शिवपाल नीति से पस्त भाजपा राजनीति

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उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में मुलायम सिंह यादव का नाम अगर नेता जी के नाम से मशहूर हुआ तो उसके पीछे कहीं न कहीं छोटे भाई शिवपाल का ही हाथ था आज उन्हीं शिवपाल की रणनीति के आगे भाजपा के सपने भी चकनाचूर होते नजर आ रहे हैं जहां एक तरफ समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता अपना नामांकन पर्चा तक दाखिल नहीं कर पा रहे हैं वही प्रेस्पा प्रसाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी निर्विरोध विजई निर्वाचित हो रहे हैं।उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में मुलायम सिंह यादव का नाम अगर नेता जी के नाम से मशहूर हुआ तो उसके पीछे कहीं न कहीं छोटे भाई शिवपाल का ही हाथ था आज उन्हीं शिवपाल की रणनीति के आगे भाजपा के सपने भी चकनाचूर होते नजर आ रहे हैं जहां एक तरफ समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता अपना नामांकन पर्चा तक दाखिल नहीं कर पा रहे हैं वही प्रेस्पा प्रसाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी निर्विरोध विजई निर्वाचित हो रहे हैं।

उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में मुलायम सिंह यादव का नाम अगर नेता जी के नाम से मशहूर हुआ तो उसके पीछे कहीं न कहीं छोटे भाई शिवपाल का ही हाथ था आज उन्हीं शिवपाल की रणनीति के आगे भाजपा के सपने भी चकनाचूर होते नजर आ रहे हैं जहां एक तरफ समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता अपना नामांकन पर्चा तक दाखिल नहीं कर पा रहे हैं वही प्रेस्पा प्रसाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी निर्विरोध विजई निर्वाचित हो रहे हैं।उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में मुलायम सिंह यादव का नाम अगर नेता जी के नाम से मशहूर हुआ तो उसके पीछे कहीं न कहीं छोटे भाई शिवपाल का ही हाथ था आज उन्हीं शिवपाल की रणनीति के आगे भाजपा के सपने भी चकनाचूर होते नजर आ रहे हैं जहां एक तरफ समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता अपना नामांकन पर्चा तक दाखिल नहीं कर पा रहे हैं वही प्रेस्पा प्रसाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी निर्विरोध विजई निर्वाचित हो रहे हैं

उत्तर प्रदेश में 825 पदों को लेकर ब्लॉक प्रमुख के नामांकन हुआ और 10 जुलाई को यह तय हो जाएगा कि कौन सी पार्टी का कौन सा ब्लॉक प्रमुख, कहां से जीता है मगर 10 तारीख से पहले ही इटावा में सपा और प्रसाप के ब्लॉक प्रमुखों की जीत तय हो गई, और इसके पीछे की रणनीति वाली गणित शिवपाल सिंह यादव की बताई जा रही है, जहां पूरे उत्तर प्रदेश में ज्यादातर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों ने पर्चा दाखिल तक नहीं कर पाया वही शिवपाल सिंह यादव ने पर्चा दाखिल करवाया भी और निर्विरोध भी जीता दिया, जिसके बाद बीजेपी के नेताओं के पैर के नीचे से जमीन खिसक गई।


इटावा में ब्लाक प्रमुख चुनाव में भाग्य आजमाने के लिए जनपद के आठ ब्लाक में 21 नामांकन दाखिल कराए गए। चकरनगर तथा महेवा में भाजपा-सपा के मध्य पथराव-लाठी-डंडे चले लेकिन वाकी स्थानों पर तनावयुक्त हालात में कड़ी सुरक्षा के माहौल में नामांकन दाखिल किए गए।


जसवंतनगर में भाजपा प्रत्याशी का नामांकन समर्थक के हस्ताक्षर फर्जी होने को लेकर खारिज कर दिया गया। शुक्रवार को नाम वापसी का समय बीतने पर तय होगा कि मुकाबला कहां-कहां और किन-किन के मध्य होगा। अभी तक के हालात में प्रसपा राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के विधान सभा क्षेत्र जसवंतनगर से तीन ब्लाक प्रमुख निर्विरोध चुना जाना तय हो गया है। इसके पीछे शिवपाल सिंह यादव की चुनाव रणनीति बताई जा रही है। शिवपाल सिंह यादव ने ऐसी रणनीति बनाई कि बीजेपी के प्रत्याशियों का पर्चा खारिज हो गया।


प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के मध्य नामांकन प्रक्रिया निर्धारित समय पर शुरू कराई। ब्लाक परिसर में बनाए नामांकन कक्ष या परिसर से 200 से 500 मीटर की दूरी में 25 से 40 मीटर की दूरी पर बैरियर सहित फोर्स तैनात किए जाने से किसी भी जगह इस दूरी में सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती नहीं दी गई। भरथना में सु़बह ही भाजपा प्रत्याशी के समर्थक के गोली लगने से संवेदनशीलता का पता लग गया था। इसके बावजूद चकरनगर तथा महेवा क्षेत्र में सपा-भाजपा समर्थकों में झगड़ा हो ही गया।


इससे सुरक्षा व्यवस्था और अधिक कड़ी की गई, जिससे ब्लाक महेवा, जसंवतनगर, बढ़पुरा में तीन-तीन, भरथना तथा बसरेहर में चार-चार, ताखा तथा सैफई से एक, चकरनगर में दो कुल 21 नामांकन दाखिल किए गए। जसवंतनगर में भाजपा मंडल अध्यक्ष सुग्रीव सिंह धाकरे की पत्नी अचिता सिंह ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया लेकिन थोड़ी ही देर बाद नामांकन पत्र पर समर्थक दर्शाए गए बीडीसी ने प्रकट होकर हस्ताक्षर और फोटो फर्जी बताए तो उनका नामांकनपत्र खारिज कर दिया गया, जिसके बाद प्रसपा और सपा गठबंधन के प्रत्याशियों की जीत लगभग तय मानी जा रही है और इसके पीछे रणनीति शिवपाल सिंह यादव की बताई जा रही है।