जिम्मेदार कौन ?

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विकास श्रीवास्तव

दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादको में पहला स्थान, ऑक्सीजन उत्पादक में पहला स्थान, विश्व भर में विद्वान डॉक्टरों की अच्छी खासी तादाद रखने वाला भारत देश नम्बर एक पर हैं। आखिर कैसे भारत देश इस मुकाम पर पहुंच गया कि ऑक्सीजन, बेड, वैक्सीन की कमी से चलते तमाम देशवासियों को जान गंवानी पड़ी?

कोरोना महामारी काल में सरकारी लापरवाही को प्रमुखता से उठाते हुए प्रदेश प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने बताया कि उत्तर प्रदेश अपने प्रशिक्षण शिविरों में कार्यकर्ताओं के साथ इस विषय पर व्यापक विचार विमर्श कर रही है। कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में प्रदेश की बदहाल स्वस्थ सेवाओं, अस्पतालों की कमी, डॉक्टरों व नर्सिग स्टाफ की कमी, आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था को जनता के बीच प्रमुखता से मुद्दा बनाने जा रही है। कोरोना महामारी के दौरान अपनों के खोने का दर्द क्या होता है? यह भूलने वाला विषय नही है, इस मुद्दे को जनमानस को भूलने भी नहीं चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार की अकर्मण्यता को आज प्रत्येक परिवार ने कोरोना काल में किसी न किसी अपनें को खोया है।


प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने बताया कि प्रशिक्षण से पराक्रम शिविरों में प्रमुखता से कांग्रेस ने कोरोनाकाल मे योगी व मोदी सरकार की अकर्मण्यता और आसंवेदनशीलता को जनता के बीच चर्चा का विषय बनाने का निर्णय लिया है। कांग्रेस पार्टी शहरों और गांव में नुक्कड़ो, चौराहो ओर चौपालों में जिम्मेदार कौन ? नामक पुस्तिका, जिसमें योगी व मोदी सरकार की कोरोनाकाल की लापरवाहियों के दस्तावेज के तौर पर लोगों के बीच वितरित करके सरकार से सवाल खड़ा कर रही है। “जिम्मेदार कौन“ नामक शीर्षक पुस्तिका की लेखिका और सम्पादिका उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा स्वयं है।श्रीमती गांधी ने इस पुस्तिका में लिखा है कि आज भारत की 130 करोड़ की आबादी में मात्र 15  प्रतिशत हिस्से को वैक्सीन की पहली डोज और मात्र 3.5 प्रतिशत हिस्से को फुल डोज नसीब हुई है। मोदी जी के टीका उत्सव की घोषणा के बाद 1 महीने में वैक्सीन लगने में 83 प्रतिशत की गिरावट आई। विश्व के सभी बड़े- बड़े देशों ने पिछले साल ही अपनी जनसंख्या से कई गुना डोज का ऑर्डर कर लिए थे। मगर मोदी सरकार ने पहला ऑर्डर जनवरी 2021 में दिया। वह भी मात्र 1 करोड़ 60 लाख वैक्सीन का था जबकि हमारी आबादी लगभग 130 करोड़ के अनुसार यह मात्रा आधी है। 


कांग्रेस प्रवक्ता ने उक्त पुस्तिका के विषयों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पुस्तक में श्रीमती गांधी ने मोदी सरकार से प्रश्न किया गया है कि सरकार यह भी बताएं भारत के लोगों को कम वैक्सीन लगाकर ज्यादा वैक्सीन विदेश क्यों भेज दी गई? साल जनवरी-मार्च के बीच में मोदी सरकार ने 6.5 करोड़ वैक्सीन डोज विदेश भेजा। कई देशों को मुफ्त में भेंट किया जबकि इस दौरान भारत में मात्र 3.5 करोड़ लोगों को ही व्यक्ति को ही वेक्सीन लग सकी। पुस्तिका में श्रीमती गांधी ने लिखा है दूसरी लहर के चरम पर भी कुल मिलाकर देश के सारे अस्पतालों में उपयोग होने वाली ऑक्सीजन की मात्रा के आंकड़े स्पष्ट करते है कि सरकारी अकर्मण्यता के चलते सिर्फ पंद्रह सौ मीट्रिक टन ऑक्सीजन की कमी के कारण लोगों को तड़प तड़प कर मरना पड़ा। 2020 में मोदी सरकार ने ऑक्सीजन का निर्यात 700 प्रतिशत से अधिक बढ़ा दिया ज्यादातर सप्लाई बांग्लादेश समेत कई देशों को क्यों भेजा? भारत के पास ऑक्सीजन भेजनें हेतु इस्तेमाल होने वाले विशेष क्रायोजेनिक टैंकरों की संख्या अनुमानतयः 1200 से 1600 है। कोरोना  की दूसरी लहर का अंदाजा होने के बावजूद क्रायोजेनिक टैंकरों की संख्या बढ़ाने के लिए क्यों कोई सरकारी प्रयास नहीं किया गया? महामारी को लेकर बनी संसदीय समिति की सलाह को पूरी तरह से नजरअंदाज क्यों किया गया? पुस्तक में लिखा है कि मोदी सरकार ने वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की सलाह न मानने पर भी श्रीमती प्रियंका गांधी ने सवाल खड़ा किया है।


प्रियंका गांधी ने सरकार को घेरते हुए लिखा कि स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना चाहिए था। जिला अस्पतालों में चिकित्सा सामग्री,उपकरणों के मानक और उपयोगिता को भी सुनिश्चित करना चाहिए था। आंकड़ों को सही और पारदर्शी ढंग से जनता की सुरक्षा के माध्यम के रूप् मे इस्तेमाल करना चाहिए था।राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक टेस्टिंग की रणनीति स्थापित करनी चाहिए थी। सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार करोना से प्रभावित  परिवार को कम से कम  आज चार लाख का अनुदान देना चाहिए। दुर्भाग्य यह कि भाजपा की केन्द्र व राज्यों की सरकारों द्वारा कोरोना की दूसरी लहर की तैयारी ना करके, करोना से जंग जीत लेने का झूठा बखान किया गया। पहली लहर से ही मोदी जी ने  ताली घण्टा बजाना, दीया जलाना, बल्ब बुझाना, जैसे विभिन्न तरीके, फितूर की अपील   अपनी ‘‘मन की बात’’ कार्यकम में लगातार करके देशवासियों को कोरोना की भयावहता से गुमराह करने का काम किया। जिसके दुष्परिणाम समूचे देश को आर्थिक तौर पर व स्वास्थ्य संकठ के रूप में झेलना पड़ा।