अयोध्या में सपा प्रत्याशी के खिलाफ जनाक्रोश

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अयोध्या में सपा प्रत्याशी के खिलाफ जनाक्रोश
अयोध्या में सपा प्रत्याशी के खिलाफ जनाक्रोश
राजू यादव

समाजवादी पार्टी द्वारा सामान्य सीट पर भी आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार उतारने पर अयोध्या के यादवों और पिछड़ों में भारी जनाक्रोश। लखनऊ, इलाहाबाद, अयोध्या, देवीपाटन, बस्ती, तथा गोरखपुर मण्डल के 26 जिलों के यादवों का सपा से लोकसभा से रास्ता बन्द, भाजपा उठा सकती है फायदा। अयोध्या में सपा प्रत्याशी के खिलाफ जनाक्रोश

अयोध्या। अयोध्या में अवधेश नंदन प्रभु श्री राम के भव्य मंदिर का निर्माण हो चुका है। इस भव्य मंदिर में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अवधेश नंदन प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है। जिसमें आज देश से लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं। श्रीराम दर्शन को अभी तक न तो सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव गए न हीं उनके घोषित प्रत्याशी अवधेश प्रसाद गए हैं। उसे नजर अंदाज कर सपा सुप्रीमो द्वारा प्रभु श्री राम नगरी से अवधेश प्रसाद को प्रत्याशी बनाया जाना कितना उचित होगा यह वक्त तय करेगा। लेकिन अयोध्या के कुछ राजनीतिक पहलू पर हम चर्चा जरुर कर रहे हैं।

विश्वविख्याती भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या जनपद से आजादी के बाद लम्बे समय तक अयोध्या सीट पर पिछड़े वर्ग का दबदबा रहा है। ऐसे में अयोध्या जनपद से सामंतवादी विचारधारा को अयोध्या जनपद से उखाड़ फेंकने वाले लोकसभा क्षेत्र 54 से 3 बार सांसद व 5 बार विधायक रहे स्वर्गीय मित्रसेन यादव बाबूजी के सुपुत्र जाने माने राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखने वाले पूर्व राज्यमंत्री पूर्व विधायक आनंदसेन यादव,अयोध्या जनपद में यादवों और पिछड़े वर्ग के सबसे बड़े लोकप्रिय नेता माने जाते हैं। आपको हम बता दें कि इस बार हुए जिलापंचायत चुनाव में अपनी कुशल रणनीतियों से बीकापुर में 60 % जिलापंचायत के प्रत्यासियों को भारी जीत दिलाई। इस शानदार जीत को देखते हुए सपा के विजय प्राप्त हुए प्रत्यासियों ने जिलापंचात अध्यक्ष पद के लिए पूर्व राज्यमंत्री आनन्द सेन की पत्नी जिलापंचायत इन्दु सेन यादव को जिलापंचायत अध्यक्ष का प्रत्यासी बनाए जाने की मांग की। तो लोगो की लोकप्रियता को देखते हुए इन्दु सेन यादव को जिलापंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ाया गया। लेकिन सपा समर्थको के अनुसार बताया गया कि समाजवादी पार्टी में मौजूद सामंतवादी विचारधारा के नेताओं ने अन्दर से विरोध कर दिया। जिसके कारण बहुत कम ही अन्तर से इन्दु सेन को जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव हार जाना पड़ा।

2022 के विधानसभा चुनाव में आनंदसेन को अगर बीकापुर से टिकट दिया जाता तो उनकी जीत पक्की थी। क्योंकि उन्होंने अपनी तैयारी वहीं से की थी। लेकिन कुछ साजिशों के तहत उनका टिकट वहां से बदलकर रुदौली कर दिया गया। जिसका परिणाम यह हुआ की सामंतवादी अपनी राजनीतिक लालसा और बाबू जी के परिवार का विरोध कर फतह हासिल की और आनंद सेन को हार का सामना करना पड़ा। आनन्द सेन यादव के पिता बाबूजी मित्रसेन यादव ऐसे लोकप्रिय नेता रहे हैं जो राम लहर में भी उन्होंने फैजाबाद लोकसभा सीट से अपना परचम लहराया था। आज वर्तमान समय में जो रुदौली विधानसभा से विधायक हैं उनके गुरु भी बाबू जी मित्रसेन यादव रहे हैं। अगर अयोध्या में जनता की राय मानी जाए तो सपा द्वारा घोषित लोकसभा प्रत्याशी चुनाव में प्रथम स्थान पर तो नहीं रहेंगे।समाजवादी पार्टी द्वारा घोषित अयोध्या लोकसभा प्रत्याशी आज बाबूजी की तैयार विधानसभा मिल्कीपुर से ही विधायक हैं। जो मित्रसेन यादव का गढ़ माना जाता रहा है।सामंतवादी की साजिस में फसती जा रही अयोध्या लोकसभा। भविष्य में इसके क्या परिणाम होते हैं इसे हम भविष्य पर ही छोड़ते हैं।

वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव को लेकर सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने अयोध्या जनपद के सभी पांचों विधानसभाओ से प्रत्यासियों की आवेदन सूची मांगी। जिसमे से सबसे ज्यादा 17 प्रत्यासियों ने रुदौली से आवेदन किया। ऐसे में रुदौली की जनता की ओर से रुदौली विधान सभा से आनंद सेन यादव को प्रत्यासी बनाए जाने की सबसे ज्यादा मांग की। आपको हम बता दे कि रुदौली विधानसभा यादव बाहुल्य होने के कारण और अपना राजनीतिक समीकरण साधते हुए रुदौली की जनता की लोकप्रियता को देखते हुए अखिलेश यादव ने रुदौली विधानसभा से पूर्व विधायक/पूर्व राज्यमंत्री अब्बास अली जैदी रुश्दी मिया की लगातार 2012 और 2017 में लगातार 2 बार हार देखकर उनका टिकट काटकर आनन्द सेन यादव को बीकापुर से लाकर रुदौली से विधानसभा का चुनाव लड़ाया। ऐसे में सपा से पूर्व विधायक अब्बास अली जैदी ने बगावत का बिगुल फूंकते हुए बसपा से पूरी दमदारी से चुनाव लड़ गए। ऐसे में मुस्लिम वोटर अधिकांश बसपा में चला गया। जिसके कारण आनंद सेन यादव को भाजपा को कांटे की टक्कर देते हुए हार का सामना करना पड़ा।

अखिलेश यादव ने अवधेश प्रसाद को उम्मीदवार बनाकर बड़ा दांव खेला है। अवधेश प्रसाद उसके पिछड़ा, दलित व अल्पसंख्यक (पीडीए) फार्मूले का वह चेहरा हैं, जिनके माध्यम से भाजपा को उसकी हिंदुत्व की प्रयोगशाला में चुनौती दी गई है। पीडीए का यह समीकरण पाटी के लिए हिंदुत्व की प्रयोगशाला में कितना कारगर होगा, यह तो चुनाव परिणाम से तय होगा। फिलहाल उसने अनुसूचित जाति में सम्मिलित पासी बिरादरी के अवधेश प्रसाद की उम्मीदवारी से भाजपा को उसके गढ़ में घेरने की कोशिश की है। अवधेश की उम्मीदवारी के साथ पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती सेन परिवार को मनाने की होगी। स्वर्गीय मित्रसेन यादव इस सीट से तीन बार अलग-अलग दलों से सांसद चुने जा चुके थे। उनके निधन के बाद पार्टी ने पुत्र आनंदसेन यादव को पिछले चुनाव में उम्मीदवार बनाया था।अयोध्या में सपा प्रत्याशी के खिलाफ जनाक्रोश

तो वही सपा समर्थको की माने तो आनंद सेन यादव के रुदौली आ जाने से पार्टी को काफी मजबूती मिली है। कुछ सामंतवादी सपा समर्थकों की वजह से ही आनंद सिंह यादव को पराजय का सामना करना पड़ा था। पूर्व राज्यमंत्री आनंद सेन यादव की अध्यक्षता में रुदौली नगर पालिका और कामाख्या भवानी नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ा गया। जिसमे रुदौली में सपा से जब्बार अली को भारी जीत मिली और मां कामाख्या नगरपालिका से अनित शुक्ला भाजपा को कड़ी टक्कर देते हुए मात्र 217 वोटो से चुनाव हार गए। पूर्व राज्यमंत्री आनंद सेन यादव का इतना गहरा राजनीतिक इतिहास रहने के कारण लोकसभा क्षेत्र 54 से आनन्द सेन का टिकेट कटने के कारण सपा समर्थको में भारी जनाक्रोश देखने को मिल रहा है। राजनीतिक पंडितों की माने तो सपा इस बार भारी अन्तर से सिमट सकती है। इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा यादव प्रत्यासी को अपना चेहरा बनाकर यादव वोटबैंक साध सकती है। अयोध्या में सपा प्रत्याशी के खिलाफ जनाक्रोश