प्रमुख सचिव कारागार का कारनामा

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आर.के.यादव

सीबीआई जांच के आरोपी अधीक्षक की सीएम के जनपद में तैनाती। जेल विभाग के तबादलों में जमकर उड़ी स्थानांतरण नीति की धज्जियां। चहेते अधिकारियों को कमाऊ जेलों पर भेजने के लिए निर्देशों किया दरकिनार ।प्रमुख सचिव कारागार का कारनामा।

लखनऊ। प्रदेश में तबादला उद्योग नहीं चलने दिया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस दावे को पोल कारागार विभाग के तबादलों में खुल गई। विभाग के तबादलों में चहेते अधिकारियों को कमाऊ जेलों पर तैनाती देने के स्थानांतरण नीति की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। जेलों पर तीन साल पूरा होने की बात तो छोड़िए छह से आठ माह पूर्व तैनात किए गए अधिकारियो को स्थानांतरित का दिया गया। दिलचस्प बात तो यह है कि सीबीआई के आरोपी एक अधीक्षक को तो मुख्यमंत्री के जनपद की गोरखपुर जेल पर तैनात कर दिया गया है।

फिर बदला प्रमुख सचिव ने तबादला आदेश

प्रमुख सचिव की सूची में वरिष्ठ अधीक्षक विनोद कुमार को जिला कारागार बरेली में तैनात किया गया है। यह जेल वजूद में ही नही है। इसको देखते हुए प्रमुख सचिव / महानिदेशक कारागार राजेश कुमार सिंह ने इस तबादले में संसोधन करते हुए जिला कारागार बरेली स्थानांतरित किए गए वरिष्ठ अधीक्षक विनोद कुमार को बरेली से बदलकर झांसी जिला जेल स्थानांतरित कर दिया। उधर इस संबंध में जब प्रमुख सचिव कारागार राजेश कुमार सिंह से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन नहीं उठा। निजी सचिव विनय सिंह ने कहा की ऐसी उन्हें कोई जानकारी ही नहीं है।


स्थानातरण सत्र के अंतिम दिन से तीन पहले जेल विभाग बड़ी संख्या अधिकारियो और सुरक्षाकर्मियों के तबादले किए गये। बीते मंगलवार को प्रमुख सचिव/महानिदेशक कारागार राजेश कुमार सिंह ने कारागार विभाग के 13 अधीक्षक एवं वरिष्ठ अधीक्षकों का तबादला किया। इसमें करीब आठ माह पहले ही जेल मुख्यालय से केंद्रीय कारागार आगरा स्थानांतरित किए गए वरिष्ठ अधीक्षक को हटाकर वापस मुख्यालय भेज दिया गया। यह अलग बात है कि अगले ही दिन उसको बदलकर सेंट्रल जेल वाराणसी कर दिया गया। अभी एक वर्ष भी पूरा नहीं हो पाया था कि उनका स्थानांतरण कर दिया गया। इसके अलावा इस सूची में निलंबन अवधि के दौरान जेल प्रशिक्षण संस्थान में अटैच अधीक्षक डीके पांडे को बहाली के बाद गोरखपुर जेल जेल में तैनात कर दिया गया।


सूत्रों का कहना है कि डीके पांडे की देवरिया जेल में तैनाती के दौरान 26 दिसंबर 2018 को माफिया अतीक अहमद (मृतक) ने लखनऊ के एक व्यवसाई को जेल में जमकर पिटाई की। यह मामला सुर्खियों में रहा। मामले को सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान में लेकर मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि सभी दोषी अधिकारियों को निलंबित किया जाय। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि दोषी जेल अफसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर विधिक कार्यवाही की जाए। सीबीआई जांच के आरोपी अधीक्षक के गोरखपुर जेल में तैनाती होने का मामला विभागीय अफसरों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है।