कोई यूं ही नहीं होता अटल

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कोई यूं ही नहीं होता अटल
कोई यूं ही नहीं होता अटल

देश दुनिया में कई ऐसी शख्सियत होती हैं, जो भले ही इस दुनिया से अलविदा हो गए हो, लेकिन उन्‍हें अभी भी याद किया जाता है। इसी तरह राजनीति में भारत के सबसे लोकप्रिय राजनेताओं में ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ का नाम भी है, क्‍योंकि उनके द्वारा किए गए कार्यों के कारण उनकी छवि एक अच्छे राजनेता के रूप में उभरी है, वे एक महान कवि व महान मागदर्शक थे, यहां तक की राजनीति में उन्हें कई लोग अपना गुरू व भगवान तक मानते हैं। ‘क्रिसमस डे’ के अलावा राजनीति से ताल्लुक़ात व अपने कामों के लिए सर्वांगीण रहे अटल जी का आज अर्थात 25 दिसंबर को जन्‍मदिन भी है। इस खास अवसर पर आज हम आपको उनके जीवन से जुड़े कुछ अनसुने खास किस्‍सों के बारे रूबरू कराने के साथ ही अटल जी के जीवन के अकथनीय व्यक्तित्व की कहानी पर एक नजर डालते हैं। कोई यूं ही नहीं होता अटल

अटल बिहारी की आज 99 वीं जयंती

लोकप्रिय राजनेता ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ को आज भी उनके दमदार भाषणों और उनके द्वारा किए गए योगदानों के कारण भी याद किया जाता है। भारत को मजबूत और विकसित बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया, उनकी विकास पहल ने लाखों भारतीयों को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया। आज जब अटल बिहारी वाजपेयी जी 99 वीं जयंती आई, तो इस दौरान उन्‍हें तमाम नेताओं ने याद कर कोटि-कोटि नमन किया है। तो वहीं, देश के वर्तमान प्रधानमंत्री यानी नरेंद्र मोदी की अटल जी के साथ खूब पटती थी, वे अटल जी का दिल से सम्मान करते हैं और आज भी मोदी सरकार हर साल अटल जी के योगदानों का स्मरण कर बड़ी उत्साह से ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मनाती है।

जीवन परिचय – जन्म :- 25 दिसम्बर 1924, मृत्यु: 16 अगस्त, 2018,जन्म स्थान: ग्वालियर, मध्य प्रदेश,राजनैतिक दल: भारतीय जनता पार्टी, धर्म: हिन्‍दू राष्ट्रीयता: भारतीय।

अटलजी के जीवन का एकमात्र लक्ष्‍य :- अटल बिहारी वाजपेयी ने अपना जीवन पूरी तरह से मातृभूमि को समर्पित कर दिया था, उनके जीवन का एकमात्र लक्ष्‍य यह था कि,भारत को दुनिया के महान देशों की तरह गिना जाए।

अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिए गए योगदानों पर अगर गौर किया जाए, तो उन्‍होंने संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत व हिंदी की अलख जगाई थी, इसके अलावा दुनिया से विरुद्ध जाकर परमाणु विस्फोट परीक्षण का भी फैसला लिया, जो काफी ऐतिहासिक था। दिग्गज राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी सिर्फ राजनीति से ताल्लुक़ात नहीं, बल्कि वे फिल्म, खेल और स्वादिष्ट खाने के भी काफी शौकीन थे।

आखिर क्‍यों अटल जी के भाषण के दीवाने थे लोग

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण के लोग दिवाने थे, ऐसे में यह बात को जानना जायज़ ही होगा कि आखिर क्‍यों लोग उनके भाषण के दीवाने थे। दरअसल, जब भी कहीं अटल बिहारी वाजपेयी की रैली व जनसभा होती थी, उसमें उनके प्रति लोगों की दिवानगी नजर आती थी। अटल बिहारी जी की हिन्दी में जबरदस्त पकड़ थी, इतना ही नहीं जब भी वह स्‍पीच देते थे, तो मौके के अनुसार ही शब्‍दों का प्रयोग किया करते थे, यहीं कारण है कि, लोग उनके भाषण के दीवाने हो जाते थे। उन्‍होंने दशकों तक अपने भारतीय राजनीतिक पटल को अपने ओजस्‍वी व्यक्तित्व से चमकते सितारे की तरह देश के हर दौर को रोशन किया है, जिससे उनकी छवी आजाद हिन्‍दुस्‍तान के एक चमकतेे सितारेे के रूप में बनकर उभरी थी। अटल जी जनता के दिल में बैठे थे, अच्‍छे कार्यो के कारण जनता द्वारा उन्‍हें एक बार नहीं, बल्कि 3 बार देश की सत्‍ता की कमान यानी प्रधानमंंत्री पद के लिए चुना गया।

जानें कब-कब PM पद पर रहे अटल बिहारी वाजपेयी जी

  • अटल जी पहली बार 1996 में PM के पद पर रहे, लेकिन उनकी सरकार सिर्फ 13 दिन ही चली और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
  • दूसरी बार 1998-99 में फिर PM की कमान उन्‍हीं के हाथ आई थी।
  • इसके बाद तीसरी बार भी 1999 से 2004 तक वह भारत के PM पद पर रहे थे।

अटल बिहारी वाजपेयी जी का राजनीतिक सफर

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई देश के एकमात्र ऐसे राजनेता थे जो चार राज्यों के 6 लोकसभा क्षेत्र की नुमांदगी कर चुके थे। उत्तर प्रदेश के लखनऊ,बलरामपुर गुजरात के गांधीनगर, मध्य प्रदेश के ग्वालियर,विदिशा एवं दिल्ली की नई दिल्ली संसदीय सीट से चुनाव जीतने वाले अटल बिहारी वाजपेई इकलौते नेता हैं।तीन बार देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने के अलावा वह हिंदी कवि, पत्रकार और प्रखर वक्ता भी थे एवं उनका राजनीतिक करियर भी किसी रोलर कोस्टर से कम नहीं रहा है-अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक थे। 1968 से 1973 तक वह राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 1957 में बलरामपुर जिला गोण्डा, उत्तरप्रदेश से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँचे। 1957 से 1977 तक जनता पार्टी की स्थापना तक वे 20 वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे, इस दौरान मोरारजी देसाई की सरकार थी। विदेश मंत्री के पद पर रहते हुए वाजपेयी ने विदेशों में भारत की एक छवि बनाई।

अटल बिहारी की जयंती पर नेताओं ने किया याद :- अटल जी को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन, हम राष्ट्र के लिए उनकी समृद्ध सेवा से प्रेरित हैं। उन्होंने भारत को मजबूत और विकसित बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया, उनकी विकास पहल ने लाखों भारतीयों को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया। —–प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

अटल जी ने जब राजनीति से लिया संन्यास

साल 2004 में जब आम चुनाव हुए तो इस दौरान भारतीय जनता पार्टी (BJP) को करारी हार का सामना करना पड़ा था और भारत की कमान कांग्रेस पार्टी के हाथ आई थी और PM पद पर मनमोहन सिंह थे। तो वहीं, साल 2014 में फिर भाजपा सत्‍ता में आई। सत्‍ता में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के दूसरे साल 2015 में अटल जी को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्‍‍‍न से नवाजा गया। हालांकि, सर्वोच्च सम्मान से पहले भी वाजपेयी जी को पद्म विभूषण से लेकर कई अन्य सम्मान प्राप्त हुए थे।अटल बिहारी वाजपेयी ने हजारों लोगों के सामने संन्यास की, घोषणा के समय मुंबई के प्रसिद्ध शिवाजी मैदान पर भाजपा की एक आम सभा में हजारों लोग मौजूद थे। उस दिन से ठीक 25 साल पहले 29 दिसंबर 1980 को भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की घोषणा हुई थी।अटल बिहारी वाजपेयी उस वक्त पार्टी के अध्यक्ष बने थे।

अटलजी के निधन से एक युग का अंत

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न व राजनीति के शिखर पुरूषों में शुमार अटल बिहारी वाजपेयी 93 साल की उम्र में वर्ष 2018 में 15 अगस्‍त को ‘स्वतंत्रता दिवस’ के एक दिन बाद यानी 16 अगस्त को इस दुनिया को अलविदा कह चले थे। उनके निधन से एक युग का अंत सा हुआ, पूरे देश में शौक की लहर दौड़ गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आंखें भी उस दौरान नम नजर आई थीं और उनकी अंतिम यात्रा के दौरान PM मोदी पूरे रास्‍ते पैदल चल कर स्मृति स्थल पहुंचे थे।पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के साथ ही देश ने भारतीय राजनीति के एक पुरोधा को खो दिया था। वैचारिक एवं राजनीतिक स्वीकार्यता के चरमोत्कर्ष पर काबिज रहे 93 वर्षीय अटल के निधन पर देश की लगभग सभी विचारधाराओं से जुड़ी जानी-मानी हस्तियों ने शोक में डूब गयी थी। कोई यूं ही नहीं होता अटल