राज्यसभा चुनाव हुआ रोचक

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लखनऊ , उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की दस सीटों के लिये होने वाले चुनाव में नामांकन के अंतिम दिन मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के आठ के अलावा समाजवादी पार्टी समर्थित एक निर्दलीय उम्मीदवार ने नामांकन कर निर्विरोध निर्वाचन की संभावनायें क्षीण कर दी है।उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव काफी रोचक हो गया है। बीजेपी के आठ और समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी के एक-एक प्रत्याशी के नामांकन के बाद सभी का निर्विरोध निर्वाचन तय माना जा रहा था। 

विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे के अनुसार अगर किसी ने नामांकन वापस नहीं लिया या किसी का पर्चा खारिज नहीं हुआ तो 11 प्रत्याशियों के बीच दस सीटों के लिए नौ नवंबर को चुनाव होगा। बीजेपी के पास 304 और सपा के पास 48 विधायक हैं। ऐसे में बीजेपी और सपा अपने प्रत्याशियों को तो जीत दिला देगी। अब बसपा को अपने प्रत्याशी रामजी गौतम के लिए प्रकाश बजाज से मुकाबला करना होगा।

नए समीकरण पर सपा के आईपी सिंह का कहना है कि बजाज ने भाजपा और बसपा के रणनीति को झटका दिया है। बसपा के पास केवल 18 विधायक हैं। बीजेपी के पास आठ प्रत्याशियों को जीताने के बाद भी वोट बच रहे थे। इसके अलावा कई निर्दल और छोटी पार्टियों का भी उसे समर्थन था। बजाज के आने से पहले बसपा अपने प्रत्याशी की जीत भी सुनिश्चित मान रही थी। कारोबारी प्रकाश बजाज के आने से बसपा के उच्च सदन पहुंचने की राह एक तरफ मुश्किल हुई है तो दूसरी तरफ निर्दलीय और अन्य विधायकों की किस्मत के सितारे बुलंद होते नजर आ रहे हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ,उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य,डा0 दिनेश शर्मा और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की मौजूदगी में भाजपा के आठ उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया जिसके बाद लगने लगा था कि राज्यसभा चुनाव निर्विरोध सम्पन्न हो जायेगा क्योंकि सपा और बहुजन समाज पार्टी के एक एक उम्मीदवार पहले ही पर्चा भर चुके थे लेकिन नामांकन समाप्त होने के महज 15 मिनट पहले सपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार प्रकाश बजाज ने नामांकन दर्ज करा कर चुनाव को रोचक बना दिया है। प्रकाश बजाज के नामांकन के दौरान उनके साथ कानपुर के सीसामऊ से सपा के विधायक हाजी इरफान सोलंकी और मैनपुरी सदर से सपा विधायक राजकुमार उर्फ राजू यादव मौजूद थे। ऐसे में माना जा रहा है कि प्रकाश बजाज को सपा का समर्थन हासिल है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश दास की पत्नी अलका दास के नाम से नामांकन खरीदा गया तो उनके चुनाव में उतरने की अटकलों ने जोर पकड़ा लेकिन उनकी तरफ से पर्चा नहीं भरा गया।
भाजपा प्रत्याशी के तौर पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी,भाजपा महासचिव महासचिव अरुण सिंह,पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर, पूर्व पुलिस महानिदेशक बृजलाल, समाज कल्याण निर्माण निगम के अध्यक्ष बीएल वर्मा, पूर्व मंत्री हरिद्वार दुबे,पूर्व विधायक सीमा द्विवेदी और गीता शाक्य ने नामांकन दाखिल किया।इससे पहले समाजवादी पार्टी से प्रो रामगोपाल यादव तथा बहुजन समाज पार्टी से रामजी गौतम ने अपना नामांकन दाखिल किया है।10वीं सीट पर प्रकाश बजाज के निर्दलीय उतरने से राज्यसभा चुनाव में अब राजनीतिक दलों की ओर से शह मात का खेल होने की संभावना बढ़ गई है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा में अभी 403 में से 395 विधायक हैं। आठ सीटें खाली हैं, जिसमें सात पर उपचुनाव हो रहा है। अब बीजेपी के 304, एसपी के 48, बीएसपी के 18, अपना दल (सोनेलाल) के नौ, कांग्रेस के सात, सुभाएसपी के चार, निर्दलीय तीन, रालोद और निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल का एक-एक सदस्य है। इसके साथ ही एक नाम निर्वाचित सदस्य है। निर्वाचित सदस्य को राज्यसभा चुनाव में वोट का अधिकार नहीं होता। इस हिसाब से 395 सदस्यों के राज्यसभा चुनाव में वोट करने की संभावना है। राज्यसभा चुनावी गणित के हिसाब से 395 सदस्यों के आधार पर एक सीट के लिए 37 विधायकों की जरूरत होगी।

वर्तमान विधानसभा सदस्यों की संख्या के हिसाब से देखें तो, बीजेपी के पास 304 विधायक हैं। यानी 296 विधायकों के बल पर बीजेपी के आठ प्रत्याशियों की जीत तय है। इसी तरह दूसरे नंबर पर एसपी के पास 48 विधायक हैं और इस हिसाब से एसपी के खाते में एक सीट आनी तय है।

आठ सीटें जिताने के बाद बीजेपी के पास अपने नौ विधायक बच रहे हैं। जबकि नौ विधायक बीजेपी के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के पास हैं। इसके अलावा एसपी के नितिन अग्रवाल, कांग्रेस के राकेश सिंह और बीएसपी के अनिल सिंह परोक्ष रूप से बीजेपी के साथ हैं।

समाजवादी पार्टी के पास अपना एक उम्मीदवार जिताने के बाद 11 वोट बचेंगे। नितिन अग्रवाल को निकाल दें तो दस वोट बचेंगे। बीएसपी के पास अपने 18 सदस्य हैं। अनिल सिंह को कम कर दें, तो 17 वोट हैं। कांग्रेस के छह (राकेश सिंह को निकालने के बाद) विधायक हैं।