भाजपा की जीत में संघ परिवार का योगदान

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बृजनन्दन राजू

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  उत्तर प्रदेश के चुनाव नतीजों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि किसी पार्टी या नेता की प्राथमिकता जनहित में नहीं है तो उनकी राजनीति आसान नहीं है। उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत के कई कारण हो सकते हैं,लेकिन मोदी के राशन और योगी के शासन के अलावा संघ परिवार की भूमिका को नजरंदाज नहीं किया जा सकता।योगी की जीत में केंद्र की योजनाओं के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी बड़ा योगदान है। क्योंकि भाजपा के हर मंच से केन्द्र सरकार की योजनाएं ही गिनाई जा रही थी। मोदी ने जनता से सीधा संबंध स्थापित किया। ऐसा करके नरेन्द्र मोदी ने सबकी दलाली बंद कर दी। आजादी के बाद योजनाएं तमाम बनीं लेकिन उनका क्रियान्वयन ठीक से नहीं हुआ। मोदी ने अपने कार्यकाल में जितनी भी योजनाएं बनाई चाहे उज्ज्वला,प्रधानमंत्री आवास,किसान सम्मान निधि सारी योजनाओं का लाभ बिना भेदभाव के सीधे जनता को हुआ। देश में नरेन्द्र मोदी एक मात्र ऐसे नेता हैं जिन पर जनता को भरोसा आज भी कायम है।  

मोदी ने अपनी नीतियों से हर वर्ग के साथ महिलाओं को भी साधने का काम किया। केंद्र की योजनाओं में महिलाओं को प्राथमिकता दी गयी थी। तीन तलाक कानून बनाकर मोदी मुस्लिम महिलाओं के ह्रदय में भी स्थान बना चुके हैं। बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाजपा सरकार के काम पर मुहर लगाई।  प्रधानमंत्री ने जीत के बाद अपने पहले भाषण में यह कहा भी कि नारी शक्ति भाजपा की जीत की सारथी बनी।अपने भाषण में आवारा पशुओं की समस्या का निराकरण करने की घोषणा कर प्रधानमंत्री ने किसानों की नाराजगी दूर करने का प्रयास किया। क्योंकि प्रदेश में छुट्टा जानवर एक बड़ी समस्या है। इसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता। किसानों के अंदर छुट्टा जानवरों को लेकर भयंकर नाराजगी थी लेकिन मुफ्त राशन ने उस नाराजगी को कम करने का काम किया। योगी जहां इस पर चुप्पी साधे रहे वहीं मोदी ने कहा कि हम इस समस्या का निराकरण करेंगे। इससे जनता को विश्वास हुआ कि मोदी ने कहा है तो करेंगे।

सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास भाजपा ने इस नारे को हकीकत में बदला। अभी तक हर योजना में भेदभाव व भ्रष्टाचार होता था पहली बार ऐसा हुआ कि पारदर्शी व निष्पक्ष तरीके से सरकारी योजनाएं सीधे जनता तक पहुंची। कोरोनाकाल में लोग बेरोजगार भले हुए लेकिन राशन की किल्लत किसी भी परिवार में नहीं हुई। घर-गृहस्थी चलाने का काम महिलाएं ही संभालती हैं। इसलिए उनके ह्रदय में मोदी विराजमान हैं। हमारे सनातन परम्परा की सबसे बड़ी विशेषता है कि यदि किसी ने उपकार किया है तो उस उपकार के बदले व्यक्ति उस ऋण से उऋण होना चाहता है। यही कारण रहा कि मोदी ने जनहित में इतना काम किया कि जनता ने मोदी के उपकार के बदले भाजपा का समर्थन किया। इस सबके बावजूद चुनाव में संघ परिवार की भूमिका को नजरंदाज नहीं किया जा सकता।इस बार के चुनाव में जीत का सर्वाधिक श्रेय संघ के कार्यकर्ताओं को देना चाहिए। अगर जमीन पर उतरकर गांव-गांव घर-घर जाकर कुण्डी खटकाने का काम संघ के कार्यकर्ताओं ने किया। भाजपा के अधिकांश कार्यकर्ता पार्टी की बैठक,चुनाव कार्यालय,प्रत्याशियों के इर्द गिर्द व चुनावी सभाओं तक ही सीमित रहे। जबकि संघ के कार्यकर्ता केन्द्र सरकार की योजनाओं का पत्रक लेकर घर-घर गये। संघ कार्यकर्ता मान सम्मान की चिंता किये बगैर अमानित्व भाव से कार्य करता है। संघ का  स्वयंसेवक अपने मन में देश के वैभव की कामना लेकर काम करता है। देश के उत्थान में अपना उत्थान समझता है।


उत्तर प्रदेश के इतिहास में पहली बार संघ सम्पूर्ण शक्ति के साथ लगा। हर बार चुनाव में संघ की भूमिका केवल समन्वय और भाजपा कार्यकर्ताओं के सहयोग तक रहती थी। इस बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पहली विधानसभा से लेकर खण्ड,मण्डल और बूथ स्तर तक कमेटी बनाई। अधिकांश जगहों पर बूथ प्रबंधन का सारा काम संघ के स्वयंसेवकों ने ही संभाला।वास्तव  में सत्ता प्राप्ति के लिए संघ काम नहीं करता है। संघ का काम सम्पूर्ण समाज को जोड़ने का है। इसलिए संघ ने स्थापना काल से ही तय किया संघ चुनावी राजनीति से दूर रहेगा। संघ राजनीति से परहेज करता है इसका मतलब यह नहीं कि कोई भी सत्ता में आ जाये। संघ यही कहता है कि जो राष्ट्र हित के विचार को लेकर खड़ा हो उसके पीछे खड़े हो जाओ। संघ के स्वयंसेवकों ने यही किया भी। संघ के जो वैचारिक मुद्दे थे, राम मंदिर का निर्माण,अनुच्छेद 370 की समाप्ति,गौरक्षा और मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से मुक्ति दिलाने का काम भाजपा ने किया। जब संघ के मुद्दों पर खरा उतरने का काम भाजपा ने किया तो भाजपा का समर्थन करना स्वयंसेवकों का नैतिक दायित्व भी था।कोरोना काल, श्रीराम मंदिर के लिए जनसंपर्क अभियान और अमृत महोत्सव के आयोजन में संघ के लाखों कार्यकर्ता लगे। इन महाभियानों में तमाम नये कार्यकर्ता भी संपर्क में आये। इन अभियानों का सीधे लाभ भाजपा को मिला।

कोरोनाकाल में स्वयंसेवकों का अतुलनीय सेवाकार्य-

कोरोनाकाल में संघ की दैनिक शाखाएं लगना भले बंद हुई थी लेकिन स्वयंसेवकों की गतिविधियां कम नहीं हुईं। पहले लाकडाउन की घोषणा के बाद जब दिल्ली से लाखों की संख्या में मजदूर पलायन को मजबूर हुए तो सबसे पहले संघ ही उनकी सेवा में आगे आया। संघ के स्वयंसेवक नोयडा से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार तक सभी स्थानों पर जगह-जगह भोजन व जलपान के लिए स्टाल लगाए।संघ में सेवा व समर्पण का जो संस्कार दिया जाता है उसी के अनुरूप उस कठिन दौर में जब लोग अपने घरों से निकलने का साहस नहीं कर पा रहे थे ऐसे समय में संघ के हजारों स्वयंसेवक ने अपनी जान की परवाह किये बगैर सेवा कार्य के लिए निकल पड़े। स्वयंसेवकों ने महानगरों की सेवा बस्तियों से लेकर सुदूर ग्रामीण व वनांचल में निवास करने वाले गरीब व अभावग्रस्त परिवारों तक भोजन पैकेट व राशन किट वितरण करने का काम स्वयंसेवकों ने किया। यही नहीं बड़े पैमाने पर मास्क व सेनेटाइजन का वितरण कराया गया। गांव गली मोहल्लों में सेनेटाइजर का छिड़काव खुद स्वयंसेवकों ने किया।अस्पतालों में व्यवस्था की कमी,चिकित्सा के उपकरणों तथा दवाओं की आपूर्ति का अभाव हुआ तो संघ ने सभी महानगरों में सेवा भारती व विद्याभारती के सहयोग से अस्थाई वार्ड तैयार कर कोरोना के मरीजों को भर्ती कर उनका इलाज कराया।

कोरोना काल में संघ के साढ़े पांच लाख 60 हजार से अधिक स्वयंसेवक सेवा कार्य में जुटे थे। स्वयंसेवकों ने देशभर में सेवा भारती के माध्यम से 92,656 स्थानों पर सेवा कार्य किए। संघ ने 73 लाख राशन किट वितरित कराया। साढ़े चार करोड़ लोगों को भोजन पैकेट वितरित किया गया। नब्बे लाख मास्क का वितरण किया औ 20 लाख प्रवासी लोगों की सहायता की गई। इसके अलावा ढ़ाई लाख  घुमंतू लोगों की सहायता की। स्वयंसेवकों ने 60 हजार यूनिट रक्तदान भी किया। संघ के अलावा समाज के अनेक संगठनों, मठ, मंदिर, गुरुद्वारों ने भी समाज की सेवा की।कोरोना की दूसरी लहर बहुत भयावह थी। असंख्य परिवारों को जहां असहनीय संकटों का सामना करना पड़ा वहीं बड़े पैमाने पर जनहानि भी हुई। ऐसे समय में जब अंतिम संस्कार करने के लिए कोई नहीं मिलता था ऐसे समय में संघ के स्वयंसेवक ही मिलते थे। जैसे तैसे तीसरी लहर से निजात मिली।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कोरोना के संभावित तीसरी लहर का सामना करने हेतु देशव्यापी “कार्यकर्ता प्रशिक्षण” वर्ग का आयोजन किया। संघ ने 10 लाख से अधिक युवा कार्यकर्ताओं को प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण दिया। इसके बाद जब कोरोना वैक्सीन आ गयी तब शत -प्रतिशत टीकाकरण के लक्ष्य को पूरा करने में स्वयंसेवकों ने अपना योगदान दिया।

निधि समर्पण अभियान में 40 लाख कार्यकर्ता लगे-

राम व राष्ट्र के प्रति समर्पण का स्वर्णिम अवसर राम मंदिर के लिए निधि समर्पण अभियान आया। मंदिर निर्माण के लिए मकर संक्रांति से लेकर 27 फरवरी तक चलाए गए 44 दिनों के निधि समर्पण अभियान में देश के 12 करोड़ से अधिक परिवारों में संघ कार्यकर्ताओं ने संपर्क किया। निधि समर्पण अभियान में राम मंदिर के लिए मजदूर, किसान, किन्नर तथा वनवासी अंचल से लेकर घुमंतू वर्ग के लोगों ने भी यथायोग्य निधि समर्पण कर प्रभु श्रीराम के प्रति अपनी प्रगाढ़ आस्था व्यक्त की। इस अभियान में 10 लाख टोलियों बनायी गयी थी जिसमें 40 लाख कार्यकर्ता लगे थे। इस अभियान में संघ के कार्यकर्ता राम काज के लिए गांव-गांव गये थे। समाज का इस कार्य में अपार सहयोग व समर्थन मिला। इस अभियान में स्वयंसेवकों का उद्देश्य अधिक से अधिक निधि एकत्र करना नहीं था बल्कि अधिक से अधिक गांवों तथा परिवारों तक पहुंचने का लक्ष्य था. इससे पहले इतना व्यापक जनसंपर्क अभियान कभी नहीं हुआ था। देश के साढ़े पांच लाख गावों तक जाने वाला विश्व इतिहास का सबसे बड़ा संपर्क अभियान सिद्ध हुआ।

अमृत महोत्सव के तहत गांव-गांव हुए कार्यक्रम-

स्वाधीनता के अमृत महोत्सव का सुअवसर आया। इसके लिए संघ ने क्षेत्र,प्रान्त,जिला,खण्ड नगर व बस्ती स्तर तक कमेटी गठित की गयी।स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के उलक्ष्य में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के जन्मोत्सव से विजय दिवस तक (19 नवम्बर से 16 दिसम्बर) तक 28 दिवसीए भारत माता पूजन,तिरंगा यात्रा व गोष्ठी जैसे अनेक कार्यक्रम हुए। उत्तर प्रदेश में दो हजार से अधिक सार्वजनिक कार्यक्रम हुए। जिनमें 12 लाख से अधिक लोगों की सहभागिता हुई। गांव-गांव भारत माता पूजन के कार्यक्रम हुए। नगरों में तिरंगा यात्राएं निकाली गयी। स्कूलों में वंदेमातरम का गायन हुआ।भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन की सबसे बड़ी विशेषता थी कि यह केवल राजनैतिक नहीं, अपितु राष्ट्रजीवन के सभी आयामों तथा समाज के सभी वर्गों का साथ रहा। 1947 में हमें राजनीतिक  स्वतंत्रता तो मिल गयी लेकिन स्वधर्म,स्वसंस्कृति,स्वभाषा,स्वदेशी और स्वराज जो अपेक्षित था वह पीछे छूट गया। यह सब बताने के लिए गांव गांव कार्यक्रम तय किये गये।… [/Responsivevoice]