हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 3 लाख का लगाया जुर्माना

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 3 लाख रूपये का असाधारण जुर्माना लगाया, कार्रवाई का एक ही कारण बताकर बार-बार याचिका दायर की गई थी।

?इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व ग्राम प्रधान पर 3 लाफ रूपये का जुर्माना लागाया है, क्योंकि याचिकाकर्ता द्वारा कार्रवाई का एक ही कारण बताकर बार-बार याचिका डाली गई थी। इससे पहले ही भी याचिकाकर्ता द्वारा याचिका डाली गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

? यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव जोशी की एकल पीठ द्वारा पारित किया गया, जिसमें कहा गया कि त्वरित याचिका याचिकाकर्ता द्वारा कार्रवाई का एक ही कारण पेश करने का चौथा प्रयास था, जिसमें योग्यता के अभाव के लिए उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी।

पृष्ठभूमि

?याचिकाकर्ता ने पहली बार साल 2019 के रिट-सी नंबर. 11660 के द्वारा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें 20.2.2019 के एक आदेश को चुनौती दी गई थी। आदेश के मुताबिक ग्राम प्रधान की वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियों का प्रयोग करने से रोकना था। लेकिन इस याचिका को योग्यता की कमी के चलते 4.4.2019 के आदेश द्वारा खारिज कर दिया गया था।

?याचिकाकर्ता ने फिर से कार्रवाई के एक ही कारण बताकर 2019 के रिट-सी नंबर. 40436 में अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसे 12.12.2019 को वापस ले लिया गया।

?इसके बाद, याचिकाकर्ता ने इसी तरह की राहत के लिए साल 2020 में रिट-सी नंबर. 5431 के माध्यम से कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसे 14.2.2020 को कोर्ट के आदेश द्वारा खारिज कर दिया गया, क्योंकि बिना किसी स्वतंत्रता के याचिका वापस लेने के लिए एक नई याचिका दायर की गई थी।

इसके बाद 20.2.2019 के उसी लागू आदेश को चुनौती देते हुए वर्तमान रिट याचिका दायर की गई थी।

अवलोकन

⏹️इस तरह बार-बार याचिका की अर्जी दाखिल करने को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने याचिकाकर्ता को यह मामला जारी करने के लिए नोटिस जारी किया था कि अदालत के समक्ष जानबूझकर गलत बयान देने के लिए उसके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए।

➡️जवाब में याचिकाकर्ता ने हाथ जोड़कर माफी मांगी और कहा कि वह ज्यादा पढ़ा- लिखा नहीं है, केवल 5 वीं पास है। कानूनी ज्ञान की कमी के कारण वह लगातार रिट याचिकाएं दायर करता रहा।

⏩एकल न्यायाधीश की पीठ 3 लाख रूपए की असाधारण लागत के साथ याचिका को खारिज कर दिया। एक महीने के भीतर याचिकाकर्ता द्वारा न्यायालय की रजिस्ट्री में 3 लाख रूपए जमा करने होंगे।

अदालत ने कहा,

⏭️”यदि उक्त लागत निर्धारित अवधि के भीतर जमा नहीं की जाती है, तो रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि वह भूमि राजस्व के बकाया के रूप में याचिकाकर्ता से लागत की राशि वसूल करे।”

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?पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने राज कुमार मोदी पर 25,000 रूपए का असाधारण जुर्माना लगाया था। दरअसल, आदर्श घोटाला मामले में आरोपी राज कुमार मोदी द्वारा अंतरिम जमानत के लिए बार-बार अर्जी दाखिल की गई थी।

जस्टिस एल. नागेश्वर राव, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस एस. रविंद्र भट की पीठ ने कहा था कि,

“कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के लिए आवेदनों की पुनरावृत्ति दाखिल की जाती है।”

केस का शीर्षक: नूर हसन बनाम उत्तर प्रदेश और अन्य