जिस अब्दुल्ला खानदान ने कश्मीर में आतंक को पन पाया आज उसी खानदान को हिन्दुओं की चिंता हो रही है।

एस0 पी0 मित्तल

देश के विभाजन के बाद जम्मू कश्मीर पर सबसे ज्यादा शासन अब्दुल्ला खानदान ने किया। पहले शेख अब्दुल्ला, फिर उनके पुत्र फारुख अब्दुल्ला और बाद में पौत्र उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री रहे। इतिहास गवाह है कि अब्दुल्ला खानदान के शासन में ही जम्मू कश्मीर खास कर मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर घाटी में आतंक पनपा। 90 के दशक में तो चार लाख हिन्दुओं को कश्मीर छोड़ना पड़ा। लेकिन कभी भी अब्दुल्ला खानदान के सदस्यों ने आतंक का विरोध नहीं किया। हिन्दुओं पर अत्याचार होते रहे और खानदान के लोग आतंकवादियों से ही वार्ता करते रहे। अनुच्छेद 370 की आड़ लेकर केंद्र सरकार और सेना को भी दखल देने से रोक रखा। खानदान के सदस्यों की हरकतें किसी से भी छिपी नहीं है। लेकिन अब खानदान के प्रमुख सदस्य फारुख अब्दुल्ला ने हिन्दुओं को लेकर चिंता जताई है। घाटी में आए दिन हो रही हिन्दुओं की हत्या पर फारुख अब्दुल्ला का कहना है कि यही हालात रहे तो संपूर्ण कश्मीर घाटी हिन्दू विहीन हो जाएगी।

फारुख ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कश्मीर के मुद्दे पर दखल देने की मांग की है। फारुख के इस बयान से प्रतीत होता है कि उन्हें हिन्दुओं की चिंता है। जबकि ऐसा नहीं है। जब अनुच्छेद 370 को हटाया गया, तब फारुख ने ही सबसे ज्यादा विरोध किया था। चूंकि इस समय नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार चल रही है, इसलिए राजनीतिक कारणों से फारुख अब्दुल्ला हिन्दुओं के प्रति सहानुभूति दिखा रहे हैं। अब्दुल्ला खानदान उस समय चुप बैठा रहा, जब कश्मीर घाटी की मस्जिदों से हिन्दुओं के विरोध में फतवे जारी हो रहे थे। अब्दुल्ला खानदान ने कभी हिन्दुओं पर अत्याचार करने वाले चरमपंथियों की आलोचना नहीं की। खानदान को यदि हिन्दुओं की इतनी ही चिंता है तो उन आतंकियों की निंदा करें जो लक्ष्य बना कर हिन्दुओं को मार रहे हैं। पीएम मोदी पर राजनीतिक हमला करने के लिए फारुख अब्दुल्ला हिन्दुओं के प्रति हमदर्दी तो दिखा रहे हैं, लेकिन कश्मीर घाटी में हिन्दू सुकून और बिना किसी डर के रह सकें, इसके लिए आज तक कोई कार्य नहीं किया है। हिन्दुओं की हत्या मौजूदा समय में आतंकियों की बौखलाहट है।

असल में अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर घाटी में आतंकी की कमर टूट चुकी है। अब श्रीनगर के लालचौक में तिरंगा भी लहराता है तो डल झील में पर्यटक भी लाखों में नजर आते हैं। हिन्दुओं के सहयोग और हिम्मत से ही कश्मीर में हालात सामान्य हो रहे हैं। यही स्थिति पाकिस्तान परस्त आतंकियों को रास नहीं हो रही है। अपने वजूद को बनाए रखने के लिए आतंकवादी अब हिन्दुओं को निशाना बना रहे हैं। जहां तक आम कश्मीरियों का सवाल है तो पर्यटन बढ़ने से खुश है। कश्मीरियों की कमाई का मुख्य स्त्रोत पर्यटन उद्योग ही है। अधिकांश कश्मीरी नहीं चाहते कि घाटी का माहौल फिर से खराब हो। अब आतंकियों के बारे में कश्मीरी ही पुलिस और सुरक्षा बलों को सूचना देने लगे है। यही वजह है कि आतंकवादी भी रोजाना मारे जा रहे हैं। पिछले 70 सालों की समस्या के समाधान में समय तो लगेगा ही। लेकिन फारुख अब्दुल्ला जैसे पाकिस्तान परस्त नेताओं को घडिय़ाली आसंू बहाने की जरुरत नहीं है। देशवासी और कश्मीर के लोग अब्दुल्ला खानदान को अच्छी तरह जानते हैं। यह सही है कि कश्मीर में हिन्दुओं की हत्या रुकनी चाहिए।