शर्त पूरी करने पर दिहाड़ीदार भी होगा पेंशन लेने का हकदार-हिमाचल हाईकोर्ट

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⚫ सर्वोच्च न्यायालय ने सुंदर सिंह नामक मामले में यह व्यवस्थता दी है कि 5 वर्ष की दिहाड़ीदार सेवा को 1 वर्ष की नियमित सेवा के बराबर माना जाएगा। 10 वर्ष की दिहाड़ीदार सेवा को 2 वर्ष की नियमित सेवा के बराबर माना जाएगा। ताकि कर्मी 1 या 2 वर्षो की नियमित सेवा की कमी के चलते पेंशन के लाभ से वंचित न हो।

? न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर, न्यायाधीश अजय मोहन गोयल व न्यायाधीश चंद्रभूसन बारोवालिया की पीठ ने बालों देवी के मामले में यह फैसला सुनाते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलीमठ और न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ द्वारा पारित फैसले से सहमति जताई।

?नियमित सेवा के साथ अगर दिहाड़ीदार सेवा का 20 फीसदी नियमित सेवा के बराबर लाभ देते हुए 10 वर्ष पूरे होते हैं तभी सरकारी कर्मी पेंशन लेने का हक रखेगा। पेंशन से जुड़े मामले में प्रदेश उच्च न्यायालय की तीन जजों की पीठ ने सर्वोच्च न्यायालय की ओर से सुंदर सिंह नामक मामले में पारित फैसले की व्याख्या करते हुए यह स्पष्ट किया।

?गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने सुंदर सिंह नामक मामले में यह व्यवस्थता दी है कि 5 वर्ष की दिहाड़ीदार सेवा को 1 वर्ष की नियमित सेवा के बराबर माना जाएगा।10 वर्ष की दिहाड़ीदार सेवा को 2 वर्ष की नियमित सेवा के बराबर माना जाएगा। ताकि कर्मी 1 या 2 वर्षो की नियमित सेवा की कमी के चलते पेंशन के लाभ से वंचित न हो।

? न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर, न्यायाधीश अजय मोहन गोयल व न्यायाधीश चंद्रभूसन बारोवालिया की पीठ ने बालों देवी के मामले में यह फैसला सुनाते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलीमठ और न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ द्वारा पारित फैसले से सहमति जताई।

?गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुंदर सिंह नामक फैसले को लेकर एकल पीठ व अन्य खंडपीठ के फैसलों में विरोधाभास उत्पन्न हो गया था जिस कारण मामले को तीन जजों की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए रखा गया था। एकल पीठ व अन्य खंडपीठ का यह मत था कि अगर नियमित सेवा के साथ दिहाड़ीदार सेवा का लाभ देते हुए 8 वर्ष की सेवा का कार्यकाल पूरा हो जाता है तो उस स्थिति में सरकारी कर्मी पेंशन लेने का हक रखेगा।

?उल्लेखनीय है कि सुंदर सिंह के फैसले में 8 साल की सेवा को 10 वर्ष आंकने का भी जिक्त्रस् किया गया है। जबकि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ का यह मत था कि नियमित सेवा के साथ दिहाड़ीदार सेवा का लाभ देते हुए अगर 10 वर्ष की सेवा का कार्यकाल पूरा होता है तभी सरकारी कर्मी नियमित पेंशन लेने का हक रखेगा।