मधुमक्खी पालन से बढ़ेगी किसानों की आय

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मधुमक्खी पालन से बढ़ेगी किसानों की आय
मधुमक्खी पालन से बढ़ेगी किसानों की आय

मधुमक्खी पालन कृषि का एक उभरता हुआ क्षेत्र है। कम से कम निवेश में ग्रामीण,शहरी और उद्यमी समुदायों के लिए यह आजीविका का महत्वपूर्ण स्रोत बनता जा रहा है। कृषि सेवाओं से जुड़ा यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था और स्थानीय एवं कृषक समुदायों के रोजगार को बढ़ावा दे सकता है। वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन को अपनाएं ताकि शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों के उत्पादन और विपणन के माध्यम से किसानों और मधुमक्खी पालकों की आय में वृद्धि हो सके। मधुमक्खी पालन से बढ़ेगी किसानों की आय

भारत सरकार द्वारा किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इस संदर्भ में ‘मधु क्रांति’ एक महत्वाकांक्षी पहल है। इसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शहद और अन्य संबद्ध उत्पादों के उत्पादन में वृद्धि लाने के लिए ‘मधुमक्खी पालन‘ को बढ़ावा देना है।केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने कार्यशाला में कहा कि मधुमक्खी पालन एक कृषि कला है। इसमें शहद और मधुमक्खी के छत्ते के उत्पादों के उचित प्रबंधन और संग्रह के लिए वैज्ञानिक और व्यावहारिक अभ्यास की आवश्यकता होती है। लिखी ने कहा किया कि उन्नत उपकरणों के इस्तेमाल से मधुमक्खी पालन क्षेत्र का विकास होगा। एनबीएचम ने शहद में मिलावट को रोकने और देश में गुणवत्तापूर्ण शहद उत्पादन के लिए 31 छोटे परीक्षण प्रयोगशालाओं और 4 क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं को मंजूरी दी है जिसकी शुरुआत हो चुकी है। यह शहद और संबद्ध उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने और इस क्षेत्र को बढ़ावा देने में मदद करता है।

एक सरकारी बयान में कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इस संदर्भ में ‘मधु क्रांति’ एक महत्वाकांक्षी पहल है। इसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शहद और अन्य संबद्ध उत्पादों के उत्पादन में वृद्धि लाने के लिए ‘मधुमक्खी पालन’ को बढ़ावा देना है। इस कार्यशाला में 500 प्रगतिशील मधुमक्खी पालकों/हितधारकों, स्टार्टअप्स, उद्यमियों, राज्य सरकारों के अधिकारियों, केंद्रीय एवं राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों और शहद प्रोसेसर्स ने हिस्सा लिया था। इसके अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों से 100 से ज्यादा प्रतिभागी वर्चुअली इममें शामिल हुए। मध्य प्रदेश के बुधनी स्थित केन्द्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान (CFMT&TI) के सहयोग से राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (NBHM) के तहत बुधनी में कृषि मंत्रालय द्वारा इस कार्यशाला का आयोजन किया गया था।शहद की जीआई टैगिंग के लिए एनबीएचएम द्वारा की गई पहल पर भी प्रकाश डाला। यह मधुमक्खी पालकों और शहद उत्पादकों के लिए राजस्व और इस क्षेत्र में रोजगार बढ़ाकर ग्रामीण इलाकों को बढ़ावा देने में मददगार बनेगा। उत्पादों की अच्छी गुणवत्ता शहद उत्पादकों के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय द्वार खोलती है।

डॉ. मनोज अहिरवार वैज्ञानिक ने कहा कि मधुमक्खी पालन और शहद उत्पादन को स्वीकार करने और शुरू करने के साथ-साथ उनकी आय बढ़ाने के लिए किसानों, मधुमक्खी पालकों और छात्रों के बीच मधुमक्खी पालन उद्योग के लिए एनबीएचएम की भूमिका और इसके समर्थन का भी वर्णन किया। उन्होंने मध्य प्रदेश के किसानों को भी अवगत कराया है कि राज्य में शहद उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं क्योंकि कई संभावित किसान हैं और आदिवासी आबादी अधिक है, जिससे मधुमक्खी पालन और शहद उत्पादन की अधिक संभावनाएं पैदा होती हैं। मधुमक्खी पालन को गांवों और मध्य प्रदेश के कई अन्य जिलों में बढ़ावा दिया जाएगा, जो कृषि में समृद्ध हैं और स्वदेशी आबादी का एक बड़ा हिस्सा है। एनबीएचएम का नवीनतम कदम न केवल मधुमक्खी पालन और शहद उत्पादन और फसल संरक्षण को बढ़ाने में मदद करेगा बल्कि मध्य प्रदेश के जिलों में स्वदेशी आबादी को आजीविका भी प्रदान करेगा।

केन्द्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान (CFMT&TI) के निदेशक अनिल उपाध्याय ने अपने स्वागत भाषण में एनबीएचएम, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय को राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला आयोजित करने और मध्य प्रदेश के किसानों, मधुमक्खी पालकों, स्टार्ट-अप और एफपीओ पर ध्यान केंद्रित करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह इलाका कृषि में समृद्ध है और यहां बड़ी संख्या में संभावित किसान हैं। यहां मधुमक्खी पालन के विकास की काफी गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि मधुमक्खी पालन कम निवेश वाला अत्यधिक कुशल उद्यम मॉडल है जो टेक्नोलॉजी एप्लिकेशन और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एक स्प्रिंगबोर्ड के रूप में उभर रहा है। मधुमक्खी पालन किसानों और अन्य लोगों की आमदनी बढ़ाने में सहायक है।

राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (NBB) के अतिरिक्त आयुक्त (बागवानी) और कार्यकारी निदेशक डॉ. एनके. पटले ने देश में एनबीएचएम की भूमिका और उपलब्धियों, एनबीएचएम के तहत सहायता प्राप्त लाभार्थियों की सफलता की कहानी, मधुमक्खी पालकों के लिए अवसर और एनबीएचएम के तहत एग्री स्टार्टअप-हितधारकों पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि मधुमक्खी पालन में तकनीकी प्रगति बहुत जरूरी है। सरकार ने किसानों, मधुमक्खी पालकों, शहद स्टार्टअप्स और एफपीओ की सहायता करके मधुमक्खी पालन उद्योग की कुल क्षमता को बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं। एनबीएचएम ने मधु क्रांति पोर्टल भी विकसित किया है जो मधुमक्खी पालकों और अन्य हितधारकों के पंजीकरण के माध्यम से राष्ट्रव्यापी मधुमक्खी पालन डाटा प्रदान करने की एक बड़ी पहल है।

उन्होंने बताया कि एनबीएचएम मधुमक्खी पालन/शहद उत्पादन को प्रोत्साहित करने और शुरू करने के लिए कृषि-उद्यमियों/स्टार्टअप्स को भी सहायता प्रदान कर रहा है। कृषि को आत्मनिर्भर कृषि में बदलने के लिए एफपीओ का प्रचार और गठन पहला कदम है। एनबीएचएम योजना के कार्यान्वयन से मधुमक्खी पालन क्षेत्र को मजबूत करने के लिए प्रौद्योगिकियों और नवाचारों के इस्तेमाल से क्रांतिकारी बदलाव आएगा।उन्होंने सभी मधुमक्खी पालन हितधारकों को एनबीएचएम के तहत सहायता प्राप्त करने और देश के भीतर और बाहर मधुमक्खी पालन और शहद उत्पादन शुरू करने के लिए आगे आने के लिए आमंत्रित किया। मधुमक्खी पालन से बढ़ेगी किसानों की आय