महिलाओं की फंटी जींस क्यों सिलवाना चाहते हैं उत्तराखंड के सीएम

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आखिर कुछ प्रगतिशील महिलाओं की फंटी जींस क्यों सिलवाना चाहते हैं उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत। टीवी चैनलों से लेकर राज्यसभा तक में गुस्सा। जया बच्चन और प्रियंका चतुर्वेदी ने भी जताई नाराजगी।

एस पी मित्तल

उत्तराखंड। उत्तराखंड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत अब देश की कुछ प्रगतिशील महिलाओं के निशाने पर आ गए हैं। सीएम बनने के बाद रावत ने अतिउत्साह में 17 मार्च को एक समारोह में हवाई जहाज की यात्रा का एक संस्मरण सुना दिया। रावत का कहना रहा कि हवाई जहाज में उनकी सीट के पास दो बच्चों वाली एक महिला भी बैठी हुई थी। महिला ने पैरों में गमबूट पहने थे तथा जींस घुटनों से फटी थी। महिला ने बातचीत के दौरान बताया कि वे एक एनजीओ के साथ जुड़ कर समाज सेवा का काम करती हैं।

सीएम ने कहा कि जो महिला समाज सेवा का काम करती हैं, उन्हें हमारी संस्कृति के अनुरूप आचरण भी करना चाहिए। यानी सीएम ने किसी महिला के फटी जींस पहनने पर ऐतराज जताया। अब देश की कुछ प्रगतिशील महिलाएं मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की सोच पर गुस्सा जता रही हैं। टीवी चैनलों की बहस में कहा जा रहा है कि क्या एक मुख्यमंत्री महिलाओं की फटी जींस ही देखते हैं? टीवी चैनलों पर बैठ कर फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली महिलाओं का कहना है कि महिलाओं के संस्कार कपड़ों से जोड़ कर नहीं देखा जा सकता है।

सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर अनेक प्रगतिशील महिलाएं फटी हुई जींस वाली फोटो पोस्ट कर मुख्यमंत्री को कोस रही हैं। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति का कहना है कि तीरथ सिंह भले ही मुख्यमंत्री बन गए हों, लेकिन उनका दिमाग सड़क छाप ही है। 18 मार्च को मुख्यमंत्री के बयान पर राज्यसभा में समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन और शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी नाराजगी जताई। दोनों नेत्रियों ने कहा कि एक मुख्यमंत्री को महिलाओं के बारे में ऐसी अभद्र टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। कोई महिला क्या पहने और क्या नहीं? इसे तय करने का अधिकार मुख्यमंत्री को नहीं है।

दोनों नेत्रियों ने सवाल उठाया कि आखिर पुरुष महिलाओं के कपड़े ही क्यों देखते हैं? हालांकि सनातन संस्कृति में भरोसा रखने वाली अनेक महिलाएं मुख्यमंत्री के बचाव में आई हैं। लेकिन टीवी चैनलों पर ज्यादा शोर प्रगतिशील महिलाओं का है। इस टीवी बहस में एंकर की भूमिका महिला निभा रही है, उसमें तो पूरा माहौल ही एक तरफा है। वो सारे तर्क रखे जा रहे हैं, जिनमें महिलाओं को फटी जींस पहनने पड़ती है। टीवी चैनलों की बहस को देखते हुए ही यह सवाल उठ रहा है कि आखिर तीरथ सिंह रावत को महिलाओं की फटी जींस को सिलवाने की क्या जरुरत है? महिलाओं खासकर स्कूल, कॉलेज में पढऩे वाली बच्चियों के परिधान में अभिभावकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

यह माना कि विवाह के बाद कोई महिला स्वतंत्र रूप से अपने वस्त्रों का चयन कर सकती है, लेकिन जब तक वे अपने माता पिता के पास रह रही है, तब तक उन्हें अपने घर परिवार की संस्कृति के अनुरूप परिधान पहनने पड़ेंगे। अब यदि किन्हीं अभिभावकों को फटी जींस या छोटी नेकर पहनने पर ऐतराज नहीं है तो फिर अन्य लोगों को भी ऐतराज करने की जरुरत नहीं है। माता पिता की सहमति से ही बच्चियां फटी जींस अथवा छोटी नेकर पहनती हैं। तीरथ सिंह रावत को यह समझना चाहिए कि फटी जींस पहनने पर पहला ऐतराज माता-पिता या फिर ससुराल में पति और सास-ससुर का होता है।

एक मुख्यमंत्री को यह अधिकार नहीं कि किन्हीं प्रगतिशील महिलाओं की फटी जींस पर टिप्पणी करें। जहां तक भारत की सनातन संस्कृति का सवाल है तो देश की करोड़ों महिलाएं परंपरागत परिधान पहनती हैं। ऐसा नहीं की साड़ी पहनने वाली महिलाएं प्रतिस्पर्धा की दौड़ में पीछे हैं। साड़ी पहनने वाली महिलाएं भी आज देश और समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभा रही हैं। साड़ी पहनने वाली महिलाएं देश के उच्च पदों पर विराजमान हैं।