भारत भूमि पुण्य धरा है…..

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तुषार शर्मा “नादान”

भारत भूमि पुण्य धरा है,

यहाँ प्रेम सद्भाव भरा है।

त्याग, खुशी व शांति का ध्वज,

इसके आँचल में फहरा है।।

चारों ओर है कलकल करती,

निर्मल सरिताओं का संगम।

वन आच्छादित गिरिमाला का,

मनमोहक है दृश्य विहंगम।।

अलग अलग धर्मों के मोती,

भाषाओं का सिंधु गहरा।

माथे पर भाईचारे का,

चमक रहा है मुकुट सुनहरा।।

गाँव खेत खलिहान से सजते,

पोषक तत्वों के फसल उपजते।

त्योहारों की खुशियां पाकर,

शंख नगाड़े ढोलक बजते।।

कर्म की पूजा करने वाला,

यहाँ भूख से नहीं मरा है।

नादान हृदय का भाव खरा है,

भारत मेरी पुण्य धरा है।।