गन्ना किसानों को 01 लाख 48 हजार करोड़ के गन्ना मूल्य का भुगतान

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राज्य सरकार जनपद मेरठ में मेजर ध्यानचन्द के नाम पर स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बनाने जा रही, शीघ्र ही इसका शिलान्यास किया जाएगा । प्रदेश सरकार ने कुश्ती और बैडमिण्टन के खेल को गोद लेकर बढ़ावा देने का निर्णय लिया । पारम्परिक हस्तशिल्प एवं उद्यम के माध्यम से उ0प्र0 एक्सपोर्ट हब के रूप में उभरा । राज्य से 01 लाख 31 हजार करोड़ रु0 केओ0डी0ओ0पी0 उत्पादों का प्रतिवर्ष निर्यात किया जाता है ।  वर्तमान सरकार ने वर्ष 2017 से वर्ष 2020 के मध्य किसानों को 36,405 करोड़ रु0 गेहूं मूल्य के रूप में तथा धान मूल्य के रूप में 41,000 करोड़ रु0 का भुगतान किया । वर्तमान राज्य सरकार ने गन्ना किसानों को01 लाख 48 हजार करोड़ रु0 के गन्ना मूल्य का भुगतान किया । प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अन्तर्गत प्रदेश के 2.54 करोड़किसानों को 37,521 करोड़ रु0 की सम्मान निधि प्रदान की गई । वर्तमान राज्य सरकार ने विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं को पूर्ण कर22 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता सृजित की, दशकोंसे लम्बित 17 सिंचाई परियोजनाओं को पूर्ण कराया बुन्देलखण्ड, विन्ध्य क्षेत्र तथा खारे पानी की समस्या से प्रभावित क्षेत्रों के38,000 गांवों में ‘हर घर नल योजना’ के माध्यम से वर्ष 2024 तकपाइप पेयजल पहुंचाने के लक्ष्य के साथ कार्य किया जा रहा । केन व बेतवा नदियों को जोड़ने की कार्यवाही की जा रही ।

लखनऊ। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार खिलाड़ियों, संस्कृति कर्मियों, लोक कर्मियों को प्रोत्साहित करने का कार्य कर रही है। खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए हर गांव में खेल मैदान तथा विकास खण्ड में स्टेडियम बनाए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार ने टोक्यो ओलम्पिक में पदक विजेता खिलाड़ियों तथा प्रदेश के प्रतिभागी खिलाड़ियों को धनराशि प्रदान कर सम्मानित किया। यह सम्मान समारोह प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित किया गया। इसी प्रकार टोक्यो पैरालम्पिक में पदक विजेता खिलाड़ियों के सम्मान के लिए जनपद मेरठ में सम्मान समारोह आयोजित किया गया। राज्य सरकार जनपद मेरठ में मेजर ध्यानचन्द के नाम पर स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बनाने जा रही है। शीघ्र ही इसका शिलान्यास किया जाएगा। प्रदेश सरकार ने कुश्ती और बैडमिण्टन के खेल को गोद लेकर बढ़ावा देने का निर्णय लिया है।


राज्य सरकार ने परम्परागत उद्यम को बढ़ावा देने के लिए ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ लागू की। प्रदेश सरकार के प्रभावी प्रयासों से राज्य में परम्परागत उद्यम ने नई ऊँचाइयां हासिल की हैं। पारम्परिक हस्तशिल्प एवं उद्यम के माध्यम से उत्तर प्रदेश एक्सपोर्ट हब के रूप में उभरा है। राज्य से 01 लाख 31 हजार करोड़ रुपए के ओ0डी0ओ0पी0 उत्पादों का प्रतिवर्ष निर्यात किया जाता है। बढ़ई, दर्जी, टोकरी बुनकर, नाई, कुम्हार, लोहार सहित 17 परम्परागत हस्तशिल्पियों को बेहतर अवसर सुलभ कराने के लिए ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ लागू की गई। इसके तहत इन हस्तशिल्पियों को विभिन्न योजनाओं से जोड़कर लाभान्वित किया गया। इनके कौशल को निखारने के लिए प्रशिक्षण दिलाने के साथ ही, आधुनिक टूल किट उपलब्ध करायी गई।

राज्य सरकार ने वर्ष 2020 में 54 लाख श्रमिकों को भरण-पोषण भत्ता दिया। वर्ष 2020-21 में 26 लाख श्रमिकों को भरण-पोषण भत्ता दिया गया। राज्य सरकार ने असंगठित क्षेत्र के 2.5 करोड़ श्रमिकों यथा-स्ट्रीट वेण्डर, कुली, ठेला, खोमचा, रेहड़ी लगाने वाले, पटरी व्यवसायी, पल्लेदार, रिक्शाचालक, खेतिहर मजदूर तथा 60 लाख पंजीकृत श्रमिकों सहित 3.10 करोड़ श्रमिकों को अगले 04 महीने तक प्रतिमाह 500 रुपए भरण-पोषण भत्ते के रूप में प्रदान किए जाने का निर्णय लिया है। इस प्रकार, राज्य सरकार अगले 4 महीने में इन्हें 2,000 रुपए का भरण-पोषण भत्ता उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए उपलब्ध कराने जा रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने अपने कार्यकाल में प्रदेश की 31 चीनी मिलों को बेच दिया। वर्तमान राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण के बावजूद चीनी मिलों को संचालित कराया। उन्होंने कहा कि रमाला, मुण्डेरवा तथा पिपराइच में नई चीनी मिलें स्थापित की गईं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने तय किया है कि प्रदेश में कुछ नयी चीनी मिलों के पुनरुद्धार या वहां नई चीनी मिल स्थापित करने या उनकी क्षमता विस्तार की कार्यवाही करेंगे। इसमें बुढ़वल-बाराबंकी, सुल्तानपुर, सांठा-अलीगढ़, गजरौला-अमरोहा, स्नेहनगर रोड-बिजनौर, मोरना-मुजफ्फरनगर सम्मिलित हैं। इनके साथ ही, छाता की चीनी मिल को गन्ना की उपलब्धता पर चीनी मिल अन्यथा एथेनॉल प्लाण्ट की स्थापना की जाएगी। देवीपाटन मण्डल और गोरखपुर मण्डल में भी नई चीनी मिलों की स्थापना की कार्यवाही प्रारम्भ होगी।


वर्तमान सरकार के वर्ष 2017 में सत्ता में आने पर राज्य में कोई प्रोक्योरमेण्ट पॉलिसी नहीं थी। हमने विभिन्न राज्यों में एक टीम भेजकर वहां लागू प्रोक्योरमेण्ट पॉलिसी का अध्ययन कराया। इसके बाद गेहूं खरीद के लिए राज्य में 01 अप्रैल, 2017 से क्रय केन्द्र स्थापित कराए, जिससे किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ प्राप्त हो सके। किसान को उसकी उपज का उचित मूल्य मिलने से खेतीबाड़ी में उसकी रुचि बढ़ती है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार की वर्ष 2012 से वर्ष 2017 के कालखण्ड में 144 लाख मीट्रिक टन धान का उत्पादन हुआ। इसके सापेक्ष वर्ष 2017 से वर्ष 2021 के मध्य 171 लाख मीट्रिक टन धान का उत्पादन हुआ। इसी प्रकार, पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में 349 लाख मीट्रिक टन गेहूं के सापेक्ष वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 375 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ। पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में 74 लाख मीट्रिक टन दलहन के सापेक्ष वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 95 लाख 90 हजार मीट्रिक टन दलहन तथा पूर्ववर्ती सरकार के समय में 41.76 लाख मीट्रिक टन तिलहन के सापेक्ष वर्तमान सरकार के समय में 69.76 लाख मीट्रिक टन तिलहन का उत्पादन हुआ।