पति का पत्नी के साथ मर्जी के खिलाफ सेक्स करना अवैध नहीं-मुंबई कोर्ट

150

पति का पत्नी के साथ उसकी मर्जी के खिलाफ सेक्स करना अवैध नहीं: मुंबई कोर्ट ने जमानत याचिका में कहा।

 पत्नी से दबावपूर्वक सेक्स करने के एक मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा है कि पति होने के नाते यह नहीं कहा जा सकता कि उसने कोई अवैध काम किया है।कोर्ट ने यह भी कहा है कि यह मामला कानूनी जांच के दायरे से बाहर है।बता दें कि महिला ने अपने पति पर दबावपूर्वक सेक्स करने का आरोप लगाया था । सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि पति द्वारा अपनी अपनी पत्नी के साथ जबरन यौन संबंध का मुद्दा कानूनी आधार नहीं है।यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि युवा लड़की को इस दौरान पैरालिसिस का सामना करना पड़ा, लेकिन आवेदकों (पति और परिवार) को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।आवेदकों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की प्रकृति को देखते हुए, हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है।

मिली जानकारी के अनुसार कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाली महिला की शादी 22 नवंबर को हुई थी।महिला का आरोप है कि शादी के कुछ दिन तक तो सबकुछ ठीक रहा, लेकिन थोड़े दिनों बाद पति और परिवार वाले मारपीट कर दहेज की मांग करने लगे। पीड़ित महिला का यह भी आरोप है कि शादी के एक महीने बाद ही पति ने उसकी मर्जी के खिलाफ उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। पीड़िता का कहना है कि बीते 2 जनवरी को मुंबई के पास हिल स्टेशन महाबलेश्वर गई थी। इस दौरान यहां भी पति ने उस पर सेक्स के लिए दबाव डाला और जबरन सेक्स किया।इस घटना के बाद उसके कमर के नीचे का हिस्सा पैरालाइस हो गया। इसके बाद महिला ने अपने पति और अन्य के खिलाफ मुंबई के एक थाने में माला दर्ज करवाया।

एक पत्नी ने अपने पति के ‌खिलाफ जबरन संभोग की शिकायत की ‌थी और क्रूरता का आरोप लगाया था, जिस पर मुंबई की एक सेशन कोर्ट ने कहा है कि व्यक्ति के कृत्यों को अवैध नहीं माना जा सकता क्योंकि वह उसका पति है।अदालत ने कहा कि यह “दुर्भाग्यपूर्ण” है कि युवति को लकवा हो गया था, लेकिन उसके लिए पति और उसके पूरे परिवार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता था।इसे देखते हुए, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजाश्री घरत ने व्यक्ति और उसके परिवार को घरेलू हिंसा के मामले में आईपीसी की धारा 498-ए, 323, 504, 506 (द्वितीय) आर/डब्ल्यू 34 के तहत अग्रिम जमानत दे दी।

शिकायतकर्ता की आगे यह शिकायत है कि आवेदक नंबर एक (पति) ने उसकी इच्छा के विरुद्ध उसके साथ यौन संबंध बनाए। हालांकि, आवेदक नंबर एक के पति होने के नाते यह नहीं कहा जा सकता है कि उसने कोई अवैध काम किया है।यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि युवति को लकवा हो गया। हालांकि, इसके लिए आवेदकों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। आवेदकों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की प्रकृति को देखते हुए, हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है।”महिला ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि उसकी शादी के तुरंत बाद 2020 में आरोपी ने उस पर प्रतिबंध लगाना, ताना मारना और गाली देना शुरू कर दिया। इसके अलावा, उसने पैसे की भी मांग की।

महिला ने दावा किया कि शादी के एक महीने बाद उसके पति ने उसकी मर्जी के खिलाफ उसके साथ यौन संबंध बनाए। म‌हिला ने बताया कि जब उसने दूसरी बार ऐसा किया तो वह बीमार पड़ गई है।उन्होंने कहा कि एक डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उनकी कमर के नीचे लकवा है, इसलिए उन्होंने शिकायत दर्ज कराई।एडवोकेट एसके जेंडे ने तर्क दिया कि आरोपियों को झूठा फंसाया गया है और दहेज की कोई मांग नहीं है। इतना ही नहीं पति ने पत्नी के खिलाफ‌ शिकायत दर्ज कराई है।दहेज की मांग के संबंध में, अदालत ने कहा कि शिकायत में मांग के विवरण का विवरण देने वाला कोई विशेष आधार नहीं था। और चूंकि वह आदमी उसका पति था, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता था कि उसने उसकी इच्छा के विरुद्ध उसके साथ यौन संबंध बनाकर कुछ भी अवैध किया था।

?हाल ही में, केरल उच्च न्यायालय ने एक उल्लेखनीय निर्णय में कहा कि वैवाहिक बलात्कार, हालांकि अपराध नहीं है, तलाक के लिए एक वैध आधार है।