एलडीबी की वसूली में रिश्वतखोर मैनेजर बने बाधक

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मैनेजर खुद के लिए वसूल रहे हैं महीने के एक से डेढ़ लाख, घूसखोर मैनेजर के चलते वेतन रूकने से कर्मचारियों में रोष,एलडीबी की वसूली में रिश्वतखोर मैनेजर बने बाधक।

कहावत है कि ‘जब बाड़ ही खेत को खाने लग जाए तो बेचारा खेत क्या करे। ‘ ये कहावत एलडीबी की वसूली प्रक्रिया पर बिल्कुल सटीक बैठ रही है। प्रबंध निदेशक की ओर से 40 फीसदी की वसूली पर ही वेतन जारी किये जाने का आदेश किया गया है। बैंक के फील्ड अफसर दिन भर क्षेत्र में घूमकर किसानों को बकाया जमा करने के लिए दबाव बनाते हैं। मगर जब किसान बैंक की शाखाओं में पहुंचते हैं। तब बैंक मैनेजर द्वारा किसानों से सौदेबाजी की जाती है और अपने निजी स्वार्थ के लिए किसानो से रिश्वत लेकर उन्हें बकाया नहीं जमा करने के लिए कहा जाता है। इस सौदेबाजी में किसान और मैनेजर दोनों की चांदी कट रही है।

नुकसान उठा रहे हैं बैंक की शाखाओं के अन्य कर्मचारी, क्योंकि रिश्वत से मैनेजरों का महीने का एक से डेढ़ लाख रूपये का टारगेट पूरा हो जाता है। वहीं 40 फीसदी वसूली नहीं होने पर बैंक की शाखाओं के अन्य कर्मचारियों का वेतन रूक जाता है और बैंक के फील्ड अफसरों को नोटिस सहित अन्य तरह की यातनाओं को जो झेलना पड़ रहा है, सो अलग।

रिश्वत लेकर बैंक प्रबंधकों की ओर से किसानों को बकाया नहीं जमा करने की जो छूट दी जा रही है। उसके विरोध में कर्मचारी संगठनों ने एलडीबी के कुछ बैंके मैनेजरों की करतूत को प्रमुख सचिव, सहकारिता एमवीएस रामी रेड्डी को अवगत कराने का निर्णय लिया है, कि स्वच्छ वसूली के लिए इस तरह के घूसखोर बैंक मैनेजरों को बर्खास्त कर उनके काकस को खत्म किया जाए और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाकर उनकी गिरफ्तारी करवाई जाए।