मुलायम सिंह यादव {नेताजी} का राजनीतिक सफ़र…Political Journey of Mulayam Singh Yadav {Netaji} …

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उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे, आठ बार विधानसभा और सात बार संसद का प्रतिनिधित्व करने वाले धरतीपुत्र ‘नेताजी’ अब हमारे बीच नहीं रहे ! भारतीय इतिहास में दो व्यक्तियों को ‘नेताजी’ संबोधन का सम्मान मिला। यह सम्मान आज़ादी के पूर्व आज़ाद हिन्द फ़ौज के नायक सुभाष चंद्र बोस और आज़ादी के बाद धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव जी को प्राप्त हुआ।

मुलायम सिंह यादव {नेताजी}का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा ज़िला के सैफई गाँव के एक मध्यवर्गीय किसान परिवार में 22 नवंबर, 1939 को हुआ था। इन्होंने आगरा के बीआर कॉलेज में एम.ए. तक की पढ़ाई की। उसके बाद एक स्कूल में अध्यापक बन गए। राजनीतिक सफ़र की शुरुआत डॉ. राम मनोहर लोहिया और राज नारायण की छत्रछाया में समाजवादी युवजन सभा से हुई। पहली बार 1967 में संयुक्त समाजवादी दल से 28 साल की उम्र में चुनाव जीतकर विधानसभा पहुँचे। लोहिया के पंचतत्व में विलीन होने के बाद मुलायम सिंह जी भारतीय किसान राजनीति के पितामह चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व में अपनी राजनीति को आगे बढ़ाया। आपातकाल के दौरान मुलायम सिंह जी ने 19 माह की कठोर कारावास का उत्पीड़न भी झेला। दमन के उस दौर में जब बहुत सारे संघी विचारधारा के लोग माफ़ीनामा लिख रहे थे, तब भी माननीय नेताजी भारतीय लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई में कभी झुके नहीं।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में पुरोधा रहे समाजवादी पार्टी के संस्थापक एवं संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन से एक युग का अंत हो गया। कुश्ती में माहिर एक पहलवान ने राजनीति में भी अपने दांव-पेंच से विरोधियों को हमेशा चित किया।

1977 में उत्तर प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनी, जिसमें ‘नेताजी’ को पहली बार पशुपालन व सहकारिता मंत्री बनाया गया। 1980 में इन्हें लोकदल का उत्तर प्रदेश का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। 1982 में विपक्ष के नेता चुने गए। इसके बाद ‘नेताजी’ किसानों व पिछड़ों के मुद्दों को लेकर पूरे प्रदेश में ज़मीनी भ्रमण करते हुए सड़कों पर संघर्ष किया, जिसकी वजह से उन्हें ‘धरतीपुत्र’ कहा जाने लगा। चौधरी चरण सिंह जी की अनंत यात्रा पर जाने के बाद मुलायम सिंह जी पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी और कामरेड हरकिशन सिंह सुरजीत के मार्गदर्शन में अपनी राजनीति को आगे बढ़ाया।

राष्ट्रहित में यूपीए सरकार को न्यूक्लियर डील में समर्थन – साल 2008 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार अमरीका के साथ परमाणु करार को लेकर संकट में आ गई थी जब वामपंथी दलों ने समर्थन वापस ले लिया था। ऐसे वक्त पर मुलायम सिंह ने मनमोहन सरकार को बाहर से समर्थन देकर सरकार बचाई थी। जानकारों का कहना था कि उनका ये क़दम समाजवादी सोच से अलग था और व्यवहारिक उद्देश्यों से ज़्यादा प्रेरित था।

मुलायम सिंह यादव 05 दिसंबर, 1989 को पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। इन्होंने तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला। 1996 में देश के रक्षा मंत्री बने और इस पद को 1998 तक सुशोभित किया। नेताजी एक ज़मीनी व संघर्षशील नेता थे, जिन्होंने पिछड़े व वंचित समुदाय के लिए कुछ ऐसे फ़ैसले लिए जो मील का पत्थर साबित हुए। भारतीय लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की रक्षा हेतु अपने जीवन व राजनीतिक सत्ता को ख़तरे में डालने से वे ज़रा भी नहीं हिचके। वे एक सच्चे ज़मीनी व भारतीय स्वरूप के समाजवादी नेता थे।

नेताजी ने शहीद जवानों का पार्थिव शरीर घर पहुंचाने का दिया आदेश – मुलायम सिंह यादव देश के रक्षा मंत्री भी रहे थे।मुलायम सिंह यादव के रक्षामंत्री बनने से पहले सेना के लिए अलग नियम था। जब भी सेना का कोई जवान शहीद होता था, तो उसका पार्थिव शरीर उसके घर नहीं पहुंचाया जाता था। शरीर का अंतिम संस्कार सेना के जवान खुद करते थे और आखिर में जवान के घर उसकी एक टोपी भेज दी जाती थी। मुलायम सिंह यादव के रक्षा मंत्री बनने से पहले शहीद होने वाले जवानों की वर्दी उनके घर भेजी जाती थी, लेकिन मुलायम सिंह ने शहीदों के शव को सम्मानपूर्वक उनके घर भेजने और पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ उसकी अंत्येष्टि करवाना भी सुनिश्चित कराया। मुलायम सिंह ने रक्षामंत्री बनने के बाद सबसे पहले इसी को लेकर फैसला लिया। उन्होंने कानून बनाया कि जब भी कोई जवान शहीद होगा तो उसका पार्थिव शरीर पूरे सम्मान के साथ उसके घर ले जाया जाएगा। डीएम और एसएसपी शहीद जवान के पार्थिव शरीर के साथ उसके घर जाएंगे उनके रक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने जवानों और सेना के हित में कई ऐतिहासिक फैसले किए। अपने कार्यकाल के दौरान ही उन्होंने शहीदों के शव को सम्मानपूर्वक उनके घर भेजने और पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ उसकी अंत्येष्टि करवाना भी सुनिश्चित कराया।


मुलायम सिंह यादव पहले रक्षामंत्री थे, जो सियाचिन पहुंचे। मुलायम सिंह यादव देश के पहले रक्षा मंत्री थे जो सियाचिन ग्लेशियर पर गए थे। चीन को लेकर मुलायम हमेशा सख्त ही नजर आए। वह कहते थे भारत के लिए पाकिस्तान से बड़ा दुश्मन चीन है। हमें चीन के मुकाबले तैयार होने की जरूरत है।नेताजी ने रक्षा नीति के संदर्भ में इस बात को स्थापित करने का प्रयास किया कि भारत का प्रमुख शत्रु चीन है ना कि पाकिस्तान। पाकिस्तान को प्रमुख शत्रु बनाने का एजेंडा राजनीतिक है सामरिक नहीं।भारत के द्वितीय परमाणु बम परियोजना की नींव रखी, बाद में जिसका भारत ने सफल परीक्षण भी किया।भारतीय सेना में सुखोई लड़ाकू विमान को शामिल कराया।

मुलायम ने हमेशा भारत के लिए पाकिस्तान से बड़ा दुश्मन चीन को बताया। खुले मंच से वह चीन की खिलाफत करते रहे। उन्होंने कहा कि अगर भारत को आगे बढ़ना है तो उसे चीन के मुकाबले मजबूत होना पड़ेगा। पाकिस्तान असल में भारत का दुश्मन नहीं है। इसी नीति के तहत रक्षामंत्री रहते हुए उन्होंने काम भी किया। कहा जाता है कि मुलायम के रक्षामंत्री रहते हुए बॉर्डर पर भारतीय सेना ने चीन को चार किलोमीटर पीछे ढकेल दिया था।

मुलायम सिंह यादव ने लोहिया के विश्वास पर खरा उतर कर दिखाया और दिग्गज नेता हेमवती नंदन बहुगुणा के खास को अपने पहले ही चुनावी बिगुल में करारी शिकस्त दी। इसके कुछ समय बाद उन्होंने देश में किसानों की आवाज बन चुके पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के साथ मिलकर उनके पद कदमों पर चलना शुरू कर दिया। कम ही लोग जानते हैं कि नन्हें नेपोलियन का खिताब चौधरी चरण सिंह ने ही मुलायम से को दिया था।

पिछड़ों, महिलाओं के कल्याण को समर्पित रहे नेतीजी-

  • नौकरियों में पिछड़े वर्ग के लोगों को 27% आरक्षण दिया। मंडल कमीशन की रिपोर्ट उत्तर प्रदेश में लागू कराया।
  • अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व पिछड़े वर्ग व अन्य वर्ग की महिलाओं को स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण दिया।
  • कई राज्य विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज, राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज और पॉलिटेक्निक कॉलेज की स्थापना।
  • पहली बार पिछड़े व अन्य वर्गों के छात्रों को भी स्कॉलरशिप की व्यवस्था की।लड़कियों को शिक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए साइकिल व कन्या विद्या धन की व्यवस्था की।
  • सरकारी अस्पतालों में मुफ़्त दवा व इलाज की सुविधा शुरू कराई।
  • निषाद व मछुआरे समुदाय के लोगों को सरकारी तालाब का ठेका व पट्टा दिया, जिससे उन्हें तालाबों का मालिकाना हक़ मिला।
  • बुनकर समुदाय को सस्ती दर पर बिजली व हथकरघा मशीन ख़रीदने के लिए सस्ते दर पर ऋण उपलब्ध कराया।
  • सामाजिक व शैक्षणिक रूप से अति पिछड़ी 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रयास किया।
  • किसानों, खासकर गन्ना व आलू के किसानों के लिए चीनी मिलों व व्यापारिक मंडियों की व्यवस्था कराई। भू राजस्व कर व सिंचाई कर को माफ़ किया।
  • कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर चली आ रही एडेड कॉलेज के शिक्षकों को नियमित कर उसमें आरक्षण की व्यवस्था की।
  • दस्यु उन्मूलन के नाम पर होने वाले दलित, पिछड़ों के नरसंहार और उत्पीड़न का विरोध करते हुए राज्यव्यापी आंदोलन किए। और ‘नेताजी’ जब दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने 1994 में फूलन देवी के ऊपर लगे सारे आरोप को वापस लिया और समाजवादी पार्टी से टिकट देकर 1996 में तथा 1999 में मिर्जापुर सीट से लोक सभा पहुँचाया। ‘नेताजी’ ने इस निर्णय द्वारा सामंती मूल्यों को खुली चुनौती दिए।

संवैधानिक मूल्यों, लोकतंत्र व धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई –

  • आपातकाल में लोकतंत्र की रक्षा के लिए 19 माह के कठोर कारावास व उत्पीड़न झेला।
  • धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए ज़रूरत पड़ी तो सांप्रदायिक व उपद्रवी तत्वों को दंडित भी किया।
  • 1990 के दौर में भाजपा व आरएसएस के द्वारा भड़काई गई आग को रोकने के लिए मान्यवर कांशीराम जी से गठबंधन किया, जिस सांप्रदायिक आग के सहारे भाजपा सत्ता में आने के मंसूबे पाल रही थी उसे मुलायम सिंह जी व कांशीराम जी ने मिलकर असफल कर दिया।