गोदी मीडिया के मुंह पर तमाचा

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अपनी बात लोगों तक पहुंचाने के लिए आंदोलनरत किसानों ने अब अखबार  निकाला है, जिसकी कमान युवाओं ने संभाली है, गोदी मीडिया के मुंह पर बड़ा तमाचा, आंदोलनरत किसानों ने निकाला अपना अखबार।

नई दिल्ली, ट्रॉली टाइम्स नाम का  यह समाचार पत्र चार पन्नों का है। इसे हिंदी और पंजाबी भाषा में प्रकाशित किया गया है। समाचार पत्र के पहले पेज पर नेताओं और प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा लिखित राय, तस्वीरें, कार्टून, कविताएं, समाचार रिपोर्ट प्रकाशित किया गया था। नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन  के आज 23वें दिन किसानों के बीच ट्रॉली टाइम्स नाम के अखबार की 2,000 प्रतियां बांटी गईं। द्वि-साप्ताहिक (महीने में दो सप्ताह) प्रकाशित होने वाले इस समाचार पत्र के पहले पेज का शीर्षक ‘जुड़ांगे, लड़ांगे, जीतेंगे’ था।  वास्तव मे ये अखबार सुरमीत मावी और गुरदीप सिंह ने मिलकर शुरू किया । किसान आंदोलन में शामिल 46 वर्षीय  सुरमीत मावी एक पटकथा लेखक है।

किसान आंदोलन के दौरान ही सुरमीत मावी को अपने अन्य साथी और पंजाबी किसान नरिंदर भिंडर की ट्रॉली के अंदर बैठे-बैठे अखबार का आइडिया आया।इसके बाद सुरमीत मावी ने बरनाला स्थित फोटोग्राफर गुरदीप सिंह धालीवाल के साथ ट्रॉली टाइम्स की शुरुआत की। सुरमीत मावी ने बताया कि किसानों को सरकार के सामने अपनी बात रखने के लिए मंच आसानी से नहीं मिलता। इस समाचार पत्र के माध्यम से उन्हें एक ऐसा मंच देने की कोशिश की गई है जिससे किसान अपनी बातों को सरकार तक पहुंचा सकें, साथ ही सरकार की योजनाएं और विचार किसानों तक आसानी से पहुंच सके। उन्होंने यह भी कहा कि अखबार किसानों की बुद्धि को प्रदर्शित करने का एक तरीका है।

सुप्रीम कोर्ट ने एक बेहद महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि एनडीपीएस के तहत नारकोटिक्स अधिकारी के सामने दर्ज इकबालिया बयान साक्ष्य के तौर पर ट्रायल में इस्तेमाल नहीं होगा।सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रोहिंटन नरीमन और जस्टिस नवीन सिन्हा ने बहुमत से दिए फैसले में कहा कि इस तरह का बयान एविडेंस ऐक्ट की धारा-25 के विपरीत है।सुप्रीम कोर्ट ने कन्हैया लाल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के केस में पहले कहा था कि एनडीपीएस के तहत ऑफिसर पुलिस ऑफिसर नहीं हैं और ऐसे में एविडेंस ऐक्ट लागू नहीं होता।

जस्टिस रोहिंटन नरीमन की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि अगर अधिकारी एनडीपीएस की धारा-67 के तहत किसी आरोपी को बयान के लिए बुलाता है और वह इकबालिया बयान देता है तो वह बयान एविडेंस ऐक्ट की धारा-25 के तहत मान्य नहीं होगा और ट्रायल के दौरान उसका इस्तेमाल नहीं हो सकता।एविडेंस ऐक्ट की धारा-25 के मुताबिक, कोई भी बयान जो पुलिस अधिकारी के सामने दिया जाता है, वह इकबालिया बयान आरोपी के खिलाफ इस्तेमाल नहीं हो सकता।