CHRO पद को गौरवान्वित करते प्रीतपाल सिंह

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“एक Chief Human Resources Officer जिनके वजह से CHRO पद खुद को गौरवान्वित महसूस किया।”

धनंजय राय आर्यन

कुछ लोग ईश्वर की अनमोल कृति होते हैं। वो कहते हैं ना अंग्रेजी में “A Real Gentleman” जो भगवान शनिवार या रविवार के वीकेंड पर उनको फुर्सत में रिसर्च करके उनकी शारीरिक आकृति, मानसिक चेतना और आंतरिक संवेदना के उत्कृष्ट रूप को एक आकर देता है जो इस धरा पर जन्म लेने के तदोपरांत ऐसी कोई प्राणी न हो जिसके वो प्रिय न हो।

मैं ६ महीने से एक ऐसे ही नेक इंसान, उस शख़्स के आभा, उनके प्रकाश-पुंज और ओज़ से ओत-प्रोत हो रहा था। उनके व्यक्तित्व के प्रकाश के प्रतिविम्ब से स्वयं को ऊर्जांवित कर रहा था जिनका नाम है “प्रीतपाल सिंह कुलर” । प्रीतपाल सर केवल हमारे Indus Tower के CHRO ही नहीं बल्कि मार्गदर्शक भी है

एक ऊर्जावान शख़्स, बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व, शानदार वक्ता और एक ऐसा चमकता हीरा जिनके मध्य हम जैसे पल रहे कांच के टुकड़ों की कीमत सिर्फ उनके रिफ्लेक्शन से बढ़ जाती है।

मैं बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व अगर कहता हूं तो नैतिक जिम्मेदारी के साथ कहता हूं क्योंकि अनुमानन एक 6 फीट 2 इंच लंबा सरदार, जिसके सिर पर हमारे क्रांतिकारी वीर भगत सिंह के दस्तार को सदैव सुशोभित करता है! एक शख़्स जो HR विभाग के सबसे सर्वोच्च पद को गौरवान्वित करता है, एक शख़्स जो डॉग ट्रेनर हो और एक शख़्स जो राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी रह चुका हो उसे बहुमुखी प्रतिभा से धनी व्यक्तिव न कहे तो क्या कहें?

जैसे राम जब लंका पर युद्ध कर रहे थे तो उन्होंने राज्य के सेनापति और अक्षुणीय सेना के साथ मिलकर युद्ध नहीं लड़ा बल्कि छोटे- मोटे वानर सेना को अपने टीम में शामिल कर नेतृत्व किया और जंग में जीत हासिल की… ठीक वैसे ही प्रीतपाल सर ने किसी बड़े बिजनेस स्कूल से पास लोगों के साथ टीम नेतृत्व नहीं किया बल्कि भांति भांति छोटे बड़े सभी तरह के लोगों को अपने टीम में शामिल कर टीम का नेतृत्व किया जिसके लिए व्यक्तिगत रूप से मैं उनका फैन हो गया हूं। वो हर शख़्स की समस्या को सिर्फ सुनते ही नहीं उनका निवारण भी करते थे और हर व्यक्ति उनके पास जाकर अपने विचारों को रख सके ऐसा उन्होंने खुद के लिए ओपेन डोर पॉलिसी बना के रखी थी।

प्रीतपाल सर सम्माननीय इसलिए भी थे क्योंकि कहीं न कहीं वो राम के मूल्यों का अनुसरण करते होंगे ऐसा मुझे लगता है । जिस तरह राम ने निम्न वर्ग के केवट को गले लगाकर चलते है, निषादराज को अपने राज्याभिषेक में बिना किसी ऊंच नीच पद प्रतिष्ठा की परवाह किए बिना निमंत्रण करते है उसी सिद्धांतों का पालन भी सर ने अपने से छोटे और निम्न वर्ग के कर्मचारियों के साथ सुदृढ़ व्यवहार करते हैं। सबको गले लगाकर, प्यार से मनोबल को ऊंचा रखे हैं।

किसी बड़े पद पर पहुंच कर छोटों का सम्मान कैसे करे? यह तमाम बिजनेस लीडर को उनसे सीखने की आवश्यकता हैं जो किसी ऊंचे पद पर पहुंच कर अपने से नीचे पद पर विराजमान शख़्स को निमित्त तुच्छ कर्मचारी या प्राणी समझना आरंभ कर देते हैं। मैं इतना कहूंगा कि आपसे मुझे खुद बहुत कुछ सीखना हैं, निरंतर सीखते रहेंगे और उम्मीद है कि आप मार्गदर्शन,स्नेह और आशीष हमें प्राप्त होता रहे ।