सबके साथ जीने का संस्कार भारत की विशेषता-अमित शाह

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सबके साथ जीने का संस्कार भारत की विशेषता-अमित शाह
सबके साथ जीने का संस्कार भारत की विशेषता-अमित शाह

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद यहां शांति है, विकास के नए आयाम गढ़े जा रहे हैं, उच्च शिक्षा के संस्थान बन रहे हैं, इंडस्ट्री लग रही है, पंचायतीराज स्थापित हुआ है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने श्रीनगर में संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित वितस्ता महोत्सव को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। झेलम मानव सभ्यता की श्रेष्ठ साक्षी रही है और यहाँ आयोजित ये वितस्ता महोत्सव पूरे विश्व को कश्मीर का दर्शन कराने वाला एक महोत्सव है। यही वितस्ता है जो हज़ारों सालों से कश्मीर में अनेक अनुसंधानों की साक्षी रही है, इस झेलम ने कठिन समय देखे हैं, रक्त देखा है, धर्मान्ध लोगों के हमले देखे हैं, सत्ता परिवर्तन देखे हैं और आतकवाद की भीषण विभीषिका की साक्षी भी रही है। मोदी ने एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत काशी तेलुगु संगमम, तमिल सौराष्ट्र संगमम, कशी तमिल और वितस्ता महोत्सव जैसे अनेक कार्यक्रमों से देश की सभी संस्कृतियों को एक दूसरे के साथ आगे बढ़ने का विजन दिया है। सबके साथ जीने का संस्कार भारत की विशेषता-अमित शाह

दिल्ली। श्रीनगर में संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित वितस्ता महोत्सव को मुख्य अतिथि के रूप में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने संबोधित किया। इस अवसर पर जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, केन्द्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी, केन्द्रीय गृह सचिव और सचिव, संस्कृति मंत्रालय सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।  अमित शाह ने कहा कि यही वितस्ता है जो हज़ारों सालों से कश्मीर में अनेक अनुसंधानों की साक्षी रही है और इसे अनेक संस्कृतियों का मिलनस्थल बनने का सौभाग्य भी प्राप्त है। इसी झेलम ने आदिशंकर को भी देखा है। उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र के विद्वानों ने इसी भूमि से निकलकर ना केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में अपनी कलाओं का लोहा मनवाया है और इन सबका समन्वय आज की कश्मीर की संस्कृति मे देखने को मिंलता है। सबके साथ जीने का संस्कार भारत की विशेषता-अमित शाह

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केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस झेलम ने कठिन समय देखे हैं, वितस्ता की धारा ने रक्त भी देखा है, धर्मान्ध लोगों के हमले देखे हैं, अनेक राज परिवर्तन देखे हैं और यही झेलम आतकवाद की भीषण विभीषिका की साक्षी भी रही है। उन्होंने कहा कि इन सबको अपने में समाहित करके हमेशा बच्चो को स्नेह, प्यार और उत्साह देने का काम वितस्ता ने किया है। श्री शाह ने कहा कि जो लोग झेलम को नदी मानते हैं, उन्हें मानव संस्कृति और उसकी ऊंचाई की पहचान नहीं है। उन्होंने कहा कि झेलम मानव सभ्यता की श्रेष्ठ साक्षी रही है और यहाँ आयोजित ये वितस्ता महोत्सव पूरे विश्व को कश्मीर का दर्शन कराने वाला एक महोत्सव है। वितस्ता महोत्सव का उद्देश्य पूरे देश को कश्मीर की महान सांस्कृतिक विरासत, विविधता और विशिष्टता से परिचित कराना है। यह महोत्सव वितस्ता (झेलम) नदी से जुड़ी लोक मान्यताओं पर केंद्रित है, जिसे वैदिक काल से ही बहुत पवित्र माना जाता है। इस नदी का उल्लेख नीलमत पुराण, वितस्ता महामाया, हरचरिता चिंतामणि, राजतरंगिणी जैसे कई प्राचीन ग्रंथों में मिलता है और ऐसा माना जाता है कि इस पूजनीय नदी की निर्मल धाराएं, मानव स्वभाव के सभी अपकृत्यों का नाश कर देती हैं।

देश को एक करना है तो कला, संस्कृति और देश का इतिहास ही कर सकता है, वितस्ता महोत्सव इसका एक अनूठा आयोजन है। कोई संस्कृति एक साल में, एक कला और विधा से नहीं बनती, संस्कृति मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं के समन्वय से बनती है जहां संस्कृति की धारा अविरल बहती हो, ऐसे बहुत कम देशों में से एक हमारा देश है और हर देशवासी को इस पर गर्व होना चाहिए। सबके साथ जीने का हम सबका संस्कार ही भारत की विशेषता है और ये वितस्ता महोत्सव कश्मीर की इस विशेषता को पूरे भारत और विश्व में पहुंचाने वाला राजदूत है। जिन लोगों ने कश्मीर का सिर्फ पिछले 30-40 सालों का इतिहास देखा है, उन्हें ये विवादित और अशांत क्षेत्र लगता है, ऐसे कई विवादों को अपने अंदर समाहित कर अमर लौ की तरह आगे बढ़ना कश्मीर का स्वभाव है।

अमित शाह ने कहा कि आदिशंकर ने जिस भूमि को ज्ञान की भूमि कहा, मुगल शासकों ने पृथ्वी का स्वर्ग कहा और सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के विचार मंथन को आगे बढ़ाने वाली उचित भूमि कहा, वो यही कश्मीर है। उन्होंने कहा कि संस्कृति एक साल में या एक कला और विधा से नहीं बनती, संस्कृति मानव जीवन के अनेक प्रकार के पहलुओं के समन्वय से बनती और जहां संस्कृति की धारा अविरल बहती हो, ऐसे बहुत कम देशों में से एक हमारा भारत है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए। देश के हर हिस्से में इतनी पुरातन संस्कृति कि अविरल धारा बनकर भारतीय संस्कृति की गंगा बनती है। उन्होंने कहा कि एक ज़माने में हम पर शासन करने वाले अंग्रेज़ों को हमारी विविधता हमारी दुर्बलता लगती थी, लेकिन जब शासक रचनात्मक दृष्टिकोण से देखता है तो विविधता में एकता हमारी विशेषता और सबसे बड़ी शक्ति है। उन्होंने कहा कि सबके साथ जीने का हम सबका संस्कार ही भारत की विशेषता है और ये वितस्ता महोत्सव कश्मीर की इस विशेषता को पूरे भारत और विश्व में पहुंचाने वाला राजदूत है। उन्होंने कहा कि वितस्ता महोत्सव के माध्यम से ही कश्मीर सबको समाहित करने वाली और एक बहुत बड़े मन वाली विचारधारा और संस्कृति  है। यहीं संगीत और ज्ञान ने ऊंचाइयों को छुआ इसीलिए आदिशंकर ने इसे शारदा क्षेत्र कहा औऱ यहां शारदा पीठ की स्थापना की।

सबके साथ जीने का संस्कार भारत की विशेषता-अमित शाह

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने कश्मीर का सिर्फ पिछले 30-40 सालों का इतिहास देखा है, उन्हें ये विवादित और अशांत क्षेत्र लगता है। ऐसे कई विवादों को अपने अंदर समाहित कर अमर लौ की तरह आगे बढ़ना कश्मीर का स्वभाव है। उन्होंने कहा कि जिस कश्मीर में कुछ साल पहले 40 हज़ार से अधिक लोग आतंकवाद की बलि चढ़ गए, वही कश्मीर आज वितस्ता महोत्सव के माध्यम से कलाओं का समन्वय कर आगे बढ़ रहा है। श्री शाह ने घाटी के युवाओं से कहा कि आपके हाथों में पत्थर औऱ हथियार नहीं बल्कि लैपटॉप, पुस्तकें और कलम होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी के प्रति घृणा करना कश्मीर का इतिहास नहीं रहा है, कश्मीर ने हर आने वाले को स्वीकार किया है। एक खेलती, कूदती, बहती वितस्ता की तरह हमेशा कश्मीर की संस्कृति आगे बढ़ती गई और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।



जिस कश्मीर में कुछ साल पहले 40 हज़ार से अधिक लोग आतंकवाद की बलि चढ़ गए, वही कश्मीर आज वितस्ता महोत्सव के माध्यम से कलाओं का समन्वय कर आगे बढ़ रहा है। किसी के प्रति घृणा करना कश्मीर का इतिहास नहीं रहा है, कश्मीर ने सबको स्वीकार किया है, एक खेलती, कूदती, बहती वितस्ता की तरह हमेशा कश्मीर की संस्कृति आगे बढ़ती गई और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। जब तक हमारी संस्कृति और कला को देश को जोड़ने के काम में हम नहीं लगाएंगे, तब तक हमारी इस अभूतपूर्व शक्ति को देश के उपयोग में नहीं लगा सकेंगे।

सबके साथ जीने का संस्कार भारत की विशेषता-अमित शाह

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद यहां शांति है, यहां विकास के नए आयाम गढ़े जा रहे हैं, यहां उच्च शिक्षा के संस्थान बन रहे हैं, इंडस्ट्री लग रही है, यहां पंचायतीराज को स्थापित कर दिया गया है, यहां अनेक प्रकार के एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स को बिना किसी विरोध के जमीन पर उतारने का काम हो गया है और अब कश्मीर को आगे देखना है। ऐसे में इस वितस्ता महोत्सव का बहुत बड़ा महत्व है। उन्होंने कहा कि मोदी ने एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत काशी तेलुगु संगमम, तमिल सौराष्ट्र संगमम, कशी तमिल और वितस्ता महोत्सव जैसे अनेक कार्यक्रमों से देश की सभी संस्कृतियों को एक दूसरे के साथ आगे बढ़ने का विजन दिया है। उन्होंने कहा कि यही प्रक्रिया हमें जोड़ेगी, मजबूत बनाएगी और पूरे विश्व में हमारे स्थान पर हमें फिर से एक बार बिठाएगी।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज कश्मीर में शुरू हो रहे वितस्ता महोत्सव में कश्मीर के लगभग 1900 कलाकार और देशभर के लगभग डेढ़ सौ कलाकार यहां अपनी अपनी कलाओं का प्रदर्शन भी करेंगे और एक्सचेंज भी करेंगे। उन्होंने कहा कि देश को एक करना है तो कला, संस्कृति और देश का इतिहास ही कर सकता है, वितस्ता महोत्सव इसका एक अनूठा आयोजन है जहां देशभर के व्यंजन भी होंगे और देशभर से आए हुए कलाकार कश्मीरी व्यंजनों का भी लुत्फ उठाएंगे। श्री शाह ने कहा कि जब तक हमारी संस्कृति औऱ कला को देश को जोड़ने के काम में हम नहीं लगाएंगे, तब तक हमारी इस अभूतपूर्व शक्ति को देश के उपयोग में नहीं लगा सकेंगे। उन्होंने कहा कि हमारी अलग संस्कृतियां, भाषाएं, वेशभूषाएं और खानपान होते हुए भी हम सब भारतीय हैं, यह हमारी बहुत बड़ी ताकत है। उन्होंने कहा कि दुनिया के किसी भी देश में इतनी विविधता नहीं है जितनी हमारे भारत में है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक भारत श्रेष्ठ भारत के साथ-साथ आजादी के अमृत महोत्सव को मनाने का निर्णय किया और इसके तीन लक्ष्‍य सबके सामने रखे। पहला, देश का बच्चा-बच्चा हमारे स्वतंत्रता संग्राम और सेनानियों की जानकारी के बारे में जाने और उनके अंदर देशभक्ति का संस्कार फिर से जागृत हो। दूसरा, 75 साल में देश ने जो उपलब्धियां प्राप्त की हैं, हम पूरी दुनिया में इनका गौरव गान करें। तीसरा, इन 75 सालों की उपलब्धियों के आधार पर संकल्प लेना कि जब 2047 में आजादी का शताब्दी वर्ष होगा, तब हर क्षेत्र में भारत कहां होगा। उन्होंने कहा कि 75 से 100 साल का समय इस संकल्प को सिद्धि में परिवर्तित करने का समय है। श्री शाह ने कहा कि आज हम जो संकल्प लेंगे वो 100 साल पूरे होने के समय पूरे राष्ट्र की सिद्धि में परिवर्तित होगा और हमारा भारत आजादी के आंदोलन के नेताओं की कल्पना का भारत बनेगा। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में हर व्यक्ति अगर एक संकल्प लेता है तो 130 करोड़ लोगों के 130 करोड़ कदम देश को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि वितस्ता महोत्सव आने वाले कश्मीर के भविष्य का महोत्सव है, हमारे भव्य इतिहास को उज्ज्वल भविष्य के साथ जोड़ने वाली एक कड़ी है, और कश्मीर और देश आगे बढ़ें, महान भारत की रचना हो, यही इस महोत्सव का उद्देश्य है।