किसान भाई चूहा एवं छछुन्दर से होने वाले जेई- एईएस रोगों के रोकथाम के लिये करें प्रभावी नियंत्रण

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प्रतापगढ़, जिला कृषि रक्षा अधिकारी डा0 अश्विनी कुमार सिंह ने अवगत कराया है कि जे0ई-ए0ई0एस0 रोगों के प्रसार के लिये अन्य कारकों के साथ.साथ चूहाध्छछुन्दर भी उत्तरदायी है इसलिये रोगों के रोकथाम के लिये चूहा एवं छछुन्दर का भी प्रभावी नियंत्रण आवश्यक है। उन्होने बताया है कि चूहे मुख्य रूप से 02 प्रकार के होते है घरेलू एवं खेत के चूहेए घरेलू चूहा घर में पाया जाता है जिसे चुहिया या मूषक कहा जाता है। खेत के चूहों में फील्ड रैटए साफ्ट फर्ड फील्डए रैट एवं फील्ड माउस प्रमुख है। उन्होने बताया है कि चूहों की संख्या को नियंत्रित करने के लिये अन्य भण्डारण पक्काए कंकरीट तथा धातु से बने पात्रों में करना चाहिये ताकि भोज्य पदार्थ उन्हें आसानी से उपलब्ध न हो सके। घरों में खिड़कियों एवं रोशनदान पर जाली लगाकर एवं दरवाजों के नीचे खाली जगह पर टायर की पट्टी अथवा सीमेन्टेट चौखट बनाकर चूहों को नियंत्रित किया जा सकता है। चूहों के प्राकृतिक शत्रुओं बिल्लीए सॉप, उल्लू, लोमड़ी, चमगादड़ आदि द्वारा चूहों को भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है इनको संरक्ष,ण देने से चूहों की संख्या नियंत्रित हो सकती है। चूहे दानी का प्रयोग करके उसमें आकर्षक चारा जैसे रोटीए डबलरोटीए बिस्कुट आदि रखकर चूहों को फसाकर मार देने से इनकी संख्या नियंत्रित की जा सकती है। घरों में ब्रोमोडियोलॉन 0ण्005 प्रतिशत के बने चारे के 10 ग्राम मात्रा प्रत्येक जिन्दा बिल में रखने से चूहें खाकर मर जाते है। एल्युमिनियम फास्फाइड दवा की 3.4 ग्राम मात्रा प्रति जिन्दा बिल में डालकर बिल बंद कर देने से उससे निकलने वाली गैस फास्फीन गैस से चूहें मर जाते है। घर के बाहर कैक्टस पौधें लगाने से चूहें घर में प्रवेश नही करते है।