कोविड-19 प्रबंधन हेतु गठित टीम-09 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशा-निर्देश

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भाग-01

  • कोविड-19 की रोकथाम के लिए ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट की नीति के साथ प्रदेशवासियों के जीवन और जीविका की सुरक्षा हेतु किये जा रहे प्रयासों के संतोषप्रद परिणाम मिल रहे हैं। एग्रेसिव टेस्टिंग की नीति के बाद भी नए केस लगातार कम हो रहे हैं, जबकि स्वस्थ होने वालों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है।बीते माह 17 अप्रैल को प्रदेश में लगभग 1.70 लाख एक्टिव केस थे, जो 13 दिनों के भीतर बढ़कर 30 अप्रैल को सर्वाधिक 03 लाख 10 हजार तक पहुंच गए थे। सतत प्रयासों का परिणाम है कि आज 15 दिनों के बाद एक बार फिर एक्टिव केस की संख्या घटकर 1.77 लाख रह गई है। अब तक 14,14,259 प्रदेशवासी कोविड की लड़ाई जीत कर आरोग्यता प्राप्त कर चुके हैं। प्रदेश की रिकवरी दर अब 88% तक हो गई है।
  • एग्रेसिव टेस्टिंग की नीति के अनुरूप विगत 24 घंटों में प्रदेश में 02 लाख 56 हजार 755 टेस्ट किए गए, जिसमें 1,12,000 टेस्ट आरटीपीसीआर के माध्यम से हुए। इसी अवधि में 12,547 नए कोविड केस की पुष्टि हुई , जबकि इसी अवधि में 28,404 लोग स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हुए। 4 करोड़ 44 लाख 27 हजार 447 टेस्ट के साथ देश में सर्वाधिक टेस्ट करने वाला राज्य उत्तर प्रदेश ही है। प्रयोगशालाओं की टेस्टिंग क्षमता को बढ़ाये जाने की कार्यवाही तेज की जाए।
  • वर्तमान में 1.48 लाख लोग होम आइसोलेशन में उपचाराधीन हैं। इनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए टेलीकन्सल्टेशन के माध्यम से चिकित्सकीय परामर्श की व्यवस्था को और बेहतर किया जाए। चिकित्सकों की संख्या, फोन लाइन की संख्या में बढ़ोतरी की जरूरत है। निगरानी समितियों के माध्यम से होम आइसोलेशन के मरीजों और जरूरत के अनुसार उनके परिजनों को मेडिकल किट उपलब्ध कराई जाए। मेडिकल किट वितरण व्यवस्था की सतत मॉनीटरिंग की जाए। जनपदीय आइसीसीसी और सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से मरीजों से संवाद कर उन्हें मिल रही सुविधाओं की जांच कराई जाए।
  • कोविड टीकाकरण की प्रक्रिया प्रदेश में सुचारु रूप से चल रही है। 45 वर्ष से अधिक और 18-44 आयु वर्ग के लोगों को कोविड सुरक्षा कवर प्रदान करने में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है। अब तक 1,16,12,525 लोगों ने पहली डोज और 31,82,072 लोगों ने वैक्सीन की दोनों डोज प्राप्त कर ली है। इस तरह 01 करोड़ 47 लाख 94 हजार 597 कोविड वैक्सीन एडमिनिस्टर हुए हैं। प्रदेश के 18 जनपदों में 18-44 आयु वर्ग के 49,854 लोगों के कल हुए टीकाकरण के साथ अब तक इस आयु वर्ग के 3,65,835 लोगों ने टीका-कवर प्राप्त कर लिया है।
  • वर्तमान में 18 जनपदों में 18-44 आयु वर्ग का टीकाकरण हो रहा है, अब अगले चरण में आगामी सोमवार से प्रदेश के सभी मंडल मुख्यालय वाले सभी जिलों में भी इस आयु वर्ग का टीकाकरण प्राम्‍भ किया जाए। इससे बस्ती, विंध्याचल धाम, आजमगढ़, देवीपाटन और चित्रकूटधाम मंडल मुख्यालय के जिले लाभान्वित होंगे। वैक्सीनेशन के प्रथम दिवस लोगों के उत्साहवर्धन हेतु स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जाए। वैक्सीन सेंटर तय करते समय यह ध्यान रखें कि स्थल पर प्रतीक्षालय हेतु खुला स्थान हो, कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन हो सके।
  • सभी नागरिकों का वैक्सीनेशन निःशुल्क है। कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन सुनिश्चित हो, इसके लिए ऑनलाइन पंजीयन की व्यवस्था लागू की गई है।निरक्षर, दिव्यांग, निराश्रित, श्रमिक अथवा अन्य जरूरतमंद लोगों का टीकाकरण सुनिश्चित कराने के लिए कॉमन सर्विस सेंटर पर टीकाकरण पंजीयन की सुविधा प्रदान करना सुविधाजनक होगा। इस संबंध में तत्काल आवश्यक व्यवस्था की जाए। 45+ आयु के लोगों को द्वितीय डोज के लिए ऑन स्पॉट पंजीयन की सुविधा जारी रखी जाए।
  • विशेषज्ञों के आकलन को दृष्टिगत रखते हुए सभी जिलों में बच्चों के स्वास्थ्य सुरक्षा के विशेष इंतजाम करने की आवश्यकता है। इस उद्देश्य से सभी जिला अस्पतालों में न्यूनतम 10-15 बेड और मेडिकल कॉलेज में 25-30 बेड की क्षमता वाले पीडियाट्रिक आईसीयू को तैयार कराया जाए। मंडल मुख्यालय पर न्यूनतम 100 बेड का पीडियाट्रिक आईसीयू होना चाहिए। गोरखपुर व बस्ती मण्डल में इंसेफेलाइटिस के दृष्टिगत स्थापित ‘पीकू’ की तर्ज पर अन्य जिलों में व्यवस्था की जानी चाहिए। आवश्यक चिकित्सकीय उपकरण, मेडिसिन आदि की उपलब्धता करा ली जाए। इस संबंध में चिकित्सकों व अन्य स्टाफ का प्रशिक्षण कराया जाए। यह कार्य तेजी के साथ कराया जाए।
  • ऑक्सीजन की मांग, आपूर्ति और खर्च में संतुलन बनाने के लिए कराए जा रहे ऑक्सीजन ऑडिट के अच्छे परिणाम मिले हैं। उत्तर प्रदेश में अपनाई गई ऑनलाइन ऑक्सीजन ट्रैकिंग प्रणाली को ‘नीति आयोग’ द्वारा सराहा गया है। यह हमारे लिए उत्साहवर्धक है। सतत नियोजित प्रयासों का ही परिणाम है कि आज सभी मेडिकल कॉलेजों में 24 घंटे से अधिक का ऑक्सीजन बैकअप हो गया है। यही नहीं, कल, ऑक्सीजन रिफिलर्स ने कुल 754 एमटी की मांग की थी, जिसके सापेक्ष उन्हें 820 एमटी ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई।होम आइसोलेशन के किसी भी मरीज को ऑक्सीजन का अभाव न हो। कल 43 मीट्रिक टन ऑक्सीजन होम आइडोलेशन के मरीजों को दी गई। बीते 24 घंटों में 1010 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का वितरण किया गया है। ऑक्सीजन की आपूर्ति को बेहतर करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
  • गांवों और शहरी वार्डों में गठित निगरानी समितियों की प्रदर्शन सराहनीय है। घर-घर स्क्रीनिंग से लेकर मरीजों को मेडिकल किट उपलब्ध कराने, उनकी टेस्टिंग सुनिश्चित कराने सहित सभी जरूरी कार्य यह कुशलता पूर्वक कर रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गांव-गांव टेस्टिंग की हमारी नीति को सराहा है।
  • नदियां को अविरल और निर्मल रखना सभी का दायित्व है। यह हमारे लिए जीवनदायिनी हैं। कतिपय क्षेत्रों में मृतकों के शव नदी किनारे दफनाने अथवा जल प्रवाह की परंपरा है। यह पर्यावरण अनुकूल नहीं है। इस संबंध में धर्मगुरुओं से संवाद किया जाए, लोगों को जागरूक करने की आवश्यक्ता है। एसडीआरएफ तथा पीएसी की जल पुलिस प्रदेश की सभी नदियों में सतत पेट्रोलिंग करती रहे। सिविल पुलिस भी गश्त करे। लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए। प्रत्येक दशा में यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी दशा में शव का जल प्रवाह न हो। नदी किनारे शव न दफनाए जाएं। नदी में शव अथवा मरे हुए जानवर बहाने से नदी प्रदूषित होती है। इस संबंध में गृह विभाग, नगर विकास विभाग व ग्राम विकास एवं पंचायत विभाग समन्वित होकर कार्य करें।
  • प्रदेश में नदियों के किनारे स्थित सभी गांवों तथा शहरों में ग्राम विकास अधिकारी व ग्राम प्रधान तथा शहरों में अधिशाषी अधिकारी व नगर पालिका/नगर पंचायत/नगर निगम के अध्यक्षों के माध्यम से समितियां बनाकर यह सुनिश्चित किया जाए कोई भी व्यक्ति परम्परा के नाते नदियों में शव का जल प्रवाह न करे। कोविड के कारण होने वाली हर मृत्यु दुःखद है। मृतकों के परिजनों के प्रति प्रदेश सरकार की संवेदनाएं हैं। अंत्येष्टि की क्रिया मृतक की धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप ससम्मान किया जाए। अंत्येष्टि क्रिया को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा आवश्यक वित्तीय सहायता भी दी जा रही है। यदि परम्परागत रूप से भी जलसमाधि हो रही है, अथवा कोई लावारिस छोड़ रहा है तो भी उसकी सम्मानजनक तरीक़े से धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उसका अंतिम संस्कार कराया जाए। किसी भी दशा में किसी को भी धार्मिक परंपराओं के नाते नदी में शव न आने दिया जाए।