योगी मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

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योगी मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

योगी मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-

प्रदेश में मिलेट्स की खेती, प्रसंस्करण एवं उपभोग को बढ़ावा देने के लिए ‘उ0प्र0 मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम’ के संचालन के प्रस्ताव को अनुमति

मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में मिलेट्स (ज्वार, बाजरा, कोदो, सावां, रागी/मडुआ आदि) की खेती, प्रसंस्करण एवं उपभोग को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा ‘उत्तर प्रदेश मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम’ के संचालन के प्रस्ताव को अनुमति प्रदान कर दी है।उत्तर प्रदेश मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम (उत्तर प्रदेश मिलेट्स रिवाइवल प्रोग्राम-यू0पी0एम0आर0पी0) नामक यह नवीन योजना वर्ष 2022-23 (01 जनवरी, 2023) से वर्ष 2026-27 तक संचालित किये जाने का प्रस्ताव है। कार्यक्रम क्रियान्वयन की 05 वर्षाें की इस अवधि में 18626.50 लाख रुपये का अनुमानित व्यय आंकलित है, जिसे राज्य सरकार द्वारा नयी योजना स्वीकृत करते हुए वहन किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा खाद्य एवं पोषण सुरक्षा हेतु मिलेट्स के उपभोग के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए वर्ष 2023 को अन्तर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष (इण्टरनेशनल ईयर आॅफ मिलेट्स) के रूप में मनाये जाने का निर्णय लिया गया है।


उत्तर प्रदेश मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम के संचालन हेतु नीति निर्धारण, पात्रता हेतु मापदण्ड निर्धारण, अनुदान भुगतान हेतु मानक के निर्धारण एवं योजना की सामयिक प्रगति की समीक्षा हेतु कृषि निदेशक की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय परियोजना स्क्रीनिंग समिति अधिकृत होगी। राज्य स्तरीय परियोजना स्क्रीनिंग समिति द्वारा संस्तुत प्रस्तावों की स्वीकृति, अनुश्रवण एवं स्वीकृत प्रस्तावों के सापेक्ष धनराशि अवमुक्त करने हेतु अपर मुख्य सचिव कृषि की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय स्वीकृति समिति अधिकृत होगी। उत्तर प्रदेश मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम के भौतिक एवं वित्तीय लक्ष्य, क्षेत्र एवं क्रियान्वयन के दिशा-निर्देेशों में भविष्य की आवश्यकता के अनुसार वांछित संशोधन राज्य स्तरीय स्वीकृति समिति द्वारा किया जाएगा।राज्य में मिलेट्स की खेती पारंपरिक रूप से बहुत हद तक लोकप्रिय एवं प्रचलित थी, परन्तु हरित क्रान्ति के उद्भव के साथ कृषि क्षेत्र में हुए परिवर्तन से इसका क्षेत्र और उत्पादन उस प्रकार प्रचलित नहीं रहा और कुल खाद्यान्न उत्पादन में मिलेट्स का हिस्सा कम हुआ, जबकि पौष्टिक अनाज के बास्केट के रूप में मिलेट्स अत्यन्त उपयोगी है। मिलेट्स सूक्ष्म पोषक तत्वों, विटामिन और खनिजों का भण्डार है। शाकाहारी खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग के लिए मिलेट्स एक वैकल्पिक खाद्य प्रणाली प्रदान करता है। मिलेट्स संतुलित आहार के साथ-साथ एक सुरक्षित वातावरण के निर्माण में योगदान देता है। ये मानव जाति के लिए एक प्राकृतिक उपहार है।


ऽ प्रदेश में मिलेट्स के अन्तर्गत ज्वार, बाजरा, कोदो एवं सावां की खेती प्रमुख रूप से की जाती है। वर्ष 2021-22 में कुल 10.83 लाख हे0 क्षेत्रफल मिलेट्स फसलों से आच्छादित रहा है, जिसमें से सर्वाधिक 9.05 लाख हे० क्षेत्रफल में बाजरा, 1.71 लाख हे0 में ज्वार, 0.02 लाख हे0 में कोदो एवं 0.05 लाख हे० सावां से आच्छादित रहा है। कोदो एवं सावां के अतिरिक्त रागी/मडुआ, काकुन आदि का आच्छादन नगण्य है। मिलेट्स में सम्मिलित फसलों की खेती कम उपजाऊ भूमि, शुष्क क्षेत्र अथवा वर्षा आधारित क्षेत्र, पहाड़ी/पठारी क्षेत्र में एवं विपरीत मौसम में भी आसानी से की जा सकती है। प्रदेश में कई जनपद एवं उनमें कई विकास खण्ड ऐसे हैं, जहाँ पर मिलेट्स की खेती के लिए समुचित जलवायुवीय दशाएं उपलब्ध हैं, जहाँ पर ज्वार, बाजरा, कोदो, सावां, रागी/मडुआ आदि की खेती को प्रोत्साहित किया जा सकता है।उत्तर प्रदेश मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम का उद्देश्य प्रदेश में मिलेट्स की खेती को बढ़ावा देते हुए क्षेत्राच्छादन/उत्पादन/उत्पादकता में वृद्धि कर कृषकों की आय में वृद्धि करना तथा मूल्य संवर्धन एवं विपणन के माध्यम से जन सामान्य के आहार में मिलेट्स के उपभोग को बढ़ावा देकर संतुलित आहार की तरफ प्रेरित करना है। इस कार्यक्रम को क्रियान्वयन प्रदेश के समस्त 75 जनपदों में किया जाएगा।


कार्यक्रम के तहत मिलेट्स की खेती को प्रोत्साहित करने हेतु मिलेट्स बीज के मिनी किट कृषकों को निःशुल्क वितरित किये जाएंगे। गुणवत्तायुक्त बीजों का वितरण राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन एवं राज्य की प्रमाणित बीज वितरण योजना के अन्तर्गत अनुदान पर किया जाएगा। बीज मिनीकिट वितरण में सीमान्त एवं लघु कृषकों को प्राथमिकता दी जाएगी, यदि सामान्य कृषक भी मिलेट्स का बीज लेना चाहे तो उसे भी उपलब्ध कराया जाएगा। वर्ष 2023-24 से 04 वर्षाें तक मिलेट्स के बीज मिनीकिट 2.5 लाख कृषकों को निःशुल्क वितरित किये जाएंगे।
कृषकों का चयन कृषि विभाग के पोर्टल पर पंजीकृत अथवा भारत सरकार की किसान सम्मान निधि योजनान्तर्गत आच्छादित कृषकों में से किया जाएगा। चयनित कृषकों में 25 प्रतिशत अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कृषकांे को लाभान्वित किया जाएगा। महिला कृषकों को विशेष वरीयता प्रदान की जाएगी।मिलेट्स के उत्पादों को तैयार करने के लिए मिलेट्स प्रसंस्करण, पैकिंग सह विपणन केन्द्र की स्थापना होगी। मिलेट्स विपणन हेतु मोबाइल आउटलेट/स्टोर को प्रोत्साहित किया जाएगा।

प्रदेश में संचालित प्रशिक्षित कृषि उद्यमी स्वावलम्बन (एग्रीजंक्शन) योजना को आगामी 05 वर्ष के लिए संचालित करने की अनुमति

मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में संचालित प्रशिक्षित कृषि उद्यमी स्वावलम्बन (एग्रीजंक्शन) योजना को आगामी 05 वर्ष के लिए संचालित करने के प्रस्ताव को अनुमति प्रदान कर दी है। समय की आवश्यकताओं के अनुरूप योजना में किसी प्रकार का परिवर्तन मुख्यमंत्री जी के अनुमोदनोपरान्त किया जा सकेगा। किसानों के हित लाभ के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में प्रशिक्षित युवाओं की सेवाओं का उपयोग कर कृषि सेक्टर में रोजगार सृजन को बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ष 2015-16 से राज्य सरकार द्वारा ‘प्रशिक्षित कृषि उद्यमी स्वावलम्बन (एग्रीजंक्शन) योजना’ क्रियान्वित है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को उनके फसल उत्पादों के लिए कृषि केन्द्र (एग्रीजंक्शन) बैनर तले समस्त सुविधाएं ‘वन स्टॉप शॉप’ के माध्यम से उपलब्ध कराया जाना है। योजना संचालन के प्रारम्भ वर्ष 2015-16 से अद्यतन (वर्ष 2021-22 तक) कुल 4311 एग्रीजंक्शन केन्द्र, प्रदेश में स्थापित किये जा चुके है।इस योजना के क्रियान्वयन के आगामी चरण में अगले 05 वर्षों (2022-23 से 2026-27) में कुल 10,000 एग्रीजंक्शन केन्द्र स्थापित करने का लक्ष्य प्रस्तावित है। साथ ही पूर्व से संचालित योजना में आंशिक संशोधन का प्रस्ताव है, जिससे कि प्रशिक्षित कृषि उद्यमी स्वावलम्बन (एग्रीजंक्शन) योजना का क्रियान्वयन प्रभावशाली रूप से किया जा सके।


एग्रीजंक्शन (वन स्टॉप शॉप) केन्द्रों के माध्यम से विभिन्न सेवाओं को एक छत के नीचे उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था है। इससे उच्च गुणवत्ता के बीज, उर्वरक, जैव उर्वरक, माइक्रोन्यूट्रिएन्टस्, वर्मीकम्पोस्ट, कीटनाशक तथा जैव कीटनाशकों सहित समस्त कृषि निवेशों की आपूर्ति, प्रसार सेवाएं तथा कृषि प्रक्षेत्र निर्देशन, मृदा स्वास्थ्य कार्ड पर संस्तुत उर्वरक एवं खाद की संतुलित मात्रा के बारे में किसानों को मार्गदर्शन देना, लघु कृषि यंत्रों को किराये पर उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था, विभिन्न कृषि योजनाओं/स्कीम जैसे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना आदि के सम्बन्ध में परामर्शी सेवाएं दिये जाने एवं प्रचार हेतु एग्रीजंक्शन केन्द्रों पर स्ब्क्ध्।ट ।पके के लगाये जाते की व्यवस्था एवं एग्रीजंक्शन केन्द्रों द्वारा कृषि उपकरणों की मरम्मत तथा अनुरक्षण, पशुआहार, कृषि उत्पादों एवं प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों की बिक्री, मौसम/विपणन व अन्य सम्बन्धित सूचनाएं किसानों को उपलब्ध कराने जैसे कार्य भी किए जा रहे हैं।
एग्रीजंक्शन की स्थापना हेतु चयनित लाभार्थियों को उद्यम स्थापना एवं संचालन हेतु निःशुल्क प्रशिक्षण, एग्रीजंक्शन स्थापना के लिए प्रशिक्षित लाभार्थी को परियोजना हेतु बैंकों से ऋण स्वीकृति की दशा में अधिकतम 42,000 रुपये की धनराशि का ब्याज अनुदान बैंक एंडेड सब्सिडी के रूप में उपलब्ध कराना एवं एक वर्ष तक के लिए परिसर के किराये के 50 प्रतिशत की धनराशि जो 1000 रुपये प्रतिमाह से अधिक न हो।


चयनित लाभार्थियों को बीज, उर्वरक कीटनाशी आदि कृषि निवेशों के व्यवसाय के लिए लाइसेन्स फीस की प्रतिपूर्ति की व्यवस्था योजनान्तर्गत की गयी है। योजनान्तर्गत राज्य में आगामी 05 वर्षों में 10,000 एग्रीजंक्शन केन्द्र स्थापना का भौतिक लक्ष्य है। इस प्रकार योजना अन्तर्गत प्रदेश के सभी विकास खण्डों एवं तहसील मुख्यालयों पर स्थापित ‘वन स्टाॅप शाॅप’ पर किसान गुणवत्तायुक्त कृषि निवेश एवं कृषि प्रक्षेत्र निर्देशन प्राप्त कर सकेंगे। इसी के साथ युवा कृषि स्नातक स्वरोजगार के लिए सक्षम होंगे।वर्तमान वित्तीय वर्ष 2022-23 में 756 एग्रीजंक्शन केन्द्रों की स्थापना का भौतिक लक्ष्य है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2022-23 में योजना के मद में 647.17 लाख रुपये का बजटीय प्रावधान है। योजना के अन्तर्गत ऋण सम्बन्धी परियोजना का क्रियान्वयन नाबार्ड के परामर्श एवं प्रदेश में कार्यरत सहकारी बैंक/अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के समस्त बैंकों के माध्यम से किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश में निवास करने वाले कृषि स्नातक/कृषि व्यवसाय प्रबन्धन स्नातक/स्नातक जो कृषि एवं सहबद्ध विषयों यथा-उद्यान, पशुपालन, वानिकी, दुग्ध, पशु चिकित्सा, मुर्गी पालन एवं इस तरह की गतिविधियां जो किसी राज्य/केन्द्रीय विश्वविद्यालय या किसी अन्य विश्वविद्यालयों से डिग्रीधारी है, जो आई0सी0ए0आर0/यू0जी0सी0 द्वारा मान्यता प्राप्त हो, एग्री जंक्शन योजना के लिए पात्र होंगे।

https://medhajnews.in/news/Important-decisions-of-the-Council-of-Ministers-were-taken-under-the-chairmanship-of-UP-CM-Yogi-Adityanath
योगी मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

PLEDGE : ‘निजी औद्योगिक पार्काें के विकास की योजना’ अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने औद्योगिक भूमि की आवश्यकता को सुनिश्चित कराने हेतु ‘निजी औद्योगिक पार्काें के विकास की योजना PLEDGE (Promoting Leadership and Enterprise for Development of Growth Engines) के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। इसे निजी प्रवर्तक के द्वारा बिल्ड, ओन, आॅपरेट (बी0ओ0ओ0) के आधार पर संचालित किया जाएगा। योजना के किसी भी बिन्दु पर आवश्यकतानुसार संशोधन/परिवर्धन मुख्यमंत्री जी के अनुमोदन से किया जा सकेगा। एम0एस0एम0ई0 की इकाइयों के द्वारा कृषि के बाद सबसे अधिक रोजगार का सृजन किया जाता है। वर्तमान में प्रदेश में ऐसी लगभग 95 लाख एम0एस0एम0ई0 इकाइयां हैं, जिन्हें और अधिक बढ़ाया जाना प्रदेश के हित में होगा। निजी औद्योगिक पार्कों के भू-खण्डों के आवंटन, संचालन तथा मूलभूत अवस्थापना सुविधाओं के रख-रखाव का सम्पूर्ण दायित्व निजी प्रवर्तक का होगा।


योजना के अन्तर्गत निजी प्रवर्तकों द्वारा 10 एकड़ से 50 एकड़ तक की भूमि पर औद्योगिक पार्क विकसित करने का प्रस्ताव भूमि के स्वामित्व के कागजात एवं आगणन सहित जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केन्द्र को उपलब्ध कराया जाएगा। चयनित भूमि का भू उपयोग औद्योगिक इकाइयों की स्थापना हेतु होना चाहिए।योजना के तहत प्रवर्तक द्वारा क्लस्टर पर आधारित औद्योगिक पार्कों के विकास से सम्बन्धित प्रस्तावों को वरीयता प्रदान की जाएगी। निजी प्रवर्तकों द्वारा विकसित किये गये औद्योगिक पार्कों में न्यूनतम प्रति एकड़ 01 इकाई को भू-खण्ड आवंटित किया जाना अनिवार्य होगा तथा कुल विकसित भूमि में से 75 प्रतिशत भू-खण्ड सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम इकाइयों के लिए आरक्षित रखा जायेगा।


निजी प्रवर्तक द्वारा औद्योगिक पार्क हेतु प्रस्तावित की जा रही भूमि को राज्य सरकार के पक्ष में बंधक (Pledge) रखा जाएगा। इस योजना के अन्तर्गत विकसित किए जा रहे निजी औद्योगिक पार्कों के भूखण्डों के आवंटन, संचालन तथा मूलभूत अवस्थापना सुविधाओं के रख-रखाव का सम्पूर्ण दायित्व निजी प्रवर्तक का होगा। औद्योगिक पार्क में वांछित अवस्थापना सुविधाओं यथा-बाउण्ड्री वाॅल/फेन्सिंग, आंतरिक मार्ग (कंक्रीट रोड), नाली, कलवर्ट, विद्युत संयोजनमय ट्रांसफार्मर, पेयजल सुविधा एवं सीवेज इत्यादि सुविधाओं का विकास मानक के अनुरूप निजी प्रवर्तक द्वारा किया जाएगा। प्रस्तावित निजी औद्योगिक पार्क तक पहुंच मार्ग का सुदृढ़ीकरण राज्य सरकार द्वारा विद्यमान नीति के अन्तर्गत कराया जाएगा।


योजना के अन्तर्गत 2500 करोड़ रुपये के रिवॉल्विंग फण्ड का कारपस बनाया जायेगा, जिसके लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 में 300 करोड़ रुपये का बजट प्राविधानित है। कारपस फण्ड हेतु पूर्ण धनराशि की व्यवस्था 05 वर्ष में बजट के माध्यम से कर ली जायेगी।इस योजना के अन्तर्गत 10 एकड़ से लेकर 50 एकड़ भूमि पर एम0एस0एम0ई0 पार्क विकसित करने वाले प्रवर्तकों को जिला कलेक्टर रेट पर भूमि के मूल्य का 90 प्रतिशत अथवा औद्योगिक पार्क को विकसित करने हेतु आवश्यक धनराशि में से जो भी कम हो, एक प्रतिशत ब्याज पर उपलब्ध करायी जाएगी। शेष पूंजी की व्यवस्था निजी प्रवर्तक द्वारा स्वयं के स्रोतों से अथवा बैंक से ऋण लेकर करनी होगी।


औद्योगिक पार्क के आंतरिक विकास की लागत की गणना अधिकतम 50 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से की जायेगी। यह योजना स्टैण्ड एलोन योजना होगी। विकासकर्ता को भूमि की खरीद पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क पर 100 प्रतिशत की छूट एवं सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम नीति-2022 में उल्लिखित पर्यावरणीय अनुकूल अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए दी जाने वाली सहायता के अतिरिक्त अन्य कोई आर्थिक सहायता प्रवर्तक को प्रदान नहीं की जाएगी। भूमि की खरीद, योजना के क्रियान्वयन प्रारम्भ होने के पश्चात की गयी होनी चाहिए।
विभाग द्वारा प्रवर्तक को अवमुक्त की जाने वाली धनराशि दो समान किश्तों में दी जाएगी। पहली किश्त के 75 प्रतिशत धनराशि का उपयोग हो जाने पर द्वितीय किश्त अवमुक्त कर दी जाएगी। प्रथम तीन वर्षों तक प्रवर्तक को दी गयी धनराशि पर 01 प्रतिशत का साधारण ब्याज लिया जाएगा। चैथे वर्ष से काॅर्पस फण्ड से दी गयी धनराशि पर 06 प्रतिशत की दर से साधारण वार्षिक ब्याज लिया जाएगा। योजनान्तर्गत राज्य सरकार द्वारा दी गयी पूंजी को वापस करने की अधिकतम अवधि 06 वर्ष होगी। निर्धारित अवधि में धनराशि वापस न किए जाने की स्थिति में निजी प्रवर्तक द्वारा राज्य सरकार के पक्ष में बंधक रखी गयी भूमि राज्य सरकार के स्वामित्वाधीन हो जाएगी, जिसका राजस्व नियमों के अन्तर्गत विक्रय कर राज्य सरकार बकाया वसूल करेगी।


प्रवर्तक के द्वारा विकसित निजी औद्योगिक पार्क में औद्योगिक भूखण्ड को क्रय करने अथवा लीज पर लेने पर स्टाम्प शुल्क से छूट दी जाएगी। तथापि निजी प्रवर्तकों को प्रस्तावित नीति के अन्तर्गत पार्क में भवन निर्माण करके औद्योेगिक इकाइयों को किराये पर दिये जाने अथवा विक्रय किये जाने पर किरायानामा विलेख/बैनामा विलेख पर प्रभार्य स्टाम्प ड्यूूटी में छूट प्रदान नहीं की जाएगी। योजनान्तर्गत परियोजना के परीक्षण एवं क्रियान्वयन हेतु जिलाधिकारी के अध्यक्षता में जिलास्तरीय समिति एवं अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त राज्य स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा।

उ0प्र0 खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2022 का प्रख्यापन

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2022 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को अनुमति प्रदान कर दी है। प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास, पूँजी निवेश, रोजगार सृजन एवं स्टेक होल्डर के आय में वृद्धि की सम्भावनाओं के दृष्टिगत ‘उ0प्र0 खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2022’ क्रियान्वित किये जाने का निर्णय लिया गया है। यह नीति अधिसूचित होने की तिथि से आगामी 05 वर्ष के लिए सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में प्रभावी होगी। नीति के लिए उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग नोडल विभाग होगा और उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण निदेशालय नोडल एजेंसी होगी। प्रदेश के कृषकों को उनकी आय का उचित एवं लाभकारी मूल्य दिलाने, कच्चे उत्पादों का मूल्य संवर्धन, प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहित करना, उपभोक्ताओं को प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य पर प्रसंस्कृत उत्पाद सुलभ कराना, रोजगार के नये अवसर सृजित करना, उपलब्ध मानव शक्ति की क्षमता एवं कौशल में वृद्धि करना तथा आवश्यकतानुसार अतिरिक्त मानव शक्ति उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उ0प्र0 प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2022 को क्रियान्वित किया जाना है।


नीति का उद्देश्य राज्य में कृषि उपज के प्रसंस्करण को बढ़ाना और अन्य राज्यों और देशों में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थाें के निर्यात को प्रोत्साहित करना है। उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2022 में विभिन्न नीतिगत प्रोत्साहनों की व्यवस्था है। इसके तहत 12.5 एकड़ से अधिक भूमि खरीदने की अनुमति, गैर कृषि उपयोग घोषणा के लिए शुल्क से छूट परियोजना, परियोजना स्थल में आने वाली सरकारी भूमि के विनिमय, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों हेतु भू उपयोग परिवर्तन के लिए 10 हजार रुपये के प्रतीकात्मक शुल्क, बाहरी विकास हेतु 50 हजार रुपये के प्रतीकात्मक शुल्क, स्टाम्प शुल्क से छूट, प्रसंस्करण के लिए राज्य के बाहर से लायी गयी कृषि उपज पर मण्डी शुल्क और उपकर से छूट, प्रसंस्करण इकाइयों को सीधे बेचे जाने वाले कृषि उत्पाद के लिए मण्डी शुल्क और उपकर से छूट, प्रसंस्करण इकाइयों को बिजली आपूर्ति के लिए सौर ऊर्जा परियोजनाओं पर सब्सिडी, निर्यात हेतु परिवहन सब्सिडी आदि का प्राविधान है।


नीति के तहत राज्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना के सम्बन्ध में संयंत्र, मशीनरी और तकनीकी सिविल कार्य पर किये गये व्यय का 35 प्रतिशत पूँजीगत अनुदान अधिकतम सीमा 05 करोड़ रुपये तक दिया जाना है। नीति में सूक्ष्म एवं लघु खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों एवं रीफर वीकल्स/मोबाइल प्री-कूलिंग वैन हेतु ब्याज उपदान की व्यवस्था की गयी है। नीति के तहत खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में उद्यमिता विकास हेतु प्रशिक्षण/शिविरों का आयोजन किया जायेगा। विभाग राज्य में खाद्य प्रसंस्करण में अनुभव तथा पाठ्यक्रम चलाने वाले संस्थानों और कॉलेजों को सूचीबद्ध करेगा और नीति के तहत प्राप्त परियोजनाओं/प्रस्ताव के मूल्यांकन, किये कार्यों का सत्यापन का कार्य करेगा।

आबकारी नीति वर्ष 2023-24 प्रख्यापित किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने आबकारी नीति वर्ष 2023-24 प्रख्यापित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मादक वस्तुओं के निर्माण, परिवहन, आयात, निर्यात, बिक्री एवं कब्जे में रखे जाने संबंधी गतिविधियों को विनियमित एवं नियंत्रित करते हुये प्रदेश के वित्तीय संसाधनों की वृद्धि करने, उपभोक्ताओं को गुणवत्तायुक्त मदिरा की उचित मूल्य पर उपलब्धता सुनिश्चित कराये जाने, निवेश को प्रोत्साहन देने, राज्य को आत्मनिर्भर उत्पादक राज्य बनाये जाने, कृषि उत्पादों को नष्ट होने से बचाते हुये किसानों की आय में वृद्धि करने, रोजगार सृजन के अवसर प्रदान करने, मदिरापान को जिम्मेदार एवं सुरक्षित सीमा में रखे जाने, लिकर माफियाओं के प्रभुत्व को समाप्त करते हुये दुकानों के आवंटन में पूर्ण पारदर्शिता तथा निष्पक्षता लाने, आवंटन प्रक्रिया में मानव हस्तक्षेप समाप्त किये जाने, प्रक्रियाओं के सरलीकरण, समस्त स्टेक होल्डर्स को प्रत्येक स्तर की जानकारी सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से सुलभ कराते हुए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस एवं गुड गवर्नेन्स को बढ़ावा देने, धनराशियों का अंतरण डिजिटल माध्यम से कराये जाने, अवैध मदिरा के निर्माण विक्रय पर पूर्ण नियंत्रण किये जाने, राजस्व क्षति एवं चोरी को रोकते हुये विकासोन्मुख सरकारी परियोजनाओं के पर्याप्त वित्तपोषण हेतु अधिकतम राजस्व के अर्जन एवं मदिरा व्यवसाय को स्थायित्व प्रदान करने आदि विभिन्न उद्देश्यों के दृष्टिगत आबकारी नीति वर्ष 2023-24 प्रख्यापित की जा रही है। इस नीति के मुख्य प्राविधान निम्नवत है:
वर्ष 2023-24 में देशी मदिरा की तीव्रता के आधार पर निम्नानुसार 02 श्रेणियां ही रखी गयी हैं:-
(1) 36 प्रतिशत वी0/वी0 (सादा/सुवासित/मसाला) 200 एम0एल0 की धारिता की काँच और पेट की बोतलों तथा टेट्रा पैक में।
(2) 25 प्रतिशत वी0/वी0 (सादा/सुवासित/मसाला) 200 एम0एल0 की धारिता की काँच और पेट की बोतलों तथा टेट्रा पैक में।
वर्ष 2022-23 की भांति वर्ष 2023-24 हेतु प्रदेश में केवल एक्सट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ई0एन0ए0) से निर्मित देशी मदिरा का विक्रय किया जाएगा। पेट बोतलों के लिये मिनरल वाॅटर की बोतलों में प्रयुक्त होने वाले कैप्स के समान अच्छी गुणवत्ता के प्लास्टिक कैप्स भी अनुमन्य होंगे। देशी मदिरा की बोतलों पर लगाये जाने वाले समस्त प्रकार के कैप्स पर श्रिंक कैंप का प्रयोग किया जाना अनिवार्य होगा। वर्ष 2022-23 की भांति ही वर्ष 2023-24 हेतु प्रदेश में केवल एक्सट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ई0एन0ए0) से निर्मित देशी मदिरा का विक्रय किया जाना प्रस्तावित है।
(2) वर्ष 2022-23 की भांति 42.8 प्रतिशत वी0/वी0 तीव्रता में यू0पी0 मेड लिकर (यू0पी0एम0एल0) की व्यवस्था वर्ष 2023-24 में भी अनुमन्य होगी।
(3) 25 प्रतिशत वी0/वी0, 36 प्रतिशत वी0/वी0 एवं यू0पी0 एम0एल0 (42.8 प्रतिशत वी0/वी0) तीव्रता के कैप्स/लेबिलों के बाॅर्डर के रंग तीनों श्रेणियों में वर्ष 2022-23 की भाँति यथावत रखे जायेंगे। कैप्स/लेबिलों के बाॅर्डर के रंग में परिवर्तन का अधिकार आबकारी आयुक्त उत्तर प्रदेश को प्रतिनिधायनित किया गया है।
(4) वर्ष 2023-24 हेतु वर्ष 2022-23 के व्यवस्थित वार्षिक एम0जी0क्यू0 पर 10 प्रतिशत की वृद्धि कर देशी मदिरा दुकानों का एम0जी0क्यू0 निर्धारित किया जाएगा। वर्ष 2022-23 हेतु व्यवस्थित वार्षिक एम0जी0क्यू0 58.32 करोड़ बल्क लीटर पर 10 प्रतिशत की वृद्धि के आधार पर, वर्ष 2023-24 हेतु प्रदेश का प्रस्तावित न्यूनतम एम0 जी0क्यू0 64.15 करोड़ बल्क लीटर 36 प्रतिशत वी0/वी0 तीव्रता की देशी मदिरा के संदर्भ में आगणित होता है।
(5) प्रत्येक आसवक को अपने ब्राण्ड के लेबिल पर श्रेणी यथा सादा, सुवासित, मसाला लिखना अनिवार्य होगा यू0पी0एम0एल0 (ग्रेन आधारित ई0एन0ए0 से निर्मित 42.8 प्रतिशत वी0/वी0 तीव्रता) की 200 एम0एल0 धारिता के किसी ब्राण्ड हेतु प्रस्तुत ई0डी0पी0 पर प्रतिफल शुल्क एवं थोक मार्जिन तथा रिटेल मार्जिन का आगणन करते हुये अंतिमीकृत अधिकतम फुटकर बिक्री मूल्यों को सूत्र के अनुसार निर्धारित किया जायेगा। यू0पी0एम0एल0 की 100 एम0एल0 धारिता की बोतलों की एम0आर0पी0 का निर्धारण 200 एम0एल0 धारिता हेतु प्रस्तुत की गयी ई0डी0पी0 के अनुसार अनुपातिक रूप से किया जायेगा।
(6) विदेशी मदिरा, बीयर, भांग की फुटकर बिक्री की दुकानों और माॅडल शाॅप्स की लाइसेंस फीस में 10 प्रतिशत वृद्धि की गयी है। माॅडल शॉप पर मदिरा पान का शुल्क रुपया 3,00,000/- निर्धारित किया जाता है।
(7) विदेशी मदिरा, बीयर, वाइन के बंधित गोदाम अनुज्ञापनों (बी0डब्लू0एफ0 एल0-2ए, 2बी, 2सी) हेतु अनुज्ञापन शुल्क एवं प्रतिभूति में वृद्धि की गयी है। मास्टर वेयरहाउस (Master Warehouse) की पंजीकरण एवं नवीनीकरण फीस में वृद्धि की गयी है। गौतमबुद्धनगर के प्राधिकरण क्षेत्र, लखनऊ एवं गाजियाबाद के नगर निगम क्षेत्र एवं इसकी परिधि से 5 कि0मी0 तक जो भले ही नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्र हों, में स्थित होटल/रेस्टोरेन्ट एवं क्लब बार अनुज्ञापनों हेतु एक विशेष श्रेणी बनाते हुये इनकी लाइसेंस फीस में वृद्धि की गयी है। अन्य श्रेणी के बार अनुज्ञापनों की लाइसेंस फीस में कोई वृद्धि नहीं की जा रही है।

(8) प्रत्येक बार अनुज्ञापन परिसर में स्वापक औषधि एवं मनःप्रभावी सेवन के विरुद्ध स्टील प्लेटेड चेतावनी बोर्ड परिपत्र दिनांक 06.01.2022 के अनुसार उचित स्थान पर लगाया जाना अनिवार्य होगा।
(9) वैयक्तिक होम लाइसेंस हेतु मदिरा क्रय परिवहन एवं निजी कब्जे में रखने की अधिकतम मात्रा आबकारी नीति वर्ष 2022-23 के अनुसार यथावत होगी।
(10) वर्ष 2023-24 में अन्य देशों से आयातित सभी तीव्रता की बीयर एवं एल0 ए0बी0 के लिये परमिट फीस की दर रुपया 175/- प्रति लीटर रखी जाती है। बी0 आई0ओ0-1 अनुज्ञापन का लाइसेंस शुल्क 10,00,000 रुपया (रुपया दस लाख मात्र) एक आबकारी वर्ष अथवा इसके किसी भाग के लिये निर्धारित किया गया है। प्रतिभूति धनराशि  5,00,000 रु0 (रुपया पाँच लाख मात्र) निर्धारित की गयी है।
(11) देशी मदिरा, विदेशी मदिरा, बीयर एवं भांग की फुटकर दुकानों और माॅडल शॉप का वर्ष 2023-24 हेतु नवीनीकरण किया जायेगा नवीनीकरण हेतु आवेदन पत्र की प्रोसेसिंग फीस और नवीनीकरण फीस में वृद्धि की गयी है। नवीनीकरण से अवशेष देशी मदिरा, विदेशी मदिरा, बीयर एवं भाँग की फुटकर दुकानों तथा मॉडल शॉप का वर्ष 2023-24 हेतु व्यवस्थापन ई-लाॅटरी की निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार किया जायेगा। तीन चरणों की ई-लाॅटरी के पश्चात अवशेष समस्त दुकानों का व्यवस्थापन ई-टेण्डर के माध्यम से किया जायेगा। द्वितीय चरण तथा तृतीय चरण की ई-लाॅटरी और ई-टेण्डर हेतु न्यूनतम एम0जी0क्यू0/लाइसेंस फीस आदि का निर्धारण आबकारी आयुक्त द्वारा शासन के पूर्व अनुमोदन से किया जायेगा।
(12) वर्ष 2022-23 में स्वीकृत थोक अनुज्ञापनों के इच्छुक अनुज्ञापियों द्वारा वर्ष 2023-24 की निर्धारित देयताओं और अन्य शर्तों एवं प्रतिबंधों से सहमति की दशा में अपने थोक अनुज्ञापनों का वर्ष 2023-24 हेतु नवीनीकरण गत वर्ष की भाँति अनुमन्य किया गया है।
(13) मध्य सत्र में थोक अनुज्ञापनों की स्वीकृति के प्रकरणों में त्रैमासिक आधार पर लाइसेंस फीस ली जायेगी। जिस त्रैमास में अनुज्ञापन स्वीकृत किया जायेगा उस त्रैमास की भी फीस ली जायेगी।
(14) वर्ष 2022-23 के लिये देशी मदिरा, विदेशी मदिरा, बीयर की फुटकर दुकानों एवं मॉडल शॉप्स के खुलने/बिक्री का समय प्रातः 10ः00 बजे से रात्रि 10ः00 बजे तक है, जिसे वर्ष 2023-24 में यथावत रखा जाता है। विशेष अवसरों पर शासन की पूर्वानुमति से बिक्री के समय में वृद्धि की जा सकेगी।
(15) प्रत्येक बोतल/टेट्रा पैक के लेबिल पर दायीं ओर शीर्ष पर 1 से0मी0ग्1 से0मी0 पर स्पष्ट दृश्यमान बोल्ड फाॅन्ट में उसकी एम0आर0पी0 अंकित की जाएगी। ई-लाॅटरी पोर्टल पर मोबाइल नम्बर, पैन करेक्शन इत्यादि हेतु प्रस्तुत आवेदन पत्रों की प्रोसेसिंग फीस रुपया 1,000/- निर्धारित की जाती है। यह व्यवस्था आबकारी नीति वर्ष 2023-24 के प्रख्यापन की तिथि से ही लागू होगी।
(16) अगले वर्ष के नवीनीकरण हेतु धनराशियों को जमा करने के पश्चात यदि किसी लाइसेंसी की मृत्यु हो जाती है और उसके किसी विधिक वारिस द्वारा अनुज्ञापन के संचालन हेतु प्रार्थना पत्र नहीं दिया जाता है अथवा किसी वारिस को इस हेतु उपयुक्त नहीं पाया जाता है तब नवीनीकरण हेतु जमा धनराशियों (प्रोसेसिंग फीस को छोड़कर) को विधिक वारिस को वापस कर दिया जायेगा।
(17) 2023-24 के प्रारम्भिक माहों में विदेशी मदिरा, बीयर एवं वाइन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु अग्रिम भण्डारण की सुविधा, गत वर्ष की भाँति, अनुमन्य की जाती है।
(18) बाॅण्ड अनुज्ञापनों एवं आसवनियों/यवासवनियों पर वर्ष 2023-24 हेतु विदेशी मदिरा, बीयर एवं वाइन के अग्रिम भण्डारण की अनुमति आबकारी नीति की घोषणा की तिथि से प्रदान की जाएगी।
(19) अनुज्ञापियों के सम्बन्ध में प्राप्त पुलिस सत्यापन रिपोर्ट में उनके विरुद्ध दर्ज मुकदमों का उल्लेख होने की स्थिति में कलेक्टर/लाइसेंस प्राधिकारी द्वारा अनुज्ञापन के संचालन के संबंध में निर्णय लिया जायेगा।
(20) फुटकर दुकानों में परस्पर मासिक एम0जी0क्यू0 अथवा निर्धारित त्रैमासिक राजस्व का अंतरण की वर्ष 2021-22 में लागू व्यवस्था रहेगी परन्तु स्थानान्तरण शुल्क नहीं लिया जायेगा।
(21) वर्ष 2023-24 हेतु भांग की अन्य प्रान्तों हेतु निर्यात फीस को 30 रुपया प्रति किलोग्राम रखा जाता है।
(22) नशे के दुष्प्रभावों एवं संयमित मदिरा सेवन (Responsible Drinking) के सम्बन्ध में आमजन को जानकारी दिये जाने एवं जागरूकता लाये जाने हेतु विशेष प्रचार अभियान संचालित किया जायेगा। इसे मुख्य रूप से (1) Under Age Drinking (2) Drunken Driving  (3) Responsible Consumption पर केन्द्रित किया जायेगा। इस हेतु प्रभावी अभियान चलाये जाने एवं विभिन्न प्म्ब् गतिविधियों हेतु 1 करोड़ रुपये का प्राविधान किये जाने का निर्णय लिया गया है।
(23) वर्ष 2023-24 में आबकारी विभाग द्वारा 45,000 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित करने का अनुमान है।

‘उ0प्र0 मत्स्य पालक कल्याण कोष’ के क्रियान्वयन हेतु उ0प्र0 मत्स्य (विकास एवं नियंत्रण) (तृतीय संशोधन) नियमावली-2022 के प्रख्यापन के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने ‘उत्तर प्रदेश मत्स्य पालक कल्याण कोष’ के क्रियान्वयन हेतु उत्तर प्रदेश मत्स्य (विकास एवं नियंत्रण) (तृतीय संशोधन) नियमावली-2022 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।मत्स्य विभाग द्वारा राज्य सेक्टर सहायतित उत्तर प्रदेश मत्स्य पालक कल्याण कोष हेतु उत्तर प्रदेश मत्स्य (विकास एवं नियत्रंण) 1954 के तृतीय संशोधन के रूप में नियमावली बनायी गयी है।प्रदेश सरकार द्वारा मत्स्य पालन को बढ़ावा देने और उससे जुड़े व्यक्तियों के कल्याण के लिए मत्स्य पालक कल्याण फण्ड की स्थापना हेतु नियमावली में तृतीय संशोधन के माध्यम से उत्तर प्रदेश मत्स्य पालक कल्याण कोष के गठन की कार्यवाही की गयी है। इस हेतु वित्तीय वर्ष 2022-23 में 25 करोड़ रुपये का प्राविधान किया गया है।इस कोष से प्रदेश की गरीब मछुआ आबादी जिनकी अजीविका मत्स्य पालन, मत्स्याखेट एवं मत्स्य विपणन आदि कार्यों पर निर्भर रहती है, की सहायता की जायेगी तथा मत्स्य पालन के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में निष्प्रयोज्य पड़ी कृषि क्षेत्र की अनुपयुक्त भूमि/तालाब/पोखरों/जलाशयों के उपयोग हेतु ग्रामीण अंचल के बेरोजगार व्यक्तियों को रोजगार का साधन जुटाने जैसे कल्याणकारी एवं विकास कार्यक्रमों का क्रियान्वयन किया जाएगा, जो मछुओं/मत्स्य पालकों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति सुदृढ़ कराए जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

उ0प्र0 बेसिक शिक्षा परिषद तथा अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों को सेवानिवृत्ति की आयु के पूर्व असामयिक मृत्यु की दशा में ग्रेच्युटी के भुगतान के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद तथा अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों को सेवानिवृत्ति की आयु के पूर्व असामयिक मृत्यु की दशा में ग्रेच्युटी के भुगतान के सम्बन्ध में प्रस्तुत प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। शासनादेश संख्या-6339/15-5-93-55/89, दिनांक 23 नवम्बर, 1994 से उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद तथा अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों को 58 वर्ष की सेवानिवृत्ति की आयु 58 वर्ष से 60 वर्ष होने पर शासनादेश संख्या-289/79-6-04-28(5)/04, दिनांक-04 फरवरी, 2004 द्वारा 60 वर्ष की आयु पर सेवा निवृत्ति का विकल्प देने पर ग्रेच्युटी की सुविधा अनुमन्य की गयी। यह भी उल्लेखनीय है कि शासनादेश संख्या-2491/15-5-2002-212/201, दिनांक 10 जून, 2002 द्वारा सेवानिवृत्ति की तिथि तक अथवा उसके पूर्व विकल्प परिवर्तन की सुविधा दी गयी है।


अतः उक्त वर्णित स्थिति में दिनांक 23 नवम्बर, 1994 से दिनांक 03 फरवरी, 2004 (सेवानिवृत्ति की आयु 58 वर्ष रहने तक) तक की अवधि के उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद तथा अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूल के ऐसे शिक्षकों, जिनके द्वारा सेवानिवृत्ति का विकल्प नहीं दिया गया और उनकी मृत्यु 58 वर्ष के पूर्व ही हो गयी तथा ऐसे भी शिक्षक जिन्होंने 60 वर्ष पर सेवानिवृत्ति का विकल्प भरा किन्तु विकल्प परिवर्तन के लिए निर्धारित अवधि के पूर्व मृत्यु हो गयी है, के परिजनों को देय ग्रेच्युटी का भुगतान करने तथा दिनांक 03 फरवरी, 2004 के पश्चात उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद तथा अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूल के ऐसे भी शिक्षकों, जिनके द्वारा सेवानिवृत्ति का विकल्प नहीं दिया गया और उनकी मृत्यु 60 वर्ष के पूर्व ही हो गयी तथा ऐसे शिक्षक जिन्होंने 62 वर्ष पर सेवानिवृत्ति का विकल्प भरा किन्तु विकल्प परिवर्तन के लिए निर्धारित अवधि के पूर्व मृत्यु हो गयी है, के परिजनों को देय ग्रेच्युटी का भुगतान करने का प्रस्ताव है। इस निर्णय से शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु से पूर्व विकल्प न दिये जाने अथवा विकल्प परिवर्तन की सुविधा लिये बिना मृत्यु होने की दशा में ग्रेच्युटी की सुविधा दिये जाने से अनेक विधिक विवाद समाप्त हो जाने के साथ-साथ मृतक शिक्षकों के परिवार को देय ग्रेच्युटी प्राप्त होने से आर्थिक मदद हो सकेगी।

जे0बी0एम0 ग्लोबल विश्वविद्यालय, गौतमबुद्धनगर, उ0प्र0 की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था को आशय-पत्र निर्गत किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने जे0बी0एम0 ग्लोबल विश्वविद्यालय, गौतमबुद्धनगर, उ0प्र0 की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था हंस वाहिनी शिक्षा समिति, बी-19 प्रथम तल, स्वास्थ्य विहार, दिल्ली को उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा-6 के प्राविधानों के अन्तर्गत आशय-पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।


ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश में नये निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना करने, विद्यमान निजी विश्वविद्यालयों को निगमित करने तथा उनके कृत्यों को विनियमित करने के उद्देश्य से ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ प्रवर्तित किया गया है। इस अधिनियम की धारा-4 में नये विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने, धारा-5 में प्रस्ताव का मूल्यांकन किये जाने तथा धारा-6 में आशय-पत्र निर्गत किये जाने विषयक प्राविधान विहित किये गये हैं। ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ की धारा-58 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करके राज्यपाल जी द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य में निजी विश्वविद्यालय स्थापित किये जाने की प्रक्रिया को विनियमित करने की दृष्टि से उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना) नियमावली, 2021 का प्रख्यापन किया गया है।


इस नियमावली के नियम-14 के अन्तर्गत उच्च शिक्षा विभाग द्वारा मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय समिति के समक्ष मंतव्य एवं संस्तुति सहित प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने का प्राविधान है। 17 अक्टूबर, 2022 को सम्पन्न उच्च स्तरीय समिति की बैठक में जे0बी0एम0 ग्लोबल विश्वविद्यालय, गौतमबुद्धनगर, उत्तर प्रदेश की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था को आशय-पत्र निर्गत किये जाने की संस्तुति की गई। मंत्रिपरिषद द्वारा इस संस्तुति के सन्दर्भ में यह निर्णय लिया गया है।

एस0के0एस0 इण्टरनेशनल विश्वविद्यालय, मथुरा, उ0प्र0 की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था को आशय-पत्र निर्गत किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने एस0के0एस0 इण्टरनेशनल विश्वविद्यालय, मथुरा, उत्तर प्रदेश की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था बृजवासी एजुकेशनल वेलफेयर सोसाइटी, मथुरा, उत्तर प्रदेश को उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा-6 के प्राविधानों के अन्तर्गत आशय-पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। उत्तर प्रदेश में नये निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना करने, विद्यमान निजी विश्वविद्यालयों को निगमित करने तथा उनके कृत्यों को विनियमित करने के उद्देश्य से ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ प्रवर्तित किया गया है। इस अधिनियम की धारा-4 में नये विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने, धारा-5 में प्रस्ताव का मूल्यांकन किये जाने तथा धारा-6 में आशय-पत्र निर्गत किये जाने विषयक प्राविधान विहित किये गये हैं। ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ की धारा-58 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करके राज्यपाल जी द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य में निजी विश्वविद्यालय स्थापित किये जाने की प्रक्रिया को विनियमित करने की दृष्टि से उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना) नियमावली, 2021 का प्रख्यापन किया गया है।इस नियमावली के नियम-14 के अन्तर्गत उच्च शिक्षा विभाग द्वारा मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय समिति के समक्ष मंतव्य एवं संस्तुति सहित प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने का प्राविधान है। 19 सितम्बर, 2022 को सम्पन्न उच्च स्तरीय समिति की बैठक में एस0के0एस0 इण्टरनेशनल विश्वविद्यालय, मथुरा, उत्तर प्रदेश की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था को आशय-पत्र निर्गत किये जाने की संस्तुति की गई। मंत्रिपरिषद द्वारा इस संस्तुति के सन्दर्भ में यह निर्णय लिया गया है।

सरोज इण्टरनेशनल विश्वविद्यालय लखनऊ, उ0प्र0 की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था को शर्त के अधीन आशय-पत्र निर्गत किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने सरोज इण्टरनेशनल विश्वविद्यालय लखनऊ, उत्तर प्रदेश की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था श्रीमती सरोज सिंह शिक्षण संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश को उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा-6 के प्राविधानों के अन्तर्गत शर्त के अधीन आशय-पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस शर्त के अन्तर्गत लखनऊ विकास प्राधिकरण, लखनऊ के 24 नवम्बर, 2022 के पत्र द्वारा निर्गत अनापत्ति के परिप्रेक्ष्य में विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु प्रायोजक संस्था को प्रस्तावित विश्वविद्यालय का मानचित्र प्राधिकरण से नियमानुसार स्वीकृत कराकर स्वीकृत मानचित्र के अनुसार ही निर्माण/परिसर का उपभोग करने की सूचना अनुपालन आख्या के साथ प्रस्तुत करनी होगी।


ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश में नये निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना करने, विद्यमान निजी विश्वविद्यालयों को निगमित करने तथा उनके कृत्यों को विनियमित करने के उद्देश्य से ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ प्रवर्तित किया गया है। इस अधिनियम की धारा-4 में नये विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने, धारा-5 में प्रस्ताव का मूल्यांकन किये जाने तथा धारा-6 में आशय-पत्र निर्गत किये जाने विषयक प्राविधान विहित किये गये हैं। ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ की धारा-58 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करके राज्यपाल जी द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य में निजी विश्वविद्यालय स्थापित किये जाने की प्रक्रिया को विनियमित करने की दृष्टि से उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना) नियमावली, 2021 का प्रख्यापन किया गया है।


इस नियमावली के नियम-14 के अन्तर्गत उच्च शिक्षा विभाग द्वारा मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय समिति के समक्ष मंतव्य एवं संस्तुति सहित प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने का प्राविधान है। 17 अक्टूबर, 2022 को सम्पन्न उच्च स्तरीय समिति की बैठक में सरोज इण्टरनेशनल विश्वविद्यालय लखनऊ, उत्तर प्रदेश की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था को आशय-पत्र निर्गत किये जाने की संस्तुति की गई। मंत्रिपरिषद द्वारा इस संस्तुति के सन्दर्भ में यह निर्णय लिया गया है।

उ0प्र0 दण्ड विधि (अपराधों का शमन और विचारणों का उपशमन) (संशोधन) अध्यादेश, 2023 के प्रारूप को स्वीकृति

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश दण्ड विधि (अपराधों का शमन और विचारणों का उपशमन) (संशोधन) अध्यादेश, 2023 के प्रारूप को स्वीकृति प्रदान कर दी है। ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश दण्ड विधि (अपराधों का शमन और विचारणों का उपशमन) अधिनियम, 1979 की धारा-9 के प्रभावी उपयोग के परिप्रेक्ष्य में उत्तर प्रदेश दण्ड विधि (अपराधों का शमन और विचारणों का उपशमन) (संशोधन) अध्यादेश, 2023 का प्रख्यापन किया जाना है। पुराने प्रकरणों में सम्बन्धित अभियुक्त बार-बार सम्मन भेजने पर उपस्थित नहीं होता है। ऐसी स्थिति में लम्बित वादों की संख्या बढ़ती चली जाती है। इसलिए उपरोक्त अधिनियम में समय-समय पर संशोधन किया जाता रहा है। उक्त प्रस्तावित संशोधन से 31 दिसम्बर, 2021 से पूर्व से धारा-107 तथा 109 सी0आर0पी0सी0 के अन्तर्गत लम्बित वाद एबेट हो जाएंगे। इस अधिनियम का मुख्य आशय पैटी क्रिमिनल आॅफेंसेस को कम्पाउण्डिंग द्वारा एबेट करना है। उक्त से कार्य निस्तारण में शीघ्रता होगी।

पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय, सीतापुर की क्षमता को दो गुना किये जाने के लिए आवासीय/अनावासीय भवनों के निर्माण के लिए 22964.49 लाख रु0 की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति

मंत्रिपरिषद ने वित्त विभाग के सुसंगत शासनादेशों में विहित व्यवस्था के क्रम में जनपद सीतापुर में पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय, सीतापुर की क्षमता को दो गुना किये जाने हेतु आवासीय भवनों के निर्माण के लिए 8629.19 लाख रुपये तथा अनावासीय भवनों के निर्माण हेतु 14335.30 लाख रुपये, कुल धनराशि 22964.49 लाख रुपये की लागत पर प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान कर दी है।

जनपद अमरोहा की पुलिस लाइन में आवासीय/अनावासीय भवनों के निर्माण हेतु 26694.11 लाख रु0 की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति

मंत्रिपरिषद ने वित्त विभाग के सुसंगत शासनादेशों में विहित व्यवस्था के क्रम में जनपद अमरोहा की पुलिस लाइन में आवासीय भवनों के निर्माण हेतु 14313.72 लाख रुपये तथा अनावासीय भवनों के निर्माण हेतु 12380.39 लाख रुपये कुल धनराशि 26694.11 लाख रुपये की लागत पर प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान कर दी है।

जनपद संभल की पुलिस लाइन में आवासीय/अनावासीय भवनों के निर्माण में प्रयुक्त उच्च विशिष्टियों एवं धनराशि 34700.71 लाख रु0 की लागत पर प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति

मंत्रिपरिषद ने वित्त विभाग के सुसंगत शासनादेशों में विहित व्यवस्था के क्रम में जनपद संभल की पुलिस लाइन में आवासीय/अनावासीय भवनों के निर्माण में प्रयुक्त उच्च विशिष्टियों एवं धनराशि 34700.71 लाख रुपये की लागत पर प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान कर दी है।

योगी मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय, मुरादाबाद की क्षमता को दो गुना किये जाने हेतु आवासीय/अनावासीय भवनों के निर्माण हेतु 26105.63 लाख रु0 की लागत पर प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति

मंत्रिपरिषद ने वित्त विभाग के सुसंगत शासनादेशों में विहित व्यवस्था के क्रम में पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय, मुरादाबाद की क्षमता को दो गुना किये जाने हेतु आवासीय भवनों के निर्माण हेतु 16447.47 लाख रुपये तथा अनावासीय भवनों के निर्माण हेतु 9658.16 लाख रुपये, कुल धनराशि 26105.63 लाख रुपये की लागत पर प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान कर दी है।

योगी मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

उ0प्र0 राज्य विधान मण्डल (सदस्यों की उपलब्धियां और पेंशन) (संशोधन) विधेयक 2023 का प्रारूप अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य विधान मण्डल (सदस्यों की उपलब्धियां और पेंशन) (संशोधन) विधेयक 2023 के प्रारूप को अनुमोदित कर दिया है। विधान मण्डल के माननीय भूतपूर्व सदस्यों की मृत्योपरांत उनके आश्रित (पति/पत्नी) को उत्तर प्रदेश राज्य विधान मण्डल (सदस्यों की उपलब्धियाँ और पेंशन) अधिनियम, 1980 (यथासंशोधित) की धारा 26 ‘क’ (2) में उपलब्ध व्यवस्था के अन्तर्गत पारिवारिक पेंशन अनुमन्य/देय है। उक्त धारा 26 ‘क’ (2) में निहित प्रावधानों से विधान मण्डल के भूतपूर्व सदस्यगण की मृत्योपरांत उनके आश्रित (पति/पत्नी) को दिवंगत सदस्य की पेंशन या दस हजार रुपये की पेंशन जो भी अधिक हो पारिवारिक पेंशन के रूप में निर्धारित हो जाती है। अग्रतर उत्तर प्रदेश राज्य विधान मण्डल (सदस्यों की उपलब्धियाँ और पेंशन) (संशोधन) अधिनियम, 2016, प्रभावी दिनांक 16 सितम्बर, 2016 के माध्यम से विधान मण्डल के भूतपूर्व सदस्यगण को पच्चीस हजार रुपये की पेंशन अनुमन्य की गयी है।

योगी मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय
इससे यह विसंगति उत्पन्न हो गयी है कि विधान मण्डल के ऐसे भूतपूर्व सदस्य जिनकी मृत्यु दिनांक 16 सितम्बर, 2016 से पूर्व हो गयी थी, की मृत्योपरांत उनके आश्रित (पति/पत्नी) को ऐसे दिवंगत सदस्य की पेंशन या दस हजार रुपये की पेंशन जो भी अधिक हो, की सीमा तक ही पारिवारिक पेंशन प्राप्त हो रही है। वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश राज्य विधान मण्डल (सदस्यों की उपलब्धियाँ और पेंशन) (संशोधन) अधिनियम, 2016 के प्रभावी होने की तिथि दिनांक 16 सितम्बर, 2016 के पश्चात ऐसे भूतपूर्व सदस्य जिन्हें पच्चीस हजार रुपये से अधिक की पेंशन प्राप्त हो रही थी की मृत्योपरांत उनके आश्रित (पति/पत्नी) को न्यूनतम पच्चीस हजार रुपये या पूर्व सदस्य को अनुमन्य पेंशन जो भी अधिक है, वह प्राप्त हो रही है। अतः इस विसंगति का निराकरण कर दिनांक 16 सितम्बर, 2016 से पूर्व दिवंगत भूतपूर्व सदस्यों के आश्रित पति/पत्नी को प्रति माह न्यूनतम पच्चीस हजार रुपये की पारिवारिक पेंशन अनुमन्य किया जाना औचित्यपूर्ण एवं न्यायसंगत है। इसके दृष्टिगत यह निर्णय लिया गया है

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असेवित जनपद-चित्रकूट में पी0पी0पी0 मोड पर मेडिकल काॅलेज खोले जाने के लिए चयनित कुल 8.345 हे0 भूमि चिकित्सा शिक्षा विभाग को निःशुल्क हस्तान्तरित किये जाने के प्रस्ताव को अनुमति

मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के असेवित जनपद-चित्रकूट में पी0पी0पी0 (पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप) मोड के अन्तर्गत मेडिकल काॅलेज खोले जाने के लिए चयनित कुल 8.345 हे0 अर्थात 20.60 एकड़ भूमि (ग्राम तरौंहा रूरल के कुल 15 किता रकबा 3.723 हे0 भूमि, जो पुलिस अधीक्षक, चित्रकूट आवास की बाउण्ड्री से लगी हुई है एवं संयुक्त जिला चिकित्सालय की बाउण्ड्री से लगी हुई ग्राम तरौंहा रूरल के ही कुल किता रकबा 1.970 हे0 भूमि तथा ग्राम बनाड़ी के कुल 09 किता रकबा 2.65 हे0 भूमि), जो उत्तर प्रदेश सरकार/जिलाधिकारी चित्रकूट के नाम राजस्व अभिलेख में दर्ज है, को चिकित्सा शिक्षा विभाग को निःशुल्क हस्तान्तरित किये जाने के प्रस्ताव को अनुमति प्रदान कर दी है। प्रदेश में चिकित्सा शिक्षकों की कमी को दूर करने एवं उत्कृष्ट कोटि के चिकित्सकों को तैयार करने के साथ-साथ प्रदेश की जनता को उत्कृष्ट चिकित्सकीय सुविधाओं को आसानी से उपलब्ध कराया जाना सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकताओं में सम्मिलित है। प्रदेश के 16 जनपद ऐसे हैं, जहां शासकीय अथवा निजी क्षेत्र के अन्तर्गत कोई भी मेडिकल काॅलेज संचालित नहीं है। इन जनपदों में पी0पी0पी0 मोड पर मेडिकल काॅलेज की स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा नीति निर्धारित की गयी है। नीति के तहत विभिन्न जनपदों में पी0पी0पी0 मोड पर मेडिकल काॅलेज स्थापित किये जा रहे हैं। जनपद चित्रकूट में मेडिकल काॅलेज खोले जाने से जनपद के निवासियों को उत्कृष्ट चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाएं सुचारु रूप से मिल सकेंगी तथा मेडिकल काॅलेज से सम्बन्धित शैक्षणिक एवं गैर-शैक्षणिक संवर्ग में रोजगार का सृजन होगा।

योगी मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

अवध केसरी राणा बेनी माधवबख्श सिंह की स्मृति में जनपद रायबरेली में सभागार, पुस्तकालय आदि के निर्माण हेतु निःशुल्क भूमि उपलब्ध कराये जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने अवध केसरी राणा बेनी माधवबख्श सिंह की स्मृति में जनपद रायबरेली में सभागार, पुस्तकालय आदि के निर्माण हेतु निःशुल्क भूमि उपलब्ध कराये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। मंत्रिपरिषद ने प्रकरण में आवश्यकतानुसार अग्रेतर निर्णय के लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है। इसके अन्तर्गत जनपद रायबरेली के ग्राम अहमदपुर नजूल व तहसील सदर की 1.217 हे0 अविवादित भूमि अवध केसरी राणा बेनी माधवबख्श सिंह की स्मृति में सभागार, पुस्तकालय आदि के निर्माण हेतु संस्कृति विभाग को निःशुल्क हस्तांतरित की जाएगी।ज्ञातव्य है कि आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की स्मृति में उनकी प्रतिमाओं की स्थापना के साथ-साथ सांस्कृतिक केन्द्रों आदि की स्थापना भी की जा रही है। इसी क्रम में अवध केसरी राणा बेनी माधवबख्श सिंह की स्मृति में रायबरेली में सभागार, पुस्तकालय, प्रशासनिक ब्लाॅक, कैफेटेरिया, पार्किंग, लैण्डस्कैपिंग आदि सुविधाओं को विकसित किये जाने के लिए जनपद रायबरेली तहसील सदर के ग्राम अहमदपुर नजूल में भूमि चिन्हित की गयी है। प्रारम्भिक आगणन के आधार पर प्रस्तावित सुविधाओं के विकास पर 1186.44 लाख रुपये का व्यय सम्भावित है

योगी मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

जनपद महोबा में नवीन जिला कारागार के निर्माण हेतु 20342.99 लाख रु0 की प्रशासकीय स्वीकृति


मंत्रिपरिषद ने जनपद महोबा में नवीन जिला कारागार के निर्माण हेतु कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग द्वारा उपलब्ध कराये गये प्रस्तावित आगणन 23021.90 लाख रुपये के सापेक्ष व्यय वित्त समिति द्वारा प्रायोजना की अनुमोदित लागत 20342.99 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। प्रस्तावित नवीन जिला कारागार के निर्माण के अन्तर्गत पुरुष बैरक 780 बंदी क्षमता (60 बन्दी क्षमता की डबल स्टोरी बैरक 06 नग तथा 60 बन्दी क्षमता सिंगल स्टोरी की 01 नग), अल्प वयस्क बैरक (60 क्षमता), महिला बैरक (60 क्षमता), उच्च सुरक्षा बैरक (12 क्षमता), क्वारन्टाइन बैरक (60 क्षमता), एकल कक्ष (18 नग), अस्पताल भवन, प्रशासनिक भवन, विजिटर शेड, पाकशाला, आर्मरी, सेन्ट्रल वॉच टॉचर, गोदाम, बैरियर चैक पोस्ट, सी0ओ0 आॅफिस, पम्प हाउस, पहचान कक्ष, कम्युनिटी सेन्टर, गेस्ट हाउस, गैराज, बेकरी, पुलिस चैकी, वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग कक्ष, गौशाला, मल्टीपरपज हॉल एवं टाइप-2 के 170, टाइप-3 के 05 एवं टाइप-4 के 04 आवासों के अतिरिक्त दीवारों एवं स्थल विकास तथा सुरक्षा उपकरणों आदि का प्राविधान किया गया है।

जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट, उ0प्र0 को राज्य विश्वविद्यालय के रूप में प्रतिष्ठापित करने हेतु प्रथम चरण में एम0ओ0यू0 के निष्पादन के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश को राज्य विश्वविद्यालय के रूप में प्रतिष्ठापित करने हेतु प्रथम चरण में समझौता ज्ञापन (एम0ओ0यू0) के निष्पादन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट के कुलाधिपति श्री राघवीयो जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य द्वारा अपनी दीर्घ आयु तथा सीमित आर्थिक संसाधनों से इस विश्वविद्यालय का संचालन न कर पाने के दृष्टिगत विश्वविद्यालय को राज्य विश्वविद्यालय के रूप में प्रतिष्ठापित किये जाने का अनुरोध किया गया है। विश्वविद्यालय में शैक्षणिक वर्ग में 41 एवं गैर शैक्षणिक वर्ग में 68 कार्मिक कार्यरत हैं। शैक्षिक सत्र 2022-23 में कुल 1642 दिव्यांग छात्र/छात्राएं अध्ययनरत हैं। इस निर्णय से दिव्यांग छात्र-छात्राओं की अन्तर्निहित दक्षताओं को विकसित करके उन्हें गुणवत्तापरक उच्च शिक्षा प्रदान करने के साथ ही प्रदेश को एक दिव्यांग विश्वविद्यालय प्राप्त होने का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।

योगी मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

जनपद गौतमबुद्धनगर में गाजियाबाद-टुण्डला रेल सेक्शन के सम्पार संख्या-146 पर 06-लेन रेल उपरिगामी सेतु निर्माण की सम्पूर्ण परियोजना तथा इसकी व्यय वित्त समिति द्वारा अनुमोदित पुनरीक्षित लागत 22487 लाख रु के व्यय का प्रस्ताव अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने जनपद गौतमबुद्धनगर में उत्तर मध्य रेलवे के अन्तर्गत गाजियाबाद-टुण्डला रेल सेक्शन के किलोमीटर 1412/11-13 के सम्पार संख्या-146 पर 06-लेन रेल उपरिगामी सेतु निर्माण की सम्पूर्ण परियोजना तथा इस कार्य की व्यय वित्त समिति द्वारा अनुमोदित पुनरीक्षित लागत 22487.00 लाख रुपये (02 अरब 24 करोड़ 87 लाख रुपये) जिसमें मुख्य सेतु रेलवे पोर्शन की लागत 4882.46 लाख रुपये, भूमि अध्याप्ति की लागत 1759.59 लाख रुपये तथा पहुंच मार्ग आदि की लागत 15844.95 लाख रुपये सम्मिलित हैं, के व्यय के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। इस सम्पार पर रेलगाड़ियों का आवागमन बहुत अधिक होने के कारण फाटक अधिकतर बन्द रहता है, जिससे आने-जाने वाली जनता को असुविधा होती है। इस रेल उपरिगामी सेतु के निर्माण से ग्राम पल्ला, नोएडा, ग्रेटर नोएडा होते हुए एन0एच0-91 पर जुड़ जाएगा। सम्पार के अतिरिक्त दूसरा कोई वैकल्पिक मार्ग नहीं है। सम्पार पर रेल उपरिगामी सेतु के निर्माण से जनमानस की सुरक्षा के साथ-साथ स्थानीय निवासियों के आवागमन में समय व ईंधन की बचत होगी तथा क्षेत्र का सर्वांगीण विकास होगा।

जनपद हापुड़ में स्पोट्र्स स्टेडियम के निर्माण हेतु पशुधन विभाग की 10 हे0 भूमि को खेल विभाग के नाम निःशुल्क हस्तांतरित किये जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने जनपद हापुड़ में स्पोट्र्स स्टेडियम के निर्माण हेतु प्रस्तावित पशुधन विभाग की राजकीय पशुधन एवं कृषि प्रक्षेत्र बाबूगढ़, तहसील हापुड़ की भूमि के कुल 277.08 हेक्टेयर क्षेत्रफल में से 10 हेक्टेयर क्षेत्रफल भूमि को खेल विभाग के नाम निःशुल्क हस्तांतरित किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।उल्लेखनीय है कि मेजर ध्यानचन्द्र स्पोट्र्स इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन के अन्तर्गत 04 असेवित जनपदों में खेल सुविधाओं के विकास हेतु स्टेडियम का निर्माण कराया जाना है, जिसमें जनपद हापुड़ भी सम्मिलित है। इन जनपदों में स्टेडियम के निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध कराने हेतु सम्बन्धित जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया था। तत्क्रम में जिलाधिकारी हापुड़ द्वारा राजकीय पशुधन एवं कृषि प्रक्षेत्र बाबूगढ़ की कुल 277.08 हेक्टेयर क्षेत्रफल में से 10 हेक्टेयर (लगभग 25 एकड़) क्षेत्रफल भूमि को जनपद हापुड़ के नगरीय क्षेत्र के समीप होने के कारण स्टेडियम के निर्माण हेतु उपयुक्त बताया गया। वित्तीय वर्ष 2022-23 में जनपद हापुड़ में स्टेडियम के निर्माण हेतु 500 लाख रुपये की बजटीय व्यवस्था है।

योगी मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय