मुख्य सचिव ने इंटरनेशनल डे ऑफ फॉरेस्ट के अवसर पर किया पौधारोपण 

99

मुख्य सचिव ने इंटरनेशनल डे ऑफ फॉरेस्ट के अवसर पर मियावाकी फारेस्ट में तीन वृक्ष यथा-पीपल, पाकड़ एवं वटवृक्ष का किया पौधारोपण।

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”इस समाचार को सुने”] लखनऊ/आगरा। प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने आज इंटरनेशनल डे ऑफ फॉरेस्ट के अवसर पर ताज नेचर वाक में वन विभाग द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य सचिव ने मियावाकी फॉरेस्ट में तीन वृक्ष यथा-पीपल, पाकड़ एवं वटवृक्ष का पौधारोपण किया।मुख्य सचिव ने कहा कि वन हमारी संस्कृति का एक बहुत ही मुख्य अंग है। हमारे बहुत सारे ग्रंथ चाहे वह पुराण हो, इतिहास हो, वेद हो, या उपनिषद हो यह सारे के सारे ग्रथों की रचना वनों में हुई थी। उन्होंने कहा कि वन हमारी जिंदगी का एक अभिन्न अंग है। 2012 में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के द्वारा विष्व वन दिवस के रूप में मनाए जाने का निर्णय लिया गया और आज पूरे विष्व भर में वन के माध्यम से प्रकृति के पर्यावरण की रक्षा करने के लिए इसको जगह-जगह मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि यदि हमें वन को बचाना है तो वन को बचाने के लिए अपनी संस्कृति को बचाना अति आवश्यक है।आगरा में जो टूरिस्ट आते हैं उन्हें न केवल ताज का दर्शन हो, बल्कि नेचर का दर्शन हो और हमारे संस्कृति का दर्शन हो। उसको समझ सकें की ताज के साथ-साथ एक नई चीज को लेकर जा रहे हैं और ताज का ऐसा रूप आगरा के लोग ही नहीं बल्कि दुनिया के लोगों ने भी ऐसा कभी नहीं देखा होगा।

जगह-जगह से ताजमहल के अलग-अलग रूप देखने को मिले। उन्होंने कहा कि सन् 1996 में आगरा आया था तो हमारी पहली थीम थी कि ताजमहल को लेकर के ही यहां पर जो एक मुगल बादशाह का प्रेम का प्रतीक ताज के रूप में जिसे दुनिया भर से लोग देखने आते हैं, क्योंकि यह सिंबल आफ लव है, जो पहला हमारा माउंट होगा वह लव के ऊपर होगा, जहां सारा का सारा हमारे देश में लव का जो एक हिस्सा, जो तमाम सारी चीजें हैं उन चीजों पर प्रदर्शित करेंगे। जो दूसरा हमारा माउंट होगा वह लव ही नहीं बल्कि यह ब्रज क्षेत्र है और ब्रज क्षेत्र वह क्षेत्र है जहां भगवान ने लीलाएं की हैं, क्योंकि यह ब्रज क्षेत्र भगवान श्री कृष्ण की वजह से जाना जाता है तो एक हमारा माउंट जो पूरा का पूरा भगवान की प्रेम की लीलाओं के लिए डेडिकेट होगा। जो तीसरा माउंट है, यह क्षेत्र रचनात्मकता की बड़ी ही सुदृढ़ और एक सशक्त धरती रही है, इस पूरे इलाके में ऐसे तमाम सारे जैसे यहां के द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी हो, यहां पर सूरदास और तमाम सारे सूरदास के गुरु उनके जितने सारे यहां पर कवि हैं, जिन्होंने यहां पर संस्कृत में, हिंदी में, उर्दू में तमाम किस्म की रचनाएं की हैं, कुल रचनाओं का जो प्रेम भाव है रसखान ऐसे तमाम सारे रसों का पूरा भार एक हमारा माउंट होगा।

मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र

   दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा कि एक हमारा माउंट होगा यहां पर फ्लोरा एंड फौना की जो विविधता है और यह पूरा इलाका चंबल का इलाका हो, यमुना का इलाका हो, ऐसे-ऐसे फ्लावर जो हमारा फ्लोरा एंड फौना एक अलग से माउंट बनाएंगे और पांचवा माउंट मैंने तय किया था आज जैसे हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं 2022 में जब हम आजादी के 75 साल पूरे कर चुके हैं।अपनी पुरानी यादों को ताजा करते हुए कहा कि मैंने एक किताब बनाई थी, जो आगरा में भाग लेने वाले भूले बिसरे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उस पुस्तक में हर एक के बारे में, यह समय है उन लोगों को याद करने का जिनकी वजह से हम चौन की सांस ले रहे हैं, एक आजाद देश का हम लोग आनंद ले रहे हैं, शायद 1947 के पहले नहीं था पांचवा मेरा माउंट यही था आजादी के उन तमाम सारे दीवानों को उनको यहां स्थापित करने का। जब मैं भारत सरकार में अर्बन सेक्रेटरी था जब भी हम कोई छोटा किताब निकालते थे उसमें छोटा क्यूआर कोड रहता था और उस क्यूआर कोड से क्लिक कर देता था प्रधानमंत्री जी की स्पीच मा0 राष्ट्रपति जी की स्पीच प्रारंभ हो जाती थी, ऐसी तमाम सारी जानकारी जो हम लिख नहीं सकते थे, लिखना बहुत ज्यादा हो जाता था एक छोटा सा क्यूआर कोड पर क्लिक करेंगे तो पूरी की पूरी कहानी चल पड़ती थी उन्होंने चौधरी साहब से कहा कि इसी तरह की जानकारी के लिए एक छोटे से क्यूआर कोड के साथ चाहे कोई पेरिस से आए, स्विट्जरलैंड से आए, ऑस्ट्रेलिया से आए, न्यूजीलैंड से आए, कनाडा से आए कहीं से भी कोई भी टूरिस्ट आए अपने टेलीफोन से क्यूआर कोड को स्कैन किया और पूरी उसके मोबाइल में सारी की सारी जानकारी मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि आज की टेक्नोलॉजी डिजिटल टेक्नोलॉजी ऐसी हो गई है कि लोग अब यहां पर जाने के बाद कहीं से भी दुनिया के कोने से बैठ कर के देख सकते हैं एक बार क्यूआर कोड नोट कर लिया तो पूरी बात समझ सकते हैं देख सकते हैं हर कहीं उपलृब्ध है। 

उन्होंने कहा कि हम और आप चले जाएंगे लेकिन पेड़ हमेशा रहेगा क्योंकि पेड़ इतना बड़ा परोपकारी है, जो अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जीता है। वह आपको टिंबर भी देता है, छाया भी देता है, आपको फल भी देता है, सुगंध भी देता है और तो और आपके लिए प्राणवायु भी देता है, आपको पीने के लिए जल भी देता है। जहां पर पेड़ होता है वहां पर जल भी होता है, वहां पर जल की कमी नहीं होती है। उन्होंने कहा कि जियो और जीने दो यह हमारी संस्कृति है और दूसरों को जीने देने के लिए उस पेड़ की जरूरत है, प्रकृति को बचाकर रखने की जरूरत है।इस कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव, वन मनोज सिंह, प्रमुख सचिव, पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश मेश्राम, मण्डलायुक्त अमित गुप्ता, जिलाधिकारी प्रभु एन0 सिंह सहित वन विभाग के अधिकारीगण आदि उपस्थित थे। [/Responsivevoice]