिलाधिकारी ने जनपद को मिले 16 नये आयुर्वेद चिकित्साधिकारियों का स्वागत किया। उन्होने कहा कि कोरोना काल में सभी ने आयुर्वेद को अपनाया हैए हम सभी का कर्तव्य है कि उत्तम स्वास्थ्य के लिये आयुर्वेद को अपने जीवन से जोड़ेए ऐसा करने से हमें स्वस्थ्य एवं दीर्घायु की प्राप्ति होगी। उन्होने कहा कि धन्वंतरि को आयुर्वेद के जनक के रूप में याद किया जाता है।

धन्वंतरि के जीवन का सबसे बड़ा वैज्ञानिक प्रयोग अमृत से सम्बन्धित हैए उनके जीवन के साथ अमृत का सोने का कलश जुड़ा है। अमृत बनाने के लिये धन्वंतरि ने जो प्रयोग किये थे वह स्वर्ण पात्र में ही बनाये गये थे। उन्होने कोरोना काल में डाक्टरों द्वारा किये गये सेवा कार्य के लिये उनकी प्रशंसा की तथा यह उम्मीद जाहिर की डाक्टर भगवान के रूप माने जाते है। अतः आमजनता की सेवा में आयुर्वेद चिकित्सा के माध्यम से जन.जन तक पहुॅचायेगें ताकि कोई भी गरीब व्यक्ति ईलाज के अभाव में दम न तोड़े। उन्होने आयुर्वेद दिवस के महत्व बताते हुये कहा कि पहला सुख निरोगी काया अर्थात सबसे बड़ा ध्यान उत्तम स्वास्थ्य है। अतः स्वास्थ्य रूपी धन की प्राप्ति के लिये आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है।

उन्होने कहा कि 85 प्रतिशत बीमारी हमारी गलत जीवनशैली की वजह से हैए हमें इन बीमारियों पर नियंत्रण करने के लिये आयुर्वेद को अपनाते हुये इसमें बताये गये स्वस्थ्य जीवन के नियमों का पालन करना चाहिये। दिनचर्या का पालनए विभिन्न ऋतुओं के अनुसार उचित खान.पान का पालन एवं विरोधी आहार का त्याग कर व्यक्ति अनेक बीमारियों से बच सकता है।कार्यक्रम में हण्डिया राजकीय आयुर्वेद कालेज के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर कृष्ण दत्त पाण्डेय ने कहा कि 15 से 20 हजार भारत में पौधे है जो किसी न किसी रूप में दवा के काम आते है। इसमें 25 प्रजाति के पौधों की खेती किसानों द्वारा की जाती है। उन्होने गिलोयए तुलसीए अश्वगंधा, त्रिकटु, हल्दी, आंवला, एलोवेरा, अदरख, अशोक आदि आयुर्वेद में उपयोग में लाये जा रहे औषधीय पौधों के द्रव्य, गुण की व्याख्या की तथा बताया कि आयुर्वेद में भिन्न.भिन्न औषधीय पौधों का हमारे ग्रन्थों में उल्लेख किया गया है जिनमें नाम, रूपए गुण, परिचय का आयुर्वेदिक ग्रन्थ में विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है।

आनन्द हास्पिटल इलाहाबाद की डा0 कामायनी उपाध्याय द्वारा आयुर्वेद औषधीय का प्रयोग स्त्री रोगों एवं मानसिक रोगों के लिये आयुर्वेदिक औषधियों के प्रयोग में सतर्कता बरतने का अनुरोध किया। उनका कहना था कि आयुर्वेद में दो तरह की औषधिया है रसौषधि एवं वनौषधि दवाओं का अधिक उपयोग करना चाहिये। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक यूनानी अधिकारी शशेन्द्र सिंह द्वारा बताया गया कि आयुर्वेद सप्ताह के अन्तर्गत निबन्धए स्लोगनए पेन्टिंग की आनलाइन प्रतियोगिता करायी गयी और प्रतिभागी बच्चों का प्रमाण पत्र वितरित किया गया। इसके अतिरिक्त आयुर्वेद के ऋषियों वाग्भट्ए चरकए सुश्रुतए द्वारा बतायी गयी औषधियों उनके गुण, उनके उपयोग के सम्बन्ध में चिकित्सकों द्वारा व्यापक चर्चा की गयी।

इसके अतिरिक्त जिला विकास अधिकारी सुदामा प्रसादए प्राचार्य क्षेत्रीय ग्राम्य विकास संस्थान अफीम कोठी शिव प्रकाशए जिला सूचना अधिकारी विजय कुमारए प्रभारी चिकित्साधिकारी डा0 अवनीश पाण्डेयए डा0 रंगनाथ शुक्ल, डा0 विजय प्रताप सिंहए डा0 आशीष कुमार त्रिपाठी आदि ने अपने.अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर डा0 आनन्द कुशवाहा, डा0 अमित आनन्दए डा0 उमंग आर्या, डा0 प्रमिला देवी, डा0 वन्दना यादवए डा0 मोनिका अग्रवालए डा0 दुर्गेश शुक्लाए आकाशदीप मिश्रए जटाशंकर चौबेए महेन्द्र नाथ, सुनील कुमार पाण्डेय, संजित, सनी, विनोद मिश्र, चिकित्सक, फार्मासिस्ट एवं कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला होम्योपैथिक अधिकारी डा0 सुनील कुमार गुप्ता द्वारा की गयी।