पंडितों के खिलाफ संघ प्रमुख मोहन भागवत

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पंडितों के खिलाफ संघ प्रमुख मोहन भागवत

मोहन भागवत को एक व्यावहारिक नेता के रूप में देखा जाता है। उन्होंने हिन्दुत्व के विचार को आधुनिकता के साथ आगे ले जाने की बात कही है।[3] उन्होंने बदलते समय के साथ चलने पर बल दिया है। लेकिन इसके साथ ही संगठन का आधार समृद्ध और प्राचीन भारतीय मूल्यों में दृढ़ बनाए रखा है।[4] वे कहते हैं कि इस प्रचलित धारणा के विपरीत कि संघ पुराने विचारों और मान्यताओं से चिपका रहता है, इसने आधुनिकीकरण को स्वीकार किया है और इसके साथ ही यह देश के लोगों को सही दिशा भी दे रहा है।

संघ प्रमुख मोहन भागवत के हाल में दिए एक भाषण में कथित रूप से पंडितों को ब्राह्मणों को बदनाम करने के मामले में बिहार की एक अदालत में शिकायत दर्ज की गई। वकील सुधीर कुमार ओझा ने मुजफ्फरपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष याचिका दायर की थी।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का संत रविदास जयंती समारोह के दौरान मुंबई में दिया गया बयान विवादों के घेरे में आ गया है। मंगलवार को अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने इस बयान को लेकर मुजफ्फरपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में मुकदमा दायर कराया है। परिवादी अधिवक्ता ओझा ने Jबताया कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का यह बयान उन्होंने अखबार में पढ़ा।मोहन भागवत का यह बयान ब्राह्मणों को नीचा दिखाने वाला और उनके लिए अपमानजनक है। मोहन भागवत के इस बयान से उन्हें ठेस पहुंची है। ब्राह्मणों के प्रति ऐसा बयान देकर मोहन भागवत ने ब्राह्मणों को अपमानित किया है। उन्होंने बताया कि भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं के तहत माननीय न्यायालय ने मामले को स्वीकार कर 20 फरवरी को अगली सुनवाई की तिथि मुकर्रर की है

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रामचरित मानस की एक चौपाई को लेकर छिड़ा विवाद अभी थमा भी नहीं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान से जातिवाद का मुद्दा और गर्मा गया। संघ प्रमुख ने मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि ईश्वर ने हमें एक समान बनाया, जाति में नहीं बांटा, जाति पंडितों ने बनाई। विवाद बढ़ा, तो आरएसएस नेता सुनील आंबेकर ने सफाई दी कि पंडितों से भागवत का मतलब कुछ विद्वानों से था, जो शास्त्रों के आधार पर जो बताते हैं वो झूठ है। तो क्या है, मोहन भागवत के इस बयान के मायने और आरएसएस को इस पर सफाई क्यों देनी पड़ी।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक संघ प्रमुख ने जातियां बनाने के लिए ‘पंडितों’ को जिम्मेदार बताया था। सभी प्रकार की हस्तियों के खिलाफ अपनी याचिकाओं से सुर्खियों में रहने वाले ओझा ने भागवत के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और सार्वजनिक शांति भंग करने की धाराओं में मामला दर्ज कराया। अदालत इस मामले में 20 फरवरी को सुनवाई करेगी।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के खिलाफ केस दर्ज कराने की तहरीर मंगलवार को कोतवाली थाने में दी गई है। अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद की वाराणसी इकाई के पदाधिकारियों का कहना है कि ब्राह्मण समाज अपमानित महसूस कर रहा है। दूसरी तरफ, केंद्रीय ब्राह्मण महासभा युवा मंच के पदाधिकारियों ने बैठक करके भागवत के बयान की निंदा की। अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद युवा प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष हिमांशु मिश्रा ने तहरीर दी। साथ ही संघ प्रमुख पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। इसी तरह केंद्रीय ब्राह्मण महासभा युवा मंच ने सुंदरपुर स्थित बजरंग भवन में बैठक की।

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