यूपी का इंफ्रास्ट्रक्चर बना मॉडल

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यूपी का इंफ्रास्ट्रक्चर बना मॉडल
यूपी का इंफ्रास्ट्रक्चर बना मॉडल
राजू यादव
राजू यादव

किसी भी देश कि अर्थव्यवस्था की धड़कन वहाँ कि सड़कों पर निर्भर करती है क्योंकि वे देश की विकास गाथा को बढ़ाने के लिए धमनियों की तरह काम करती हैं। विगत कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश ने सड़कों और एक्सप्रेस-वे के विकास के लिए अभूतपूर्व कार्य किया है। केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ प्रतिष्ठानों से निवेश की मदद से राज्य में पिछले कुछ वर्षों में ढांचागत विकास हुआ है। राज्य में विकास को परिभाषित करने वाली राजनीतिक कहावत “डबल इंजन सरकार” के साथ, सड़कों और एक्सप्रेस वे ने निवेश के लिए अधिक ध्यान आकर्षित किया है, जिसने उत्तर प्रदेश के लिए एक अच्छी तस्वीर लिखी है।उत्तर प्रदेश, कुछ समय पहले तक, अपनी गड्ढों वाली सड़कों के लिए जाना जाता था। आज, राज्य 13 एक्सप्रेस-वे के साथ देश की एक्सप्रेस-वे राजधानी के रूप में उभरा है। इन तरह एक्सप्रेस वे में से छह एक्सप्रेस-वे पूरे हो चुके हैं और सात निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। प्रदेश में पहला एक्सप्रेस वे यमुना एक्सप्रेस वे था जिसका निर्माण 2012 में हुआ था। उसके बाद अखिलेश यादव सरकार ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे का निर्माण कराया। 2017 में आयी योगी सरकार ने दो नए एक्सप्रेस वे -340 किलोमीटर पूर्वांचल एक्सप्रेस वे और 296 किलोमीटर बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे का निर्माण कराया। 91 किलोमीटर लम्बा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे और और 594 किलोमीटर गंगा एक्सप्रेस-वे, जो निर्माणाधीन हैं, राज्य में एक मौन परिवर्तन की पटकथा लिख रहे हैं। जिसका परिणाम यह है कि आज उत्तर प्रदेश को ‘एक्सप्रेस-वे प्रदेश’ का नाम दिया है।उत्तर प्रदेश 13 एक्सप्रेस-वे वाला देश का पहला राज्य बन गया है। इनमें से कुल 3,200 किलोमीटर लंबाई वाले सात एक्सप्रेस वे पर काम चल रहा है, जबकि छह एक्सप्रेस-वे चालू हैं।

यूपी का इंफ्रास्ट्रक्चर बना मॉडल, दुनिया भर के निवेशक हुए कायल। एक्सप्रेस-वे, हाई-वे, एयरपोर्ट के निर्माण से बेहतर हुई प्रदेश की कनेक्टिविटी। गड्ढामुक्त हुईं प्रदेश की सड़कें, बाधारहित आवागमन के लिए बने 125 से अधिक फ्लाई ओवर। 3000 किमी नए मार्ग और 80 अंतर्राज्यीय प्रवेश द्वार के निर्माण बढ़ा रहे प्रदेश की शोभा। बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर से उद्योगों और उद्यमियों को भी मिल रहा समर्थन। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे को ‘सोलर एक्सप्रेस-वे’ बनाने की कार्ययोजना बना रही योगी सरकार। दुनिया ने बदलते भारत, विश्वास से भरे भारत और भारत के नेतृत्व के सामर्थ्य को विगत नौ वर्षों में देखा है। जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चलते संभव हुआ है। आज भारत हर व्यक्ति के विश्वास का प्रतीक बना हुआ है। किसान, महिला, नौजवान, गरीब सभी तबकों की आशा का केंद्र बना है। आज का भारत विरासत का सम्मान करने वाला, सुरक्षित और समर्थ भारत है। यहां विकास के नए-नए कार्य नए भारत की तस्वीर बना रहे हैं। जहाँ भारत पर विश्वास बढ़ा है वहीं उत्तर प्रदेश में निवेश बढ़ा है। निवेशक प्रदेश में निवेश की लालायित हैं।

बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे को ‘सोलर एक्सप्रेस-वे’ बनाएगी योगी सरकार। सौर ऊर्जा के जरिए बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे को रोशन करने की दिशा में प्रयास कर रही सरकार। चार लेन वाले 296 किमी लंबे एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ सोलर पैनल्स लगाने की शुरू हुई तैयारी, पीपीपी मॉडल के जरिए परियोजना को दिया जाएगा मूर्त रूप। हाइवे के मेन कैरियज वे और सर्विस लेन के बीच खाली पड़े 15 से 20 मीटर चौड़ाई वाले क्षेत्र को सोलर पैनल्स लगाकर सौर ऊर्जा से लैस किए जाने की है योजना।बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे को ‘सोलर एक्सप्रेस-वे’ बनाएगी योगी सरकार

उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास को गति देने के साथ ही औद्योगिक गलियाओं और विशेषतौर पर हाइवे के रख-रखाव व सुविधाओं में वृद्धि के लिए प्रयासरत योगी सरकार अब नवीकरणीय ऊर्जा के तौर पर सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए एक अनूठी पहल करने जा रही है। उत्तर प्रदेश में उच्च गुणवत्ता वाले के निर्माण और रख-रखाव के साथ ही इसे नवीकरणीय ऊर्जा से जोड़ते हुए एक खास इनोवेशन करने का प्रयास किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे को सौर ऊर्जा से लैस करने की अनूठी पहल को अंजाम देने की तैयारी कर कर रहा है। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश के सबसे आधुनिक औऱ सुविधा संपन्न एक्सप्रेस-वे में शुमार है। ऐसे में इसे सौर ऊर्जा से चालित कर एक नई दिशा देने की विस्तृत कार्य योजना पर काम हो रहा है। उल्लेखनीय है कि 4 लेन वाले इस 296 किमी लंबे हाइवे में मेन कैरियज वे व सर्विस लेन के तौर पर दो हिस्से हैं।

बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे को 'सोलर एक्सप्रेस-वे' बनाएगी योगी सरकार
बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे को ‘सोलर एक्सप्रेस-वे’ बनाएगी योगी सरकार

सौर ऊर्जा बनेगी बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे की पहचान


यूपीडा द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, 296 किमी लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे को सौर ऊर्जा चालित एक्सप्रेस-वे के तौर पर विकसित करने की कार्ययोजना पर चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ) के निर्देश पर विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई है। इसी के फलस्वरूप यूपीडा द्वारा एक ‘एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट’ का लेटर जारी कर इच्छुक आवेदनकर्ताओं के आवेदन मांगे गए हैं। इसके अंतर्गत, बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे को सौर एक्सप्रेस-वे के तौर पर विकसित करने व सोलर पैनल्स को इंपैनल करने के लिए निजी कंपनियों से आवेदन व सुझाव मांगे हैं। इसके लिए यूपीडा द्वारा 17 अगस्त दोपहर 3 बजे तक [email protected] पर इच्छुक आवेदनकर्ता अप्लाई कर सकते हैं। इन प्राप्त आवेदनों में से चयनित आवेदनकर्ता को फिर आगे प्रेजेंटेशन देने के लिए बुलाया जाएगा जिसके फाइनल होने पर सोलर पैनल लगाए जाने की प्रक्रिया की शुरुआत कर दी जाएगी।

15-20 मीटर चौड़ाई वाली क्षेत्रीय पट्टी होगा सोलर पार्क के तौर पर विकसित


बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश के सबसे आधुनिक औऱ सुविधा संपन्न एक्सप्रेस-वे में शुमार है। ऐसे में, इसे सौर ऊर्जा से चालित कर एक नई दिशा देने की विस्तृत कार्य योजना पर काम हो रहा है। उल्लेखनीय है कि 4 लेन वाले इस 296 किमी लंबे हाइवे में मेन कैरियज वे व सर्विस लेन के तौर पर दो हिस्से हैं। इन्हीं दोनों के बीच लगभग 15 से 20 मीटर चौड़ाई की पट्टी वाला क्षेत्रफल पूरे एक्सप्रेस-वे में फिलहाल खाली है जिसे कृषि भूमि से अलग करने व बाड़ लगाने के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। अब इसी क्षेत्र को सोलर पैनल्स से पाटने की योजना है और इससे पूरा एक्सप्रेस-वे सौर ऊर्जा से लैस एक्सप्रेस-वे की दिशा तय करने में अभूतपूर्व कदम उठा सकेगा।

गड्ढामुक्त सड़कें, एक्सप्रेस-वे का जाल, हाईवेज का निर्माण, बड़े शहरों से बेहतर कनेक्टिविटी, इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, डिफेंस कॉरिडोर, इंटरनेशनल और डॉमेस्टिक एयरपोर्ट, ये सभी चीजें आज के नए यूपी की पहचान बन गई हैं। विधानसभा सत्र में विपक्ष के नेता जब सरकार से प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर सवाल पूछ रहे हैं तो योगी सरकार के 6 वर्षों की यह उपलब्धि उनके लिए चौंका देने वाली है, क्योंकि जब उनके पास प्रदेश की सत्ता थी तो न उनके पास नीति थी और न ही नीयत। सीएम योगी ने यूपी को माफियाराज और गुंडाराज से मुक्ति दिलाकर 6 वर्षों में प्रदेश को इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में अग्रणी राज्यों के साथ लाकर खड़ा कर दिया है। खासतौर पर कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने मिशन के रूप में जो मुहिम चलाई है, उसी का नतीजा है कि लखनऊ में हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से उत्तर प्रदेश को 36 लाख करोड़ से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। बहुत जल्द इन प्रस्तावों का एक बड़ा हिस्सा ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के माध्यम से धरातल पर उतरता हुआ भी नजर आने वाला है।

बेहतर कनेक्टिवटी के चलते पूर्वांचल और बुंदेलखंड को भी मिला निवेश


उत्तर प्रदेश का इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्धियों की नई इबारत लिख रहा है। गड्ढामुक्त सड़कें हों, या एक्सप्रेस-वे और हाईवे का निर्माण, फ्लाई ओवर हों या फिर मेट्रो और एयरपोर्ट का विकास, सभी क्षेत्रों में सरकार ने विजन के साथ कदम आगे बढ़ाए हैं। जीआईएस के दौरान तमाम निवेशकों से जब यूपी में निवेश की संभावनाओं पर चर्चा की गई तो सभी ने एक बात पर खासतौर पर फोकस किया और वो यूपी का इंफ्रास्ट्रक्चर ही था। उद्यमियों का मानना है कि जिस तेजी के साथ प्रदेश में एक्सप्रेस-वे, हाईवे, एयरपोर्ट और फ्लाईओवर का निर्माण हो रहा है, उससे बड़े शहरों और राज्यों के बीच कनेक्टिविटी आसान हुई है। यही वजह है कि देश की राजधानी दिल्ली से सटे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा पूर्वांचल और बुंदेलखंड में भी निवेश के बड़े उद्यमी आगे आए हैं। पूर्वांचल में 10 लाख करोड़ तो बुंदेलखंड में करीब 5 लाख करोड़ के निवेश के लिए प्रदेश सरकार ने एमओयू किए हैं। इससे इन क्षेत्रों में लाखों नौकरियों का सृजन होना सुनिश्चित है।

मुख्यमंत्री योगी ने बिछाया एक्सप्रेस-वे का जाल


देश में अगर एक्सप्रेस-वे की बात करें तो उत्तर प्रदेश जल्द ही 13 एक्सप्रेस-वे वाला देश का पहला राज्य बनने की ओर अग्रसर है। फिलहाल यहां 6 एक्सप्रेस-वे संचालित हो रहे हैं, जिनकी कुल लंबाई 1225 किमी है। वहीं 7 अन्य एक्सप्रेस-वे पर कार्य चल रहा है जिसकी कुल लंबाई 1974 किमी है। 341 किमी. लंबा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और 296 किमी. लंबा बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे इसी सरकार में बनकर शुरू भी हो चुका है। झांसी लिंक एक्सप्रेस-वे व चित्रकूट लिंक एक्सप्रेस-वे का कार्य प्रगति पर है। वहीं बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे डिफेंस कॉरिडोर परियोजना भी शुरू हो चुकी है। गोरखपुर पूर्वांचल लिंक एक्सप्रेस-वे का निर्माण भी प्रगति कर रहा है तो गोरखपुर से बलिया होते हुए माझी घाट तक बलिया लिंक एक्सप्रेस-वे बनाए जाने का भी निर्णय लिया गया है।

गड्ढामुक्त हुईं प्रदेश की सड़कें


उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेस-वे ही नहीं योगी सरकार ने तमाम हाईवेज और सड़कों को भी नया रूप दिया है। 60 हजार किमी. से ज्यादा की सड़कों को गड्ढामुक्त किया गया है तो 17 हजार किमी. से ज्यादा के मार्ग की विशेष मरम्मत हुई है। प्रदेश में 125 फ्लाईओवर और 80 अंतर्राज्यीय स्वागत द्वारों का निर्माण हो रहा है। 2941 किमी. लंबे मार्गों का नव निर्माण एवं 2242 किमी मार्गों का चौड़ीकरण किया गया है। इसी क्रम में 70 नए राज्य मार्ग जिनकी लंबाई 5604 किमी है, जबकि 57 नए प्रमुख जिला मार्ग जिनकी लंबाई 2831 किमी है घोषित किए गए हैं। 26 तहसील मुख्यालयों और 151 ब्लॉक मुख्यालयों को 2 लेन मार्ग से जोड़ा जा रहा है तो राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों एवं शहीदों के गांव तक मार्गों का निर्माण किया जा रहा है।

उड़ान को लगे नए पंख


उत्तर प्रदेश 5 अंतर्राष्ट्रीय और 16 घरेलू हवाई अड्डों के साथ 21 एयरपोर्ट वाला इकलौता राज्य बनने की ओर से अग्रसर है। जेवर में देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट विकसित किया जा रहा है तो अयोध्या में भी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट का निर्माण हो रहा है। कुशीनगर, वाराणसी और लखनऊ में पहले से ही अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट संचालित हो रहे हैं। इसके अलावा अलीगढ़, आजमगढ़, चित्रकूट, सोनभद्र तथा श्रावस्ती में एयरपोर्ट के संचालन व प्रबंधन के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया से समझौता हो चुका है। कनेक्टिविटी की बात करें तो प्रदेश के 80 गंतव्यों के लिए वायु सेवा की सुविधा उपलब्ध है। गोरखपुर से विभिन्न स्थानों के लिए 14 फ्लाइट्स तो प्रयागराज से 12 फ्लाइट्स संचालित की जा रही हैं।

मेट्रो, इंडस्ट्रियल पार्क, स्मार्ट सिटी परियोजनाएं भी कर रहीं प्रगति


इसके अतिरिक्त बरेली के बहेड़ी में मेगा फूड पार्क, नोएडा में 1000 एकड़ एकड़ भूमि पर अंतर्राष्ट्रीय फिल्म सिटी की स्थापना, अटल इंडस्ट्रियल मिशन की शुरुआत, यमुना एक्सप्रेस-वे पर मेडिकल डिवाइस पार्क प्रगति पर है। 4 शहरों (नोएडा, गाजियाबाद, लखनऊ और कानपुर) में मेट्रो रेल सेवा प्रारंभ की जा चुकी है, जबकि आगरा में भी ट्रायल रन हो चुका है और गोरखपुर के लिए भी डीपीआर तैयार है। अयोध्या, फिरोजाबाद, गोरखपुर, गाजियाबाद, मथुरा-वृंदावन, मेरठ व शाहजहांपुर को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए 547 करोड़ की परियोजनाएं शुरू हो चुकी हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 4007 किमी. सड़कों का निर्माण किया जा चुका है।

भारत में ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे को सभी प्रकार के वाहनों के लिए 120 किमी/घंटा की न्यूनतम गति के साथ 8 लेन के प्रारंभिक निर्माण के साथ 12-लेन चौड़े एक्सप्रेस-वे के रूप में डिजाइन किया गया है। 4-लेन के भविष्य के विस्तार के लिए भूमि एक्सप्रेस-वे के केंद्र में आरक्षित है। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे को बसे हुए क्षेत्रों से बचने और नए क्षेत्रों में विकास लाने और भूमि अधिग्रहण लागत और निर्माण समय सीमा को कम करने के लिए नए एलाइनमेंट के माध्यम से डिजाइन किया जाता है। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे प्रारंभिक 8-लेन निर्माण के साथ नए 12-लेन के दृष्टिकोण का एक उदाहरण है।

गोरखपुर-सिलीगुड़ी ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे


छह लेन वाला 520 किलोमीटर लंबा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से उत्तर बिहार होते हुए पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी तक जायेगा। एक्सप्रेस-वे का लगभग 85 किमी बिहार में प्रवेश करने से पहले उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, देवरिया और कुशीनगर जिलों से होकर गुजरेगा। बिहार में यह एक्सप्रेस वे लगभग 416 किमी तक रहेगा। पश्चिम बंगाल, जहाँ यह एक्सप्रेस-वे समाप्त होगा वहां इसकी लम्बाई 19 किमी होगी। 25,000 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है यह एक्सप्रेस-वे उत्तर पूर्व क्षेत्र से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, पंजाब और हरियाणा सहित उत्तरी भारत की ओर जाने वाले यातायात के लिए एक सीधा लिंक प्रदान करेगा। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने एक्सप्रेस-वे के लिए एलाइनमेंट को अंतिम रूप दे दिया है।

गोरखपुर-शामली ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे

840 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेस-वे पूर्वी उत्तर प्रदेश में गोरखपुर को पश्चिम उत्तर प्रदेश में सहारनपुर के पास शामली से जोड़ेगा। शामली में समाप्त होने से पहले यह एक्सप्रेस-वे गोरखपुर, बहराइच, बलरामपुर, अयोध्या, सीतापुर, शाहजहांपुर, अमरोहा, मुजफ्फरनगर और मेरठ से गुजरेगा। यह परियोजना 35,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से भारतमाला परियोजना के दूसरे चरण के तहत शुरू की जाएगी। इस ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे को दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे, दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे और गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे से जोड़ा जायेगा।

वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेस-वे


छह लेन वाला 620 किमी वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश में चंदौली, झारखंड में रांची और पश्चिम बंगाल में हावड़ा (कोलकाता) को जोड़ेगा। यह एक्सप्रेस-वे यूपी में 22 किमी, बिहार में 159 किमी, झारखंड में 187 किमी और बंगाल में 242 किमी की दूरी तय करते हुए ई-वे को देश के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में हाई-स्पीड कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।यह परियोजना पूरे पूर्वी भारत के लिए कनेक्टिविटी बढ़ाएगी और इसका अनुमानित बजट 22,000 करोड़ रुपये है। एनएचएआई को वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेस-वे के सिविल निर्माण कार्य के लिए आठ पैकेजों के लिए 15 फर्मों से बोलियां प्राप्त हुई हैं।

वाराणसी-औरंगाबाद-चोरदाहा आर्थिक गलियारा


वाराणसी के पास से शुरू होकर, छह-लेन (आठ-लेन तक विस्तार योग्य) आर्थिक गलियारा बिहार-झारखंड सीमा पर चोरदाहा में समाप्त होने से पहले बिहार में औरंगाबाद से होकर गुजरेगा। 262 किलोमीटर लंबा यह आर्थिक गलियारा जीटी रोड का हिस्सा है और इसे झारखंड के धनबाद तक बढ़ाया जाएगा। 5,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ, NHAI ने दिसंबर 2023 तक चोरदाहा तक खिंचाव को पूरा करने का लक्ष्य रखा है।

गाजीपुर-बलिया-मांझी घाट ग्रीनफील्ड लिंक एक्सप्रेस-वे


135 किलोमीटर लंबा गाजीपुर-बलिया-मांझी घाट ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे पूर्वी यूपी में बलिया को पूर्वांचल एक्सप्रेस वे से जोड़ेगा। बिहार में मांझी घाट पर समाप्त होने से पहले फोर लेन लिंक एक्सप्रेस वे गाजीपुर और बलिया से होकर गुजरेगा। बलिया और बिहार के लोग लाभान्वित होंगे क्योंकि बलिया लिंक एक्सप्रेस वे परियोजना के पूरा होने के बाद दिल्ली, लखनऊ या पटना पहुंचने के लिए यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 27 फरवरी को 5,311 करोड़ रुपये की परियोजना की आधारशिला रखी, जिसके 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है।

कानपुर-लखनऊ ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे


5,000 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेस वे कानपुर और लखनऊ को जोड़ने वाली 62.74 किलोमीटर लंबी पहुंच-नियंत्रित सड़क है। छह लेन (आठ तक विस्तार योग्य) एक्सप्रेस-वे कानपुर और लखनऊ के बीच एनएच-27 के समानांतर चलेगा और मौजूदा और प्रस्तावित समानांतर सड़कों के बीच लगभग 8.5 किमी की दूरी होगी। एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश के दो सबसे बड़े शहरों के बीच यात्रा के समय को 35 मिनट तक कम कर देगा। NHAI ने पहले ही परियोजना के लिए अनुबंध प्रदान कर दिया है और मई 2024 तक एक्सप्रेस वे को खोलने का लक्ष्य रखा है।

चंबल एक्सप्रेस-वे


415 किलोमीटर लंबा अटल प्रोग्रेसवे छह लेन का एक्सप्रेसवे है जो राजस्थान में कोटा को मध्य प्रदेश राज्य में श्योपुर, मुरैना और भिंड जिलों के माध्यम से उत्तर प्रदेश में इटावा से जोड़ेगा।15,000 करोड़ रुपये की परियोजना राजस्थान के कोटा जिले के सीमाल्या गाँव में NH-27 से शुरू होती है और उत्तर प्रदेश राज्य में इटावा जिले के निनावा गाँव में समाप्त होती है। लगभग 300 किमी पर ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का बड़ा हिस्सा मध्य प्रदेश से होकर गुजरेगा। NHAI ने एक्सप्रेस वे की 300 किमी से अधिक लंबाई के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं। एक्सप्रेसवे की शेष लंबाई के लिए निविदाएं प्रगति पर हैं और अगले कुछ महीनों में जारी होने की उम्मीद है। चंबल एक्सप्रेस वे उस क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढ़ाएगा जो आमतौर पर अर्ध-शुष्क भूमि, डकैतों और अराजकता के काले इतिहास के लिए जाना जाता है। चंबल नदी के साथ चलने वाला एक्सप्रेसवे इटावा में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और कोटा में आने वाले दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (डीएमई) से जुड़ जाएगा।

आगरा-ग्वालियर ग्रीनफील्ड हाई-वे


आगरा-ग्वालियर एक्सप्रेस वे ग्वालियर को ताज सिटी से जोड़ने वाला प्रस्तावित 85 किलोमीटर लंबा छह लेन का एक्सेस-नियंत्रित ग्रीनफील्ड हाईवे है। आगरा में यमुना एक्सप्रेस-वे लिंक से शुरू होकर, एक्सप्रेस-वे ग्वालियर बायपास पर समाप्त होने से पहले उत्तर प्रदेश में शमसाबाद, राजस्थान में ढोलपुर, मध्य प्रदेश में मुरैना से होकर गुजरेगा। 2,500 करोड़ रुपये के ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे का निर्माण, जो दिल्ली को भी जोड़ेगा, इस साल शुरू होगा।

दिल्ली-देहरादून आर्थिक गलियारा


दिल्ली-देहरादून आर्थिक गलियारा एक छह-लेन, 210 किमी राजमार्ग है जो राष्ट्रीय राजधानी और देहरादून के बीच यात्रा के समय को वर्तमान में 6 घंटे से घटाकर केवल 2.5 घंटे कर देगा। दिल्ली में अक्षरधाम से शुरू होकर, उत्तराखंड में देहरादून में समाप्त होने से पहले यह एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश में ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे (ईपीई) जंक्शन और बागपत, शामली, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर से गुजरेगा। 12,000 करोड़ रुपये की परियोजना पर काम दिसंबर के अंत तक पूरा हो जाएगा और अगले साल 1 जनवरी से वाहनों के आवागमन के लिए खुलने की उम्मीद है। यह दो अतिरिक्त स्पर्स: 50.7-किमी-लंबा 6-लेन सहारनपुर-रुड़की-हरिद्वार एक्सप्रेस वे और 101 किमी छह-लेन अंबाला-गंगोह-शामली एक्सप्रेस वे के कारण यात्रियों के लिए हरिद्वार के पवित्र शहर की यात्रा को भी आसान बना देगा।

भोपाल-कानपुर आर्थिक गलियारा


411 किमी, 6-लेन आर्थिक कॉरिडोर की अनुमानित लागत 11,300 करोड़ रुपये है और यह भोपाल और कानपुर के बीच यात्रा के समय को वर्तमान 15 घंटे से घटाकर नौ घंटे कर देगा।इस कॉरिडोर के बनने से भोपाल से कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी की कनेक्टिविटी अच्छी हो जाएगी।विदिशा और सागर के रास्ते भोपाल-कानपुर आर्थिक गलियारा सीमेंट और खनिजों के परिवहन को भी आसान बनाएगा और रसद लागत को कम करेगा।

चंबल एक्सप्रेस-वे


415 किलोमीटर लंबा अटल प्रोग्रेसवे छह लेन का एक्सप्रेस-वे है जो राजस्थान में कोटा को मध्य प्रदेश राज्य में श्योपुर, मुरैना और भिंड जिलों के माध्यम से उत्तर प्रदेश में इटावा से जोड़ेगा। 15,000 करोड़ रुपये की परियोजना राजस्थान के कोटा जिले के सीमाल्या गाँव में NH-27 से शुरू होती है और उत्तर प्रदेश राज्य में इटावा जिले के निनावा गाँव में समाप्त होती है। लगभग 300 किमी पर ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे का बड़ा हिस्सा मध्य प्रदेश से होकर गुजरेगा। NHAI ने एक्सप्रेस वे की 300 किमी से अधिक लंबाई के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं। एक्सप्रेस-वे की शेष लंबाई के लिए निविदाएं प्रगति पर हैं और अगले कुछ महीनों में जारी होने की उम्मीद है। चंबल एक्सप्रेस वे उस क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढ़ाएगा जो आमतौर पर अर्ध-शुष्क भूमि, डकैतों और अराजकता के काले इतिहास के लिए जाना जाता है। चंबल नदी के साथ चलने वाला एक्सप्रेस-वे इटावा में बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे और कोटा में आने वाले दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे (डीएमई) से जुड़ जाएगा।

बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे को ‘सोलर एक्सप्रेस-वे’ बनाएगी योगी सरकार