स्त्री घर को बनाती है, बिगाड़ती भी है

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मेरे बचपन में प्रयागराज में पड़ोस में एक ‘सरला की अम्मा’ रहती थी। उसकी बड़ी बेटी का नाम सरला था, इसलिए वह ‘सरला की अम्मा’ नाम से जानी जाती थी। सरला के अलावा उसके अन्य बच्चे भी थे। पति बिलकुल निकम्मा और शराबी था, इसलिए बच्चों को पालने की पूरी जिम्मेदारी सरला की अम्मा पर थी। वह जीवट की महिला थी और आदर्श भारतीय नारी का साक्षात स्वरूप थी। उसने किसी तरह एक सिलाई मशीन ले ली थी, जिस पर कपड़े सिलकर उस आय से वह घर का खर्च चलाती थी। पति अपनी दारू का खर्च भी उससे ले लेता था। सरला की अम्मा अत्यंत शालीन एवं मृदु व्यवहार वाली थी तथा मुहल्ले में उसकी बड़ी इज्जत थी। पति के नाकारा होने के बावजूद अपने संकल्प एवं हुनर से सरला की अम्मा ने बच्चों को पढ़ालिखाकर योग्य बनाया। उस समय नारी-सशक्तिकरण की चर्चा भी नहीं सुनने में आई थी। किन्तु सरला की अम्मा का मृदु स्वभाव, कठोर परिश्रम एवं आदर्श रूप नारी-सशक्तिकरण का ज्वलंत उदाहरण था।


कहा जाता है कि तमाम महान लोगों के पीछे उनकी स्त्री का हाथ था। इसका आशय यह है कि उनकी स्त्री ने उन्हें पूरी तरह चिंतामुक्त रखा, जिससे वे अपने श्रेष्ठ लक्ष्य की ओर अग्रसर हो सके। ऐसे बहुतेरे उदाहरण हैं। हाल में ‘इटावा हिन्दी सेवा निधि’ के आयोजन में मैं इटावा गया था तो उस अवसर पर वहां उत्तर प्रदेश उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार कुटुम्ब सहित अपने गृहनगर इटावा में मौजूद थे। वहां उनकी पत्नी से भेंट हुई, जो आदर्श भारतीय नारी का साक्षात प्रतिरूप थीं। न्यायमूर्ति अशोक कुमार की श्रेष्ठ न्यायाधीश की जो छवि विकसित हुई, निश्चित रूप से उसके पीछे उनकी आदर्श पत्नी का सहयोग माना जाएगा। मैंने बचपन में ऐसे तमाम उदाहरण देखे, जिनमें लोगों के घर उनकी आदर्श गृहिणी के कारण सुखद प्रतीत होते थे।


मैंने जीवन में बहुत बड़ी संख्या में इसके विपरीत उदाहरण भी देखे हैं, जिनमें स्त्री के कारण घर नरक बन गया। गत दिवस कानपुर से एक युवक मुझसे मिलने आया, जिसने अपना अत्यंत करुण वृत्तांत बताया। वह युवक जब छोटा था और कानपुर में ‘रंगभारती’ के कार्यक्रमों में आता था, तब से मैं उसे जानता हूं। उसने बताया कि उसके पिता का देहांत हो गया तो रिश्तेदारों ने यह कहकर कि उसकी मां की सेवा करने वाली बहू जरूरी है, उसकी शादी करा दी। शादी के कुछ दिन बाद पत्नी का असली रूप जब सामने आया तो उसकी जिंदगी नरक हो गई। उसकी पत्नी बहुत झगड़ालू स्वभाव की थी तथा बात-बात में कलह मचाती थी। उसकी मां का भी उत्पीड़न करती थी। युवक और उसकी मां ने चुप रहकर उसका लड़ाका स्वभाव सहते रहने की बहुत कोशिश की, किन्तु उसने फिर भी कलह मचाना नहीं छोड़ा।


युवक ने बताया कि जब उसकी पत्नी का कलहभरा व्यवहार असहनीय हो गया तो उसने तलाक का मुकदमा कायम किया। काफी परेशान होने के बाद तलाक मंजूर हुआ, किन्तु फैसले में उसकी बच्ची पत्नी को दे दी गई तथा दस लाख रुपये पत्नी को देने के लिए भी कहा गया। चूंकि उसके पास इतने रुपये नहीं थे, इसलिए उसने बड़े प्रयास से कर्ज लेकर उस धनराशि का प्रबंध किया। वह युवक एक छोटा व्यवसाय कर रहा था, जो घर में कलह के कारण उपेक्षित हो गया था। युवक ने बताया कि तलाक हो जाने पर भले ही वह कर्जदार हो गया है और धीरे-धीरे कर्ज उतार रहा है, मगर अब घर में बड़ी शांति है तथा वह व उसकी मां बेहद सुकून से हैं। उसने एक नौकरानी रख ली है, जो खाना बनाती है और घर की सफाई कर जाती है। मानसिक शांति के कारण अब वह अपने व्यवसाय की ओर पूरा ध्यान दे पा रहा है।


वीरेंद्र कुमार वर्मा अवकाशप्राप्त अधिकारी थे तथा प्रकांड विद्वान थे। उन्होंने अपनी पड़ोस की एक महिला का हाल बताया था, जिसे धार्मिक प्रवचन सुनने की लत थी। लेकिन वह महिला अपने पति से बहुत झगड़ा किया करती थी और उसकी पिटाई भी करती थी। धार्मिक प्रवचन की बातों का अनुसरण करने के बजाय उसने घर को नरक बना डाला था।


एक अन्य उदाहरण में एक दबंग महिला अपने पति से इतने जोर से लड़ा करती थी कि पूरा मुहल्ला सुना करता था, अंत में सदमे से पति की मृत्यु हो गई। एक अन्य झगड़ालू स्वभाव की महिला धार्मिक प्रवचन सुनने की बहुत आदी थी, किन्तु उसका स्वभाव व आचरण भी प्रवचनों के प्रतिकूल रहता था। वह महिला अपनी जेठानी को तरह-तरह से सताया करती थी। जैसे, उसकी जेठानी नहाए बिना कुछ नहीं खाती थी तो यह देवरानी जेठानी के नहाने से पहले स्नानघर में घुस जाती थी तथा टंकी का पूरा पानी खत्म कर देती थी। परिणामस्वरूप कई बार जेठानी को भूखा रह जाना पड़ता था।


प्रयागराज में ‘रंगभारती’ के ब्रेकडांस स्कूल में एक लड़का ब्रेकडांस सीखने आता था। उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली, जिसके बारे में वह लड़का बताता था कि उसकी नई मां इतने खराब स्वभाव की है कि घर में हर समय कलह मचाए रहती है। अब उसके पिता पछता रहे हैं कि उन्होंने दूसरी शादी कर बहुत बड़ी गलती की। लड़के ने बताया कि उसकी नई मां बात-बात में पिताजी को धमकी देती है कि वह उन पर आरोप लगाकर जेल भिजवा देगी। वह लड़का व उसके पिता घर में भीगी बिल्ली बनकर दबे हुए रहते थे। लड़का अकसर मेरे पास आकर दुखड़ा बयान करते हुए रोता था। एक बार कुछ दिनों तक वह नहीं आया और जब आया तो उसने बताया कि उसकी नई मां ने छह लाख रुपये लेकर पिताजी से तलाक स्वीकार कर लिया है। लड़के ने बताया कि घर में शांति है और अब बाप-बेटा बड़े सुख से हैं।

नारी-सशक्तिकरण विषय को लेकर हाल में कुछ लोगों में चर्चा हो रही थी। उन लोगों ने मत व्यक्त किया कि हमारे यहां गुणदोष देखे बिना हर चीज को अतिरूप में स्वीकार कर लेने की प्रवृत्ति है। यही बात नारी सशक्तिकरण के बारे में है, जो अतिवाद से ग्रस्त हो गया है। नारी-सशक्तिकरण नारे का असर आजकल की लड़कियों पर बहुत अधिक हो रहा है, जिसके परिणामस्वरूप वे अपनी इच्छा पति एवं पति के घरवालों पर थोपती हैं। यदि उनकी बात मानने में तनिक भी हीलाहवाली हो तो वे बर्दाश्त नहीं करती हैं और कलह मचाती हैं। पति से हर समय झगड़ा करती रहती हैं। 

         आज जो माहौल होता जा रहा है, उसमें लड़कियां इतनी बदमिजाज और कलह करने वाली हो गई हैं कि यह समझ में नहीं  आता है कि शादी के बाद उनका पति उनके साथ  कैसे निर्वाह करेगा? अब तो तमाम पुरुष यह सोचने लगे हैं कि जीवनभर नरक भुगतने से तो अच्छा है कि कुंवारा ही रहा जाय।