अजमेर में ख्वाजा उर्स में कुल की रस्म वाले दिन ही होगी जुमे की नमाज। इसलिए 18 व 19 फरवरी को जबर्दस्त भीड़ रहेगी।भीड़ का ट्रेलर छड़ी मुबारक के जुलूस में दिख गया है। धरी रह गई सरकार की मेला गाइड लाइन।
अजमेर – 12 फरवरी को अजमेर और आसपास के क्षेत्रों के आसमान में चांद नहीं दिखा, इसीलिए सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का 6 दिवसीय शुरू 12 फरवरी से शुरू नहीं हो सका। अब परंपरा के अनुसार 13 फरवरी को उर्स की पहली महपिुल होगी और इसी के साथ 14 फरवरी से उर्स का पहला दिन शुरू हो जाएगा। दरगाह के खादिमों की प्रतिनिधि संस्था अंजुमन सैय्यद जादगान के सचिव वाहिद हुसैन अंगाराशाह ने कहा कि अब उर्स में कुल की रस्म 19 फरवरी को होगी और इसी दिन जुमे की नमाज भी होगी।
आम तौर पर कुल की रस्म में भाग लेने के बाद जायरीन का लौटना शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार कुल वो दिन ही शुक्रवार है, इसलिए अधिकांश जायरीन दोपहर को नमाज पढऩे के बाद ही जाएंगे। हालांकि उर्स के दिनों में दरगाह में जायरीन की जियारत का सिलसिला चलता रहता है, लेकिन इस बार कुल और जुम्मा एक ही दिन होने से 18 फरवरी को बड़ी संख्या में जायरी अजमेर में मौजूद रहेंगे। अंगाराशाह ने माना कि कोरोना काल में सरकार ने जायरीन पर अनेक पाबंदियां लगा रखी है, लेकिन मान्यता है कि वो ही अजमेर आते हैं, जिन्हें ख्वाजा बुलाते हैं। चूंकि कोरोना में लॉकडाउन था, इसलिए जायरीन दरगाह में जियारत के लिए नहीं आ सका। उर्स में अब बड़ी संख्या में जायरीन आ रहे हैं।
भीड़ का ट्रेलर :- 12 फरवरी को देशभर में कलंदरों ने उर्स के मौके पर ख्वाजा साहब की दरगाह पर दस्तक दी। कलंदरों के करतब देखने के लिए दरगाह के बाहर बड़ी संख्या में जायरीन उपस्थित थे। उर्स में कलंदरों के करतब से भी रौनक होती है। कलंदर अपनी परंपरा के अनुरूप दरगाह बाजार में छड़ी मुबारक का जुलूस निकालते हैं। 12 फरवरी को जब यह जुलूस निकला तो दरगाह बाजार खचाखच हुआ। उर्स शुरू होने से पहले यह स्थिति है, तब उर्स के 6 दिनों की भीड़ का अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि सरकार की गाइड लाइन के अनुसार प्रशासन ने उर्स में आने वाले जायरीन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और फिर अनुमति की अनिवार्यता लागू की है, लेकिन ऐसी गाइड लाइन धरी रह गई है उर्स में बड़ी संख्या में बुुजुर्ग और बच्चे भी देखे जा सकते हैं। दरगाह क्षेत्र में रजिस्ट्रेशन की जांच की कोई व्यवस्था नहीं हो पा रही है।