अब बदले-बदले से नजर आ रहें हैं अशोक गहलोत..! Now Ashok Gehlot is seen in turn..!

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न गांधी परिवार का बखान और न मोदी सरकार की आलोचना। अब बदले बदले से नजर आते हैं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत।गांधी परिवार के बजाए अब मोदी सरकार सहयोग कर रही है गहलोत को।

एस0 पी0 मित्तल

राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता। यह कथन राजस्थान की राजनीति में सही साबित हो रहा है। सब जानते हैं कि 25 सितंबर से पहले तक सीएम अशोक गहलोत केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना और नेहरू गांधी परिवार की उपलब्धियां गिनाने का कोई अवसर नहीं छोड़ते थे। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में भी गहलोत आलोचना करने से बाज नहीं आते थे। लेकिन 13 अक्टूबर को कोल इंडिया के एक प्रोग्राम में गहलोत ने न तो मोदी सरकार की आलोचना की और न गांधी परिवार की उपलब्धियां गिनाई। लोगों को तब बहुत आश्चर्य हुआ, जब केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा, गहलोत साहब आप बहुत वरिष्ठ और अनुभवी नेता है। ऊर्जा के क्षेत्र में हम आपके नेतृत्व में काम करने को तैयार हैं। जोशी ने बताया कि केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ में राजस्थान को कोयला खनन के लिए जो भूमि आवंटित की थी, उसे निरस्त करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने पत्र लिखा है। लेकिन हम (मोदी सरकार)आपको (अशोक गहलोत) को सहयोग करना चाहते हैं। इसलिए आवंटन को निरस्त नहीं कर रहे हैं।

अशोक गहलोत ने जब कोयला आयात करने का मुद्दा उठाया तो प्रहलाद जोशी ने कहा कि केंद्र ने राज्यों को कोयला आयात करने की छूट भी दे दी है। यानी राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को सहयोग करने में मोदी सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है। पिछले चार वर्षों में संभवत: यह पहला अवसर रहा, जब गहलोत ने सरकारी समारोह में मोदी सरकार की आलोचना नहीं की। साथ ही गांधी परिवार की कोई उपलब्धि भी नहीं गिनाई। गहलोत के व्यवहार से साफ झलक रहा था कि केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी की तारीफ से वे गदगद हैं। गहलोत के इस बदले हुए रुख को राजस्थान कांग्रेस में चल रही खींचतान में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सीएम गहलोत और गांधी परिवार में झगड़ा अब खुले में हो रहा है। हालात इतने खराब हैं कि गांधी परिवार के निर्देश पर प्रदेश में कांग्रेस विधायक दल की बैठक भी नहीं हो पा रही है।

मुख्यमंत्री गहलोत ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को भी ठुकरा दिया है। गहलोत का सोनिया गांधी से गत 29 सितंबर को मुलाकात हुई थी। गहलोत का इसके बाद सोनिया गांधी से कोई संवाद नहीं हुआ है। जबकि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। अध्यक्ष पद के चुनाव में मल्लिकार्जुन खडग़े गांधी परिवार के उम्मीदावर हैं। लेकिन सीएम गहलोत की गांधी परिवार से नाराजगी को देखते हुए खडग़े अभी तक भी प्रचार के लिए राजस्थान नहीं आए हैं। जबकि मतदान 17 अक्टूबर को होना है। जानकार सूत्रों के अनुसार गांधी परिवार के उम्मीदवार को जयपुर बुलाने में गहलोत की कोई रुचि नहीं है। यही वजह है कि गहलोत ने वीडियो जारी कर खडग़े की उम्मीदवार का समर्थन किया है। यदि खडग़े को जयपुर बुलाना होता तो गहलोत वीडियो जारी नहीं करते। जानकार सूत्रों के अनुसार गहलोत ने अब गांधी परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, इसलिए वे मोदी सरकार की आलोचना भी नहीं कर रहे हैं। कोयला और संसदीय मंत्री प्रहलाद जोशी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के विश्वासपात्र मंत्री हैं।

लोकसभा में जब विपक्ष का हमला होता है, तब प्रहलाद जोशी ही जवाब की रणनीति बनाते हैं। ऐसे में प्रहलाद जोशी का सीएम गहलोत की सहायता करना बहुत मायने रखता है। सब जानते हैं कि छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस की सरकार है। यदि मोदी सरकार की सहानुभूति अशोक गहलोत के प्रति नहीं होती तो अब तक छत्तीसगढ़ में खानों का आवंटन निरस्त कर दिया जाता। सूत्रों के अनुसार अशोक गहलोत ने गांधी परिवार के प्रति जो रुख अपनाया है। इसी के मद्देनजर छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार राजस्थान को आवंटित खानों को निरस्त करने की मांग की है। छत्तीसगढ़ से कोयला नहीं मिलने के कारण राजस्थान में बिजली संकट हो रहा है। मौजूदा समय में अशोक गहलोत गांधी परिवार के सहयोग के बगैर ही सरकार को चला रहे हैं।