भाजपा सरकार की योजना ओबीसी कार्मिकों की गिनती कराने की क्यों -लौटनराम निषाद

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राजू यादव

जातिगत जनगणना से मुँह फेरने वाली भाजपा सरकार की योजना ओबीसी कार्मिकों की गिनती कराने की। जाति जनगणना के बिना सरकारी नौकरियों में ओबीसी लोकसेवकों की गिनती का क्या है मकसद….?

लखनऊ। जाति जनगणना कराना प्रथम प्राथमिकता हो तो बेहतर व संवैधानिक कदम होता।बिना जातिगत जनगणना के संविधान के अनुच्छेद-15(4),16(4) की मंशानुसार कार्य करना व वंचित तबके को न्याय देना असम्भव है।उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी सेवाओं में ओबीसी कार्मिकों की गिनती कराने के निर्णय पर सवाल उठाते हुए भारतीय ओबीसी महासभा के राष्टीय प्रवक्ता व कांग्रेस नेता चौ.लौटनराम निषाद ने कहा कि केन्द्र सरकार वादा करने के बाद भी जातिगत जनगणना कराने से पल्ला झाड़ लिया,वही उत्तर प्रदेश सरकार ओबीसी कार्मिकों की गिनती कराने जा रही है।

उन्होंने कहा कि बिना जातिगत जनगणना के ओबीसी सरकारी कर्मचारियों की गिनती कराना कितना उचित है और इसके पीछे सरकार का मकसद क्या है?सिर्फ नौकरी में गणना कराना यह निश्चित तौर पर ओबीसी को आपस में लड़ाने व जातीय नफरत पैदा करने का प्लान लग रहा है।जातिगत गणना से सब साफ हो जाता कि किस जाति के जनसँख्या अनुपात में कितने प्रतिशत कार्मिक किस जाति के हैं।इससे साफ हो जाता कि किस जाति के कितने नौकरीपेशा या मजबूत स्थिति में हैं,उसके हिसाब से सरकार प्लान करती।

निषाद ने सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर बताया कि योगी सरकार पिछले 10 सालों में सरकारी नौकरियों में ओबीसी प्रतिनिधित्व का आकलन करने जा रही है।इसके तहत राज्य सरकार की सेवाओं में ओबीसी की 79 उपजातियों के हिसाब से कार्मिकों की गिनती होगी।इसके लिए अगले कुछ दिनों में विभागवार समूह ‘क’ से लेकर समूह ‘घ’ तक के कुल पदों व नियुक्त कार्मिकों का ब्यौरा एकत्र करने का अभियान चलेगा। इसके लिए सभी विभागों के अपर मुख्य सचिवों को शासन ने पत्र भेज कर पूरा ब्यौरा मांगा है। इसके तहत पदों का विवरण संवर्गवार देना है। इसके बाद स्वीकृत पद, भरे गए पद, ओबीसी के लिए तय पद, ओबीसी से भरे गए पद, सामान्य श्रेणी में चयनित ओबीसी की संख्या, कुल भरे गए पदों के मुकाबले ओबीसी का प्रतिशत आदि की पूरी जानकारी देनी है। इसी के साथ आरक्षण कोटा पूरा हुआ है या नहीं यह भी बताना है।


निषाद ने बताया कि इसके अलावा पहली बार समूह ‘क’ से समूह ‘घ’ तक के पदों में ओबीसी की उपजातियों की स्थिति बतानी है। अन्य पिछड़ा वर्ग की करीब 79 उपजातियां इसमें शामिल की गई हैं। जनवरी 2010 से मार्च 2020 तक विभिन्न विभागों में की गई कुल नियुक्तियों में चयनित अभ्यर्थियों का जातिवार विवरण सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिवों से मांगा है। इस संबंध में विभागों के अधिकारियों की बैठक इसी सिलसिले में होने वाली है। 83 विभागों में 40 विभागों के अधिकारियों की बैठक 23 अगस्त को दो चरणों में होगी व बाकी विभागों की 24 अगस्त को होगी। इसमें अब तक आए जातिवार आकलन के लिए आए ब्यौरे की समीक्षा होगी।

निषाद ने कहा कि सरकार का इसके पीछे असली मकसद पिछड़ों को न्याय देने की बजाय लोकसभा चुनाव-2024 से पूर्व जातियों-उपजातियों में वैमनस्यता व नफरत पैदा कर राजनीतिक लाभ उठाना है।कहा कि यदि सरकार की मंशा वंचित तबकों को संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार सामाजिक न्याय देना है तो राज्य सरकार अपने स्तर से ओबीसी की जातिवार जनगणना के आँकड़ा इकट्ठा कर अनुच्छेद-15(4),16(4) व 16(4-1) के अनुसार एससी, एसटी की तरह ओबीसी की जातियों को भी जनसँख्यानुपाती आरक्षण कोटा की व्यवस्था करे, साथ ही कोटा पूरा करने के लिए बैकलॉग भर्ती शुरू करे।