रौजागांव चीनी मिल मे दूषित जल के लिए लगा प्लांट,अनुमानित कीमत 5 करोड़ रुपए

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अब्दुल जब्बार एडवोकेट

अयोध्या, भेलसर रौजागांव चीनी मिल द्वारा मिल से निकलने वाले पानी को री-साइकिल कर पुनः प्रयोग में लेने के लिए पांच करोड़ की लागत से ईटीपी प्लान्ट लगाया गया है। एडिशनल जनरल मैनेजर पंकज शाही ने जानकारी देते हुए बताया कि मिल परिसर में ईटीपी(एफ्फुलेंट ट्रीटमेंट प्लान्ट)व एसटीपी प्लान्ट(सीवेज ट्रीटमेंट प्लान्ट)लगाया गया है।जिसमें पॉवर प्लान्ट,सूगर प्लान्ट व कॉलोनी से आने वाले दूषित जल को पुनः प्रयोग के रूप में लाया जाता है।

दूषित जल के शोधन की पूरी प्रक्रिया त्रि-स्तरीय होती है,जिसमें पहले चरण में दूषित जल को ऑयल ग्रीस प्लान्ट व चुने से शोधित किया जाता है,जिसके बाद दूसरे चरण में ऐरेसन टैंक में विभिन्न तरीकों से जल का शोधन किया जाता है,तीसरे चरण में सैंड फिल्टर व कार्बन फिल्टर द्वारा शोधन के बाद ऑनलाइन एफ्फुलेंट मोनिटरिंग सिस्टम से होते हुए जल को लैगून में एकत्रित कर लिया जाता है।जिसके बाद प्राप्त जल की शुद्धता की जांच के लिए उत्तर प्रदेश व सेंट्रल पॉल्युशन बोर्ड द्वारा ऑनलाइन इसकी मोनिटरिंग की जाती है।जिससे जल में उपस्थित बीओडी,सीओडी व टीएसएस की जानकारी मिल सके।

मुख्य प्रबंधक गुणवत्ता मनीष चंद्र मौर्य ने बताया कि हमारी मिल को जल में बीओडी 30 पीपीएम तक की अनुमति है,जबकि हमारे यहाँ शोधित जल में बीओडी 20 पीपीएम व सीओडी 150 से 200 पीपीएम के भीतर है।मिल में स्थित शोधन केन्द्र के द्वारा प्रतिदिन 1100 घन प्रति दिन जल शोधित किया जा रहा है।मिल में दो लैगून है,जहाँ शोधित जल का संरक्षण किया जाता है।

मुख्य महाप्रबंधक निष्काम गुप्ता ने बताया कि पॉल्युशन बोर्ड के मानकों के अनुसार मिल परिसर में दूषित जल के शोधन की पूरी व्यवस्था है।मिल परिसर में ही जल शोधित कर 27 हेक्टेयर खेती की जाती है,इसके अलावा पाइप लाइन के माध्यम से लगभग 40 हेक्टेयर किसानों की भूमि को भी निःशुल्क शोधित जल दिया जाता है।मिल से किसी प्रकार का कोई भी दूषित जल परिसर से बाहर नही जाता है।