खिलौना उद्योग में भारत बनेगा आत्मनिर्भर

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लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्योपतियों से देश को खिलौना निर्माण का वैश्विक हब बनाने के आह्वान की भाजपा एमएलसी ए0 के0 शर्मा ने भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए सराहना की है।ए0 के0 शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस सम्बन्ध में किए गए ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए लिखा कि भारतीय खिलौनों को प्रोत्साहन करने का प्रधानमंत्री का प्रयास स्तुत्य हैं। उप्र में खिलौना उत्पादन के कई क्लस्टर है। उनके विकास से स्थानीय लोगों को रोजगारी मिलेगी।देश में हैं 4,000 से ज्यादा खिलौना निर्माण इकाइयांएक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2024 तक भारत का खिलौना उद्योग 147-221 अरब रुपये का हो जाएगा। दुनियाभर में जहां खिलौने की मांग में हर साल औसत करीब पांच फीसद का इजाफा हो रहा है, वहीं भारत की मांग में 10-15 प्रतिशत का।

ए0 के0 शर्मा ने कहा प्राचीन काल में भी भारत का खिलौना उद्योग काफी समृद्ध था। आज जो शतरंज दुनिया में इतना लोकप्रिय है, वो पहले ‘चतुरंग या चादुरंगा’ के रूप में भारत में खेला जाता था। आधुनिक लूडो तब पच्चीसी के रुप में खेला जाता था। हमारे धर्मग्रन्थों में भी बालरूप में भगवान राम के लिए अलग-अलग कितने ही खिलौनों का वर्णन मिलता है।उन्होंने कहा सिंधुघाटी सभ्यता, मोहनजोदाड़ो और हड़प्पा के दौर के खिलौनों पर पूरी दुनिया ने रिसर्च की है।

प्राचीन काल में दुनिया के यात्री जब भारत आते थे, तो भारत में खेलों को सीखते भी थे और अपने साथ लेकर भी जाते थे।उन्होंने कहा ऐसे में भारत खिलौना मेला 2021 के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उद्घाटन के दौरान आत्मनिर्भर भारत अभियान में ‘वोकल फॉर लोकल’ के तहत देश को खिलौना निर्माण का वैश्विक हब बनाने की प्रधानमंत्री द्वारा उद्योपतियों से की गई अपील यह दर्शाती है कि वह भारत की पौराणिक विरासतों के प्रति कितने सजग व समर्पित हैं।

भाजपा एमएलसी ए0के0 शर्मा ने कहा खिलौना उद्योग में निवेश और रोजगार की बड़ी संभावनाएं हैं। भारत को इस क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने और निर्यात को बढ़ावा देने के माध्यम से खिलौनों के विनिर्माण और सोर्सिंग के लिए अगला वैश्विक केंद्र बनाया जा सकता है।उन्होंने कहा इस दृष्टिकोण से भी प्रधानमंत्री की अपील बहुत मायने रखती है। यह उनकी दूरदर्शी सोच ही है जो हर क्षेत्र में भारत की समृद्धि, विकास व खुशहाली का रास्ता खोज लेती है। भारत निश्चित रूप से पारंपरिक भारतीय खिलौनों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक खिलौने, पहेलियां और खेल सहित आधुनिक खिलौनों का सबसे बड़ा उत्पादक व निर्यातक बनेगा।

 प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में खिलौना उद्योग में आत्मनिर्भर होने का राष्ट्र से आवहान किया। भारत में एक अनुमान के अनुसार 80% खिलोनो का आयात चीन से होता है। अतः हाल में चीन द्वारा की गयी नापाक घटना से चीन से आयातित खिलोनो का निर्यात बंद होना चाहिय ऐसा प्रत्येक देशवासी का मन है।

दिल्ली का सदर बाजार एशिया के सबसे बड़े थोक बाजारों में शामिल है। यहां सिर्फ खिलौनों के थोक विक्रेता ही नहीं बल्कि कई उत्पादक और इंपोर्टर भी हैं, जिनसे खिलौने खरीदने के लिए देश के कोने-कोने से व्यापारी यहां पहुंचते हैं। चीन से खिलोनो के आयात पर अंकुश लगाने के सरकार के निर्णय से सदर बाजार के खिलौना व्यापारी सकते में है।

व्यापारियों का मानना है कि अमीर बच्चा हो या गरीब बच्चा ,खिलोने सभी को लुभाते है और अभी तक ‘भारतीय खिलौनों का फ़िलहाल चीन के खिलौनों से कोई मुकाबला ही नहीं है। चीनी खिलौने क्वालिटी में हमारे खिलौनों से कहीं ज़्यादा बेहतर हैं और दाम में कहीं कम। हालाँकि व्यापारियों का मानना है यदि खिलौने भारत में बनने लगे तो उन्हें भारतीय माल बेचने में ज्यादा ख़ुशी होगी।

इसी क्रम में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मन की बात कार्यक्रम में आत्मनिर्भर भारत को लेकर ट्वीट किया गया कि आत्मनिर्भर भारत सिर्फ सरकार की कोशिश नहीं है, यह तो भारत की राष्ट्रीय भावना है।प्रधानमंत्री के इस ट्वीट को री- ट्वीट करते हुए भाजपा एमएलसी ए0के0 शर्मा ने अपने ट्वीटर हैंडल पर लोखा आत्मनिर्भरता भारत की आत्मा हैं। मान. प्रधानमंत्री जी ने हमें इसकी पहचान कराई हैं। आइये हम अपने लोगों की बनाई हुई वस्तुओं को अपनाएँ और भारत को आधुनिक, सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनायें।