धर्म एक विस्तृत व्यवस्था और व्यापक अवधारणा

89
धर्म एक विस्तृत व्यवस्था और व्यापक अवधारणा
धर्म एक विस्तृत व्यवस्था और व्यापक अवधारणा

मुख्यमंत्री ने बेनेट विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित किया। मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को डिग्रियां एवं मेडल देकर सम्मानित किया। सफलता का मार्ग परिश्रम और पुरुषार्थ से प्राप्त होगा। लक्ष्य निश्चित हो और उस तक पहुंचने का सही मार्ग पता हो, तो लक्ष्य अवश्य प्राप्त होता है, राह दिखाने का कार्य शिक्षण संस्थानों को करना। प्रधानमंत्री ने देशवासियों से पंचप्रण अपनाने आह्वान किया। अगले 25 वर्षों का लक्ष्य तय कर भारत को विकसित भारत बनाने की दिशा में प्रयास करना होगा। विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह प्राचीन भारत के विश्वविद्यालयों और गुरुकुलों के समावर्तन समारोह का ही परिवर्तित रूप। प्राचीन भारत में नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला, काशी, कांची, अवंतिकापुरी और नवलद्वीप जैसे अनेक प्राचीन विश्वविद्यालय शिक्षा के केंद्र रहे। धर्म एक विस्तृत व्यवस्था और व्यापक अवधारणा। विश्वविद्यालय का कार्य केवल डिग्री बांटना नहीं, बल्कि समाज के प्रति उत्तरदायित्व को पूरा करना होना चाहिए। देश के विश्वविद्यालयों और संस्थानों में नवाचारों, अनुसंधानों आदि पर फोकस किया जाने की आवश्यकता। बेनेट यूनिवर्सिटी ने अपनी 07 वर्षों की यात्रा के दौरान बड़ा मुकाम हासिल किया।

लखनऊ। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सफलता का मार्ग परिश्रम और पुरुषार्थ से प्राप्त होगा। लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कभी भी शॉर्टकट का रास्ता नहीं अपनाना चाहिए। लक्ष्य निश्चित हो और उस तक पहुंचने का सही मार्ग पता हो, तो लक्ष्य अवश्य प्राप्त होता है। राह दिखाने का कार्य शिक्षण संस्थानों को करना है।
मुख्यमंत्री आज ग्रेटर नोएडा, जनपद गौतमबुद्धनगर में बेनेट विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को डिग्रियां एवं मेडल देकर सम्मानित किया। इसके पूर्व, उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में पौधरोपण किया। समारोह में विश्वविद्यालय के एक छात्र ने मुख्यमंत्री को श्रीराम दरबार का चित्र भेंट किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यक्ति जीवन के चाहे जिस क्षेत्र में कार्य कर रहा हो, उसे अपने कर्तव्यों का पालन सतत रूप से करते रहना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों से पंचप्रण अपनाने आह्वान किया है। वर्ष 2047 तक भारत को दुनिया की एक प्रमुख ताकत के रूप में स्थापित करना, स्वयं को गुलामी की मानसिकता से दूर रखना, विरासत पर गौरव की अनुभूति करना, एकता और एकीकरण बनाए रखना और नागरिक कर्तव्यों का पालन करना इन पंचप्रण में सम्मिलित है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव ने देशवासियों को विगत 75 वर्षों में क्या खोया है और क्या पाया है, के आत्मावलोकन का अवसर प्रदान किया। अतीत में हुई गलतियों का परिमार्जन कर विकास की ओर अग्रसर होना है। अगले 25 वर्षों का लक्ष्य तय कर भारत को विकसित भारत बनाने की दिशा में प्रयास करना है। जब 142 करोड़ आबादी वाला भारत एक साथ आगे बढ़ेगा तथा जब नागरिक ’हर काम देश के नाम’ भाव के साथ कार्य करना प्रारम्भ करेगा, तो प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप वर्ष 2047 तक भारत दुनिया की सबसे बड़ी ताकत के रूप में स्थापित हो जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह प्राचीन भारत के विश्वविद्यालयों और गुरुकुलों के समावर्तन समारोह का ही परिवर्तित रूप है। उस समय के समावर्तन समारोह का मूल उद्देश्य तैत्तिरीय उपनिषद में वर्णित है। वेदमनूच्याचार्योऽन्तेवासिनमनुशास्ति। सत्यं वद। धर्मं चर। स्वाध्यायान्मा प्रमदः। आचार्याय प्रियं धनमाहृत्य प्रजानन्तुं मा व्यवच्छेसीः। सत्यान्न प्रमदितव्यम्। धर्मान्न प्रमदितव्यम्। कुशलान्न प्रमदितव्यम्। भूत्यै न प्रमदितव्यम्। स्वाध्यायप्रवचनाभ्यां न प्रमदितव्यम्।। देवपितृकार्याभ्यां न प्रमदितव्यम्। मातृदेवो भव। पितृदेवो भव। आचार्यदेवो भव। धर्म एक विस्तृत व्यवस्था और व्यापक अवधारणा

अतिथिदेवो भव। यान्यनवद्यानि कर्माणि। तानि सेवितव्यानि। नो इतराणि। यान्यस्माकं सुचरितानि। तानि त्वयोपास्यानि। अर्थात सत्य बोलो। धर्मसम्मत कर्म करो। स्वाध्याय के प्रति प्रमाद मत करो। सत्य से न हटना। धर्म से विमुख नहीं होना चाहिए। कुशल कार्यों की अवहेलना न की जाए। ऐश्वर्य प्रदान करने वाले मंगल कर्मों से विरत नहीं होना चाहिए। स्वाध्याय तथा प्रवचन कार्य की अवहेलना न हो। देवकार्य तथा पितृकार्य से आलस्य नहीं किया जाना चाहिए। माता, पिता, आचार्य और अतिथि को देव तुल्य मानने वाला बनें। अर्थात् इन सभी के प्रति देवता के समान श्रद्धा, सम्मान और सेवाभाव का आचरण करें। जो अनिन्द्य कर्म हैं उन्हीं का सेवन किया जाना चाहिए। भारत की ऋषि परंपरा द्वारा प्रत्येक स्नातक से इसी प्रकार के आचरण की अपेक्षा की जाती थी।  

मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी प्रकार के सदाचरण वाले विद्यार्थियों से युक्त भारत प्राचीन काल से ही विश्व गुरु रहा है। प्राचीन भारत में नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला, उत्तर भारत में काशी, दक्षिण भारत में कांची, मध्य भारत में अवंतिकापुरी और पूर्वी भारत में नवलद्वीप जैसे अनेक प्राचीन विश्वविद्यालय शिक्षा के केंद्र रहे हैं। शिक्षा के यह संस्थान न केवल देश-विदेश के विद्यार्थियों को ज्ञान प्रदान करते थे, बल्कि नवाचार, अनुसंधान और विकास के सर्वोत्तम केंद्र भी थे। धर्म एक विस्तृत व्यवस्था और व्यापक अवधारणा

धर्म एक विस्तृत व्यवस्था और व्यापक अवधारणा है। उपासना विधि को धर्म नहीं माना जा सकता। उपासना पद्धति व्यक्तिगत आस्था, पंथ और संप्रदाय का विषय है। धर्म कर्तव्यों, नैतिक मूल्यों और सदाचार के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। धर्म की व्यापक अवधारणा पर व्यक्ति और समाज का जीवन टिका हुआ है। धर्म हमें कर्तव्यों के प्रति आग्रही बनता है। धर्म के अनुसार आचरण करना आज भी उतना प्रासंगिक है, जितना प्राचीन काल में था। जब भी भारत के युवाओं ने इस मार्ग का अनुसरण किया तो देश को बड़ी ताकत बनने में देर नहीं लगी।

बेनेट यूनिवर्सिटी ने अपनी 07 वर्षों की यात्रा के दौरान बड़ा मुकाम हासिल किया है। बेनेट यूनिवर्सिटी के अधीन छः स्कूल, मीडिया, मैनेजमेंट, तकनीक, आॅल्टरनेटिव साइंस जैसे अलग-अलग कार्यक्रमों के साथ जुड़े हुए हैं। किसी भी विश्वविद्यालय का कार्य केवल डिग्री बांटना नहीं होना चाहिए, बल्कि समाज के प्रति उत्तरदायित्व को भी पूरा करना चाहिए। यदि भारत को एक विकसित भारत के रूप में स्थापित करना है, तो संस्थान को उद्योग के साथ जोड़ना पड़ेगा। बेनेट यूनिवर्सिटी ने पहले से ही इस पर कार्य शुरू कर दिया है। बेनेट यूनिवर्सिटी के एडवाइजरी बोर्ड से 30 से अधिक उद्योगों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जुड़े हैं। यह नवाचार, अनुसंधान तथा विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाने के लिए समय-समय पर सुझाव देते रहते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में नवाचारों, अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करने हेतु राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू हुई।

देश में निजी क्षेत्र ने वल्र्ड क्लास यूनिवर्सिटी बनाने के लिए प्रतिस्पर्धा प्रारंभ की है। जब यह संस्थान एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को आगे बढ़ाएंगे तो भारत शिक्षा, नवाचार, अनुसंधान, विकास, तकनीक के क्षेत्र में फिर से विश्वगुरु के रूप में स्थापित हो जाएगा। भारतीय प्रतिभा ऊर्जा से भरपूर है। दुनिया में सर्वाधिक युवा देश में और देश के सर्वाधिक युवा उत्तर प्रदेश में हैं। युवा शक्ति का प्रयोग प्रधानमंत्री के विजन, एक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में किया जा सकता है।

देश के विश्वविद्यालयों और संस्थानों में नवाचारों, अनुसंधानों आदि पर फोकस किए जाने की आवश्यकता है। आने वाले समय में देश के विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय और संस्थान, अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में बुलंदियां हासिल करेंगे, इसमें कोई शंका नहीं है। टाइम्स ग्रुप इस संस्थान के साथ जुड़ा हुआ है। टाइम्स ग्रुप को प्रत्येक क्षेत्र से जुड़ा हुआ अनुभव है। इन्होंने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र से जुड़ी घटना का नजदीकी से अवलोकन किया है। यह देश और समाज के लिए सुझाव प्रदान करते हैं। इस प्रकार के संस्थान शिक्षा के क्षेत्र में आगे आते हैं, तो वह दूसरों के लिए उदाहरण बनेंगे।

पूर्वी उत्तर प्रदेश में वर्ष 1977 में इंसेफेलाइटिस की शुरुआत हुई थी। वर्ष 1977 से वर्ष 2017 तक इस बीमारी से 50 हजार बच्चों की मौत हुई। अंतर्विभागीय समन्वय द्वारा इस बीमारी को पूरी तरह नियंत्रित कर लिया गया है। कोरोना कालखण्ड में प्रधानमंत्री के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में कार्य किया गया व राज्यों से संवाद स्थापित किया गया। उन्होंने देश के जनमानस के एकीकरण में जिस रूप में नेतृत्व प्रदान किया, वह अत्यंत अद्भुत था। लोगों के लिए निःशुल्क राशन, भरण-पोषण भत्ता, ट्रेस, टेस्ट व निःशुल्क उपचार आदि की व्यवस्था की गई। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश में कोरोना की दो सर्वश्रेष्ठ वैक्सीन तैयार की गईं।
इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री श्री योगेन्द्र उपाध्याय, लोक निर्माण राज्य मंत्री श्री बृजेश सिंह, कुलाधिपति, बेनेट विश्वविद्यालय श्री विनीत जैन, कुलपति प्रो0 अजीत अब्राहम सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।