उत्तर प्रदेश में गरीब बिना दवा और बिना इलाज के दम तोड़ रहे हैं-अखिलेश यादव

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राजेन्द्र चौधरी

अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को चौपट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अस्पतालों में हर दर्जे की लापरवाही हो रही है। लाखों की दवाएं कूड़े के ढेर में जा रही हैं। गरीब बिना दवा और बिना इलाज के दम तोड़ रहे हैं। सरकार के लोग इस सबसे बेफिक्र बस अपनी यशगाथा सुनाने में ही लगे रहते हैं।भाजपा सरकार ने समाजवादी सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में शुरू की गई संजीवनी 108 एम्बूलेंस सेवा को धक्कामार बना दिया है। बुलन्दशहर में बदहाली की यह तस्वीर दिखी कि एम्बूलेंस 108 स्टार्ट नहीं हुई। मरीज की जान पर बन आई। एम्बूलेंस चालकों को सरकार के अहंकार और अन्याय की वजह से अपने जीवन में तकलीफे झेलनी पड़ रही है। तमाम ड्राइवरों की नौकरी जाने से परिवार दाने-दाने को मोहताज हो रहे हैं। जनहित में नई एम्बूलेंस की खरीद के साथ चालकों की भी भर्ती होनी चाहिए।


अस्पतालों में मरीजों के साथ उपेक्षापूर्ण व्यवहार होना आम बात हो गई है। इन दिनों मौसम के उतार चढ़ाव के कारण बुखार और डायरिया के प्रकोप से पीड़ित बच्चों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा है। बेड की कमी दिखाकर जमीन पर बच्चों को लिटाकर इलाज हो रहा है। अस्पताल की लापरवाही की वजह से बच्चे की मौत हो गई तो मजबूर मां अस्पताल की सीढ़ियों पर अपने बच्चे का शव को गोद में लेकर विलाप करती हुई दिखाई दी। ये तस्वीर बेहद दर्दनाक और शर्मनाक है।पांच साल में 10 हजार अग्निकाण्डों के बावजूद राजधानी लखनऊ में केवल दो अस्पतालों में बर्न यूनिट है और घायलों के लिए मात्र 75 बेड है। तमाम अस्पतालों में भीषण गर्मी के इन दिनों में न तो मरीजों या तीमारदारों को छांव नसीब है और नहीं पेयजल की सुविधा हैं। अस्पतालों की लम्बी लाईनों में लोग बेहोश तक हो जा रहे है।


उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा के पीछे भाजपा सरकार की अकर्मण्यता और पूंजीपरस्त नीतियां भी है। सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था और असुविधाओं का अम्बार लगा है। वहां डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की भी कमी है। दूसरी ओर प्राईवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम्स की संख्या में रोज-ब-रोज बढ़ोत्तरी हो रही है। वहां तमाम विशेषज्ञ सुविधाओं के दावे हो रहे हैं। भाजपा की जो पूंजीपरस्त मानसिकता है उसके चलते गरीब की तो कहीं पूछ नहीं, सरकार पैसे वालों की जिंदगी खुशहाल बनाने के सभी इंतजाम करने में ही लगी है। गरीब तो बस राम भरोसे ही जिन्दगी जीने को मजबूर है।