कांग्रेस को नहीं मिल रहे प्रत्याशी….!

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भाजपा की रणनीति पिछड़ा होगा आगे
भाजपा की रणनीति पिछड़ा होगा आगे

कंगाल कांग्रेस को खोजे नहीं मिल रहे प्रत्याशी…! खर्च कम करने के लिए मुख्यालय से निकाल दिए गए वर्षों पुराने कई कर्मचारी।

आर.के.यादव

लखनऊ। कंगाली के दौर से गुजर रही प्रदेश कांग्रेस पार्टी को नगर निकाय चुनाव के लिए ढूंढे प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लगे कांग्रेस की गतिविधियां इस सच की पुृष्टि करती नजर आ रही है। कांग्रेस नेताओं की मानें तो भाजपा की तर्ज पर कांग्रेस पूंजीपतियों से चंदा वसूल नहीं कर रही है। इतना जरूर है कि पार्टी ने फालतू के खर्च पर रोक जरूर लगाई गई है। इसके बावजूद पार्टी जोरशोर से नगर निकाय चुनाव लडक़र बेहतर प्रदर्शन भी करेगी।

पुराने नेताओ पर एक बार फिर लगाया- दांवउत्तर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय ने सभासद पद 15 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी। इस सूची में पार्टी ने उन नेताओ पर दांव लगाया है, जो पहले से वार्डो पर कब्जा जमाए हुए है। पार्टी ने वर्तमान में नगर निगम सदन में दल की नेता ममता चौधरी, पूर्व शहर अध्यक्ष मुकेश सिंह चौहान, गिरीश मिश्र समेत कई ऐसे नेताओ को प्रत्याशी बनाया है जो पहले से नगर निगम में काबिज रहे है। पहली सूची में कुछ नए चेहरों पर भी दांव जरूर लगाया गया है। उधर कांग्रेस प्रवक्ता ने बताया कि कांग्रेस पार्टी शुरू से ही सिद्धांतों की पार्टी रही है। कांग्रेस पूंजीपतियों से चंदा लेकर चुनाव नहीं लड़ती है। यह काम भारतीय जनता पार्टी करती है। भाजपा पूंजीपतियों की पार्टी है कांग्रेस नीतियों से समझौता नहीं करती है।

यूपी में हाशिये पर चल रही प्रदेश कांग्रेस नगर निकाय चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर अपनी खोयी हुई साख को वापस लाने की कवायद में जुटी हुई है। पिछले करीब तीन दशक से सत्ता के बाहर होने की वजह से कांग्रेस संगठन की आर्थिक स्थित भी दयनीय हालत में है। पिछले दिनों प्रदेश कांग्रेस पार्टी पदाधिकारियों ने आर्थिक स्थिति के बदतर हालात को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस मुृख्यालय में वर्षो से कार्यरत कई कर्मचारियों की सेवाएं तक समाप्त कर दी। बीस से पच्चीस साल से मुृख्यालय में सेवा दे रहे इन कर्मचारियों को विरोध प्रदर्शन के बाद भी वापस नहीं बुलाया गया। इसको लेकर कर्मचारियों में खासी नाराजगी है।

कांग्रेस हाईकमान ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को पुराना वर्चस्व वापस लाने के लिए नया प्रयोग किया है। इस प्रयोग के तहत एक प्रदेश अध्यक्ष व छह प्रांतीय अध्यक्ष मनोनीत किए गए हैं। जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर मनोनीत किया गया यह नेतृत्व कितना कारगर साबित होगा यह लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में होने वाले नगर निकाय व पंचायत चुनाव में देखने का मिलेगा। फिलहाल कांग्रेस आला कमान की नई टीम नगर निकाय चुनाव में विजयश्री हासिल करने की जुगत में लग गई है।

प्रदेश कांग्रेस नेताओं की मानें तो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की संगठन के साथ आर्थिक हालत अत्यंत दयनीय है। नेताओं का तर्क है कि कांग्रेस पार्टी भाजपा की तरह पूंजीपतियों से चंदा वसूल नहीं करती है। बावजूद इसके प्रदेश में पार्टी दमखम के साथ नगर निकाय चुनाव लड़ेगी। चुनाव को लेकर व्यापक तैयारियां की गई है। एक सवाल के जबाव में पार्टी नेताओं का कहना है कि नगर निकाय चुनाव के प्रत्याशियों के लगातार आवेदन मिल रहे है जबकि हकीकत यह है कि कांग्रेस मुख्यालय को आवेदन मिल ही नहीं रहे हैं। यही वजह है कांग्रेस प्रशासन प्रभारी आवेदन पत्रों की संख्या बताने से बच रहे हैं।