लॉकडाउन को लाइकडाउन बनाने का मंत्र — मधुकर त्रिवेदी

149

हम भारतीयों पर एक कहावत पूरी तरह सटीक बैठती है कि घर का जोगी जोगड़ा,आन गांव को सिद्ध। अब देखिए न महात्मा तुलसीदास से बड़ा कौन दूरदर्शी भविश्यवक्ता है जिसने उत्तरकाण्ड में कलियुग का हूबहू चित्रण कर डाला। मां-बाप बदहाल बेटा-बहू विदेश  में बेपरवाह। बाबा तुलसीदास ने पहले ही लिख दिया ‘सुत मानहिं मातु-पिता तब लौं, अबला मुख दीख नहीं जबलौं।‘ उनका एक परम उपदेश  जो आज पग-पग पर सटीक उतरता है वह इन पंक्तियों में निबद्ध है-‘‘मारग सोइ जा कहुं जोइ भावा। पंडित सोई जो गाल बजावा।। मिथ्यारम्भ दंभ रत जोई। ता कहुं संत कहइ सब कोई।।

      लॉकडाउन में खाली बैठे जब ऊबने लगा तो लाइब्रेरी की धूल साफ करनी शुरू कर दी। उसी में जब गीताप्रेस की रामचरित मानस की गुटका मिल गई तो बहुत पहले का संस्कार जाग उठा और उसके चुनिंदा पाठ पढ़ने लगा। एक जगह लगा कि कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन में शांति से रहने का मंत्र तो बाबा तुलसीदास पहले ही दे गए हैं। सचमुच मानस में बहुत कुछ सीखने लायक हैं। 

      लॉकडाउन में घरेलू हिंसा की खब़रें, बच्चों में चिड़चिड़ाहट, समय न कटने से उत्पन्न अवसाद इस सबसे बचाव के लिए बाबा तुलसीदास ने रामचरित मानस में एक अचूक उपाय बताया है- धीरज धरम मित्र अरू नारी! आपतकाल परखिए चारी!!  इसका सीधा सा अर्थ है घर में आपका धर्म है धीरज रखना, पत्नी जो कहे या तो सुनो नहीं या सुनो तो बिना देर किए पूरा कर दो, घर में कोई फरमाइष हो तो उस पर तत्काल प्रतिक्रिया मत दो। दूसरा उपाय है मित्र और नारी को एक रूप मानकर उसके साथ तालमेल बिठाने की कोषिष करो या उसके कहे अनुसार चलो। मित्रों के साथ जैसे पैसे लुटा देते थे, वैसे अब श्रीमती जी पर लुटा दो। मित्रों के साथ मौजमस्ती को घर में प्रत्यावर्तित कर दो। बस अब लॉकडाउन आपका लाइक डाउन बन जाएगा। 

      सच भी यही है कि या तो षादी नहीं की होती तो स्वच्छंद होते, अब कर ली है तो बेटा ये सात जनम का फेरा हो गया है। करवा चौथ महिलाएं इसीलिए रखती है कि इस जनम में जिस पति को सीधा कर लिया है, वही फिर साथ रहे। नया रहेगा तो उसे नये सिरे से टेªंड करना होगा। और अंत में एक जगह कुछ मित्रों में षर्त लग गई कि जो अपनी बीबी से नहीं डरता है, वह एक तरफ खड़ा हो जाए। लगभग सभी मित्र एक साथ खड़े हो गए। एक दुबला पतला इंसान सबसे अलग खड़ा दिखाई दिया। लोगों ने हैरत से पूछा-आप बीबी से नहीं डरते हैं। जवाब मिला मैं तो आप सबसे अलग इसलिए खड़ा हूं क्योंकि मेरी बीवी ने कह रखा है जहां सब साथ खड़े हो तुम उनके साथ कतई मत खड़े होना। तो भाइयों यही कोरोना की संकट मोचक दवाई है। अपनाएंगे तो चैन की बंषी बजाएंगे। समय से चाय-नाष्ता और भोजन मिल जाएगा नहीं तो आप जाने आपके करम जानें। 

     पुरूषो  के लिए भी अवकाश  के ये क्षण यादगार बन सकते हैं। रसोई में पत्नी का हाथ बंटाने के लिए सब्जी धोने, काटने, बर्तनों और घर की सफाई का काम कर सकते हैं। अगर पाक कला आती हो तो मन पसंद एक दो डिश  भी बनाकर घरवालों को खिला दें। यह जरूरी नहीं कि पत्नी ही रोज आपको सुबह-शाम की चाय और नाष्ता बनाकर दें। आप भी एक वक्त की जिम्मेदारी तो ले ही सकते हैं। हाँ, अपना मोबाइल कम चेक करिए क्योंकि उसकी पूछताछ में लफड़ा हो सकता है। इसके बाद देखिए घर का माहौल कितना खुशनुमा हो जाएगा। 

                             (लेखकः यश भारती सम्मान, प्रभाश जोशी  पुरस्कार प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार हैं)