वायदे पूरे न होने से खफा है-पायलट

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चुनावी वायदे पूरे नहीं होने की वजह से अपनी ही सरकार से खफा है पायलट।तो क्या सचिन पायलट ने अब विधायक पद से भी इस्तीफ़ा दे दिया है? अशोक चिन्ह लगे लेटर पैड पर विधायक पद का भी उल्लेख नहीं। लेकिन निवास का पता 11 सिविल लाइन जयपुर बताया गया है।

क्या सचिन पायलट ने विधायक पद से भी इस्तीफ़ा दे दिया है? यह सवाल इसलिए उठा है कि पायलट के लेटर पैड पर अब विधायक पद का भी उल्लेख नहीं है। पायलट ने अति पिछड़ा वर्ग को 5 प्रतिशत आरक्षण देने को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जो पत्र लिखा है उस पत्र में सम्मान सूचक अशोक चिन्ह तो अंकित है, लेकिन सचिन पायलट के नाम के साथ विधायक पद का उल्लेख नहीं है। पत्र पर सिर्फ सचिन पायलट की हैसियत से ही हस्ताक्षर है। लेटरपैड पर पहले के किसी पद का भी उल्लेख नहीं है। जबकि पायलट दो बार सांसद, एक बार केन्द्रीय मंत्री, डेढ़ वर्ष तक राजस्थान के डिप्टी सीएम तथा सात वर्ष तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं।

हालांकि प्रदेशाध्यक्ष और डिप्टी सीएम के पद पायलट से छीन लिए गए , लेकिन पायलट मौजूदा समय में टोंक से कांग्रेस के विधायक हैं। लेकिन इसके बावजूद भी पायलट विधायक पद का उल्लेख नहीं कर रहे हैं। अलबत्ता लेटरपैड पर निवास का पता 11 सिविल लाइन बंगला है जो कैबिनेट मंत्री को ही दिया जाता है। यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रदेशाध्यक्ष और डिप्टी सीएम का पद छीनने के बाद सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी की सलाह पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने भी विधानसभा में पायलट की सीट बदल दी है। पहले पायलट पहली पंक्ति में सीएम अशोक गहलोत के पास बैठते थे, लेकिन अब विधानसभा में पायलट मंत्रियों के पीछे कांग्रेस के आम विधायकों के साथ बैठते हैं।

प्रदेशाध्यक्ष और डिप्टी सीएम का पद छीनने के बाद पायलट गत 14 अगस्त को जब पहली बार विधानसभा पहुंचे तो सीट बदली हुई मिली। हालांकि बदली सीट पर पायलट बैठे, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष के सामने अपनी नाराजगी प्रकट की। 14 अगस्त को सरकार के शक्ति परीक्षण के समय पायलट विधानसभा में रहे, लेकिन 27 अगस्त तक चली विधानसभा में पायलट दोबारा से नहीं गए। यानि पद छीनने के बाद पायलट सिर्फ एक बार ही विधानसभा गए। अब जब लेटर पैड पर विधायक पद का भी उल्लेख नहीं है, तब देखना होगा कि आगामी सत्र में पायलट विधानसभा में जाते हैं या नहीं।